सांचौर:– पिछले साल अगस्त महीने में पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने 19 नए जिलों की घोषणा की। इनमें सांचौर भी था। ऐलान के बाद इलाके में खुशी की लहर दौड़ गई। विधानसभा चुनाव में गहलोत सरकार को हार का सामना करना पड़ा। भाजपा की सरकार आई। नए जिलों के रिव्यू के लिए उप मुख्यमंत्री प्रेम चंद बैरवा के संयोजन में कैबिनेट सब-कमेटी बनाई गई। कहा जा रहा है कि नए बने छोटे जिलों पर संकट आ सकता है।
ऐसे में सांचौर को जिला बनाए रखने की मांग को लेकर चार दिन से धरना-प्रदर्शन जारी है। शनिवार को प्रदर्शन का चौथा दिन है। संघर्ष समिति के आह्वान पर शहर पूरी तरह से बंद है। जिला मुख्यालय पर कलेक्ट्रेट के बाहर हजारों की संख्या में लोग धरने पर बैठे हैं।
वहीं, पिछले चार दिनों से अनशन पर बैठे 76 वर्षीय पूर्व राज्यमंत्री सुखराम बिश्नोई की मेडिकल जांच में कीटोन प्लस 3 पाया गया। ऐसे में धरने में मौजूद लोगों ने उनसे अपील की कि स्वास्थ्य को देखते हुए अनशन तोड़ दें, लेकिन धरना जारी रखें। इसके बाद, शनिवार दोपहर 3 बजे कलेक्टर शक्ति सिंह ने पूर्व मंत्री सहित अन्य को जूस पिलाकर अनशन तुड़वाया।
धरना स्थल के साथ ही हाईवे पर जाम के मद्देनजर प्रशासन अलर्ट मोड पर था मुख्य बाजार से लेकर छोटे-बड़े कस्बे, निजी अस्पताल और निजी स्कूलों से लेकर सरकारी स्कूलें भी बंद व छात्रों ने भी स्कूलों के बाहर और रैली निकालकर विरोध-प्रदर्शन किया।
पूर्व मंत्री की तबीयत लगातार बिगड़ी:धरने के दौरान पूर्व मंत्री सुखराम बिश्नोई सहित कई अन्य नेता और सामाजिक कार्यकर्ता कलेक्ट्रेट के बाहर जिले को यथावत रखने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। इस दौरान सुखराम बिश्नोई की तबीयत लगातार बिगड़ रही है और डॉक्टरों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी है, लेकिन उन्होंने धरना स्थल छोड़ने से इनकार कर दिया है। शनिवार दोपहर 3 बजे मेडिकल जांच में कीटोन प्लस 3 पाया गया। ऐसे में धरने में मौजूद लोगों ने उनसे अपील की कि स्वास्थ्य को देखते हुए अनशन तोड़ दें, लेकिन धरना जारी रखें। इसके बाद, कलेक्टर शक्ति सिंह ने पूर्व मंत्री सहित अन्य को जूस पिलाकर अनशन तुड़वाया।
आसपास के सभी कस्बों में भी बंद का असर:सांचौर के अलावा जिले के अन्य छोटे-बड़े कस्बों और बाजारों में भी बंद का व्यापक असर देखा गया। निजी स्कूलों ने छुट्टी की घोषणा की, जबकि सरकारी स्कूलों के छात्र अपने स्कूलों के मुख्य द्वार पर ताले लगाकर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। इस आंदोलन में बच्चे भी सक्रिय रूप से भागीदारी कर रहे हैं और जिले को बनाए रखने के समर्थन में सड़कों पर उतरे हैं।
प्रशासन की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था:बंद और धरना प्रदर्शन को देखते हुए जिले में प्रशासन और पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। जिला प्रशासन हालात पर कड़ी नजर बनाए हुए है और किसी भी अप्रिय घटना को टालने के लिए सतर्क है। जिला कलेक्टर शक्ति सिंह ने स्थिति पर निगरानी रखने के लिए दो कार्यपालक मजिस्ट्रेट नियुक्त किए हैं।
