स्कूल व्याख्याता को प्रधानाचार्य के पद पर पदोन्नति से वंचित किए जाने के मामले का राजस्थान सिविल सेवा अपील अधिकरण (रेट) ने निपटारा कर माध्यमिक शिक्षा विभाग को आदेश दिया है कि प्रार्थी को नियमानुसार प्रधानाचार्य के पद पर पदोन्नति दी जाएं। प्रार्थी रमेश वशिष्ठ के अधिवक्ता संदीप कलवानिया ने बताया कि माध्यमिक शिक्षा विभाग ने प्रार्थी की वर्ष 2014 में वरिष्ठ अध्यापक से व्याख्याता (हिंदी) के पद पर पदोन्नति कर दी गई और पदोन्नति आदेश की पालना में प्रार्थी ने व्याख्याता (हिंदी) के पद पर कार्यग्रहण कर लिया। इसके एक वर्ष बाद विभाग ने प्रार्थी को व्याख्याता (अंग्रेजी) के पद पर भी पदोन्नति दे दी गई। आदेश की पालना में प्रार्थी ने व्याख्याता (अंग्रेजी) के पद पर भी कार्यग्रहण कर लिया। इस प्रकार विभाग ने प्रार्थी की व्याख्याता के पद पर ही दो बार पदोन्नति कर दी गई। जबकि विभाग को प्रार्थी की व्याख्याता (अंग्रेजी) के पद पर पदोन्नति नही की जानी चाहिए थी। अधिवक्ता कलवानिया ने दलील दी कि विभाग ने प्रार्थी की प्रथम बार पदोन्नति वर्ष 2012-13 की वरिष्ठता सूची के आधार पर की गई थी और प्रार्थी के समान वरिष्ठता वाले सभी व्याख्याताओं की पदोन्नति प्रधानाचार्य के पद पर कर दी गई लेकिन विभाग ने प्रार्थी को प्रधानाचार्य के पद पर पदोन्नति से वंचित कर दिया है। जो अनुचित एवं विधि विरुद्ध है। अधिवक्ता कलवानिया ने बताया कि विभागीय गलती के कारण प्रार्थी को प्रधानाचार्य के पद पर पदोन्नति से वंचित किया जा रहा है और विभाग की लापरवाही के कारण प्रार्थी को एक ही पद पर दो बार पदोन्नति दे दी गई। जबकि वह वर्ष 2012-13 की वरिष्ठता सूची के अनुसार प्रधानाचार्य के पद पर पदोन्नति पाने का हकदार है। वर्ष 2012-13 में व्याख्याता के पद पर पदोन्नत होने वाले सभी व्याख्याताओं को प्रधानाचार्य के पद पर पदोन्नति दे दी गई और प्रार्थी अब भी व्याख्याता के पद पर ही कार्यरत है। इस पर अधिकरण के अध्यक्ष विकास सीताराम भाले एवं सदस्य शुचि शर्मा ने अपील को स्वीकार कर प्रार्थी की वरिष्ठता की गणना वर्ष 2012-13 से कर तीन महीने में प्रधानाचार्य के पद पर नियमानुसार पदोन्नति देने के आदेश दिए है।
Author: AKSHAY OJHA
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