सवाई माधोपुर। राज्य सरकार ने पशुपालकों को लाभ दिलाने की मंशा से मंगला पशु बीमा योजना शुरू की थी। अब यह शुरु होने से पहले से प्रदेश में दम तोड़ रही है। इससे पहले सरकार ने मुख्यमंत्री कामधेनु बीमा योजना को अघोषित रूप से बंद कर दिया है। कामधेनु बीमा योजना की जगह सरकार ने मंगला पशु बीमा योजना लागू की है, लेकिन नई योजना की अब तक गाइडलाइन नहीं आ सकी है। जिससे सवाई माधोपुर के पशुपालकों को भी परेशानी झेलनी पड़ रही है। जिले में 69 हजार 590 पशुओं का रजिस्ट्रेशन योजना के तहत कई जिलों में आवेदन लिए गए, लेकिन इनकी न उचित स्क्रीनिंग हो पाई और न बीमा हो पाया। पूर्व में कांग्रेस सरकार की ओर से लगाए गए महंगाई राहत शिविर में 90 लाख परिवारों के 1 करोड़ से ज्यादा दुधारू गाय व भैंस के बीमा के लिए पंजीयन करवाए गए थे। इसी कड़ी में सवाई माधोपुर जिले में 69 हजार 590 पशुओं का रजिस्ट्रेशन हुआ था। इसमें से केवल 19 पशुओं का ही बीमा हो पाया है। इसके बाद वेटनरी डॉक्टरों की हड़ताल, पशुधन सहायकों को प्रशिक्षण नहीं मिलने और चुनावी आचार संहिता लगने से पशुपालकों को योजना का कोई लाभ नहीं मिला था।
लंपी से हुई पशुओं की मौत का नहीं मिला मुआवजा पूर्व में लम्पी संक्रमण से लाखों रुपए की कीमत वाले दुधारू पशु गंवा चुके पशुपालकों को निजी बीमा कंपनियों को प्रीमियम की मोटी रकम चुका कर दुधारू पशुओं का बीमा करवाना पड़ रहा है। लम्पी संक्रमण काल के दौरान वास्तविक रूप से मरने वाले मवेशियों के मुआवजा राशि भी अभी तक अटकी पड़ी हुई है। यह है कामधेनु बीमा योजना मुख्यमंत्री कामधेनु बीमा योजना में एक परिवार से अधिकतम दो-दो दुधारू पशुओं का बीमा कवर होना था। दुधारू पशुओं की मृत्यु पर अधिकतम 40 हजार रुपए प्रति पशु बीमा मिलना था। योजना में वार्षिक 8 लाख रुपए आय वाले पशुपालक शामिल किए। इसकी प्रीमियम राशि सरकार को वहन करनी थी। मामले को लेकर वेटरनरी डॉक्टर ज्योति गुप्ता का कहना है कि मुख्यमंत्री ने बजट में मंगला पशु बीमा योजना घोषित की थी। योजना की अभी गाइडलाइन नहीं आई है। सरकार से आदेश मिलने पर ही पशुओं का बीमा किया जाएगा।