सांचौर को जानिए:सांचौर गुजरात बॉर्डर क्षेत्र से सटा हुआ हैं। यहां किसी जमाने में सजा के तौर पर सरकारी कर्मचारियों की पोस्टिंग हुआ करती थी, लेकिन धीरे धीरे समय के साथ सांचौर विकास की ओर अग्रसर हो गया। अब नर्मदा नहर आने के बाद चारों तरफ हरियाली है। गुजरात नजदीक होने के कारण उद्योग धंधे भी बढ़ गए है। वहीं विश्व की सबसे बड़ी गोशाला का खिलाफ भी सांचौर के नाम है।
सांचौर जिले के पास पथमेड़ा गांव में स्थित गोधाम महातीर्थ आनंदवन पथमेड़ा, जो आज गोसेवा को लेकर देश ही नहीं विश्व में भी एक प्रेरणा है हजारों की संख्या में गोवंश की कई सालों से सेवा की जा रही है। इतना ही नहीं गोलासन नंदी शाला में हजारों नदीयों की भी सेवा की जा रही है। सांचौर के पथमेड़ा में आज के समय एक लाख से अधिक गोवंश है।
सांचौर जिले की जीवन दायिनी नर्मदा नहर:1993 में नर्मदा नहर के प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई और इस जिले का भाग्य तब जागा जब 2008 में इस नर्मदा नहर का उद्घाटन किया था। सांचौर में जैसे ही खेती की पैदावार होनी शुरू हुई तो बच्चों की पढ़ाई से लेकर कारोबार भी बढ़ने लगा और जैसे ही सांचौर से नेशनल हाईवे 68 निकला तो सांचौर विधानसभा के चार चांद लग गए। गुजरात से सरदार सरोवर बांध से निकलने वाली नर्मदा नहर ने मारवाड़ के लिए वाकई कमाल कर दिया। इसी की बदौलत जालोर और बाड़मेर की प्यास बुझ रही है खेतों में हरियाली है।
सुखा बंदरगाह बना तो भारत में अलग पहचान होगी सांचौर की:यहां पर पहले सुखा बंदरगाह बनने की चर्चा बहुत चली। भविष्य में सुखा बंदरगाह बनता है तो यह सांचौर के लिए सौभाग्य की बात होगी। यह बन गया तो सांचौर की भारत में अलग ही पहचान बन जायेगी। वहीं मुंद्रा पोर्ट में विदेशों से आने वाला सामान इस सूखे बंदरगाह में उतरेगा। इससे लोगों आम जरूरतों का सामान के ट्रांसपोर्ट का खर्चा भी कम हो जाएगा।
16वां कन्जर्वेशन है रणखार:प्रदेश में पहले 15 कन्जर्वेशन थे। 16वां रणखार को बनाया गया है। यह चितलवाना उपखंड के खेजडियाली ग्राम पंचायत में स्थित है। सरकार ने यहां पर रणखार कन्जर्वेशन के लिए 7 हजार 2 सौ 88.61 हेक्टेयर जमीन को कन्जर्वेशन रिजर्व घोषित किया गया।
एक्सप्रेस-वे व सांचौर अहमदाबाद रोड के कारण उद्योग को बढ़ावा मिला:सांचौर गुजरात के नजदीक होने का फायदा मिला कि इस क्षेत्र के लोगों को रोजगार सीमावर्ती शहरों में मिल जाता था, लेकिन धीरे धीरे गुजरात को कनेक्टिविटी अच्छी हुई। सड़कों के कारण अब स्टील का उद्योग भी सांचौर में बढ़ रहा है। अहमदाबाद से सांचौर सिक्स लेन रोड बनने के बाद स्टील का उद्योग ज्यादा बढ़ेगा।
लूणी नदी का पूरा बहाव क्षेत्र सांचाैर में:पहले लूणी नदी जालोर के गांवों से गुजरती थी, लेकिन अब सांचौर जिला बनने के बाद लूणी नदी का बहाव क्षेत्र पूरा सांचौर जिले में आ गया हैं। बाड़मेर जिले से लूणी नदी अब सीधे बागोड़ा के पास से सांचौर जिले में प्रवेश करेगी गोगाजी की ओरडी शहर में गोगाजी की ओरडी है। इसके सवाल आईएएस के परीक्षा में भी पूछा जा चुका है कि गोगाजी की ओरडी किस जिले में है। पहले यह जालौर जिले का पार्ट था, लेकिन अब सांचौर जिले में हो गई है।गोलासन हनुमानजी का मंदिर:सांचौर जिले के गोलासन ग्राम में स्थित प्राचीन विशाल हनुमानजी मंदिर उपखंड क्षेत्र ही नहीं बल्कि आसपास के क्षेत्रों की जनता के आस्था का केन्द्र बना हुआ है। मंदिर में हर पूर्णिमा को मेला लगता है। मंदिर करीब 700 वर्ष पुराना बताया जा रहा है