बाड़मेर। अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश संख्या दो बाड़मेर की ओर से 14 साल पुराने मामले में वारंट तामील नहीं करवाने पर संबंधित पुलिस थानाधिकारी और कांस्टेबल को दंडित किया गया है। मामले के अनुसार कोर्ट में विचाराधीन सेशन प्रकरण 37/2011 सरकार बनाम चिमाराम वगैरह में गवाह के नाम जारीशुदा वारण्ट पर तामील के लिए थानाधिकारी पुलिस थाना गिड़ा को भेजा गया था। लेकिन उक्त वारण्ट तय पेशी तारीख को तामील नहीं करवाया गया। इस पर संबंधित पुलिस थाना गिड़ा, जिला बालोतरा के थानाधिकारी देवाराम को कारण बताओ नोटिस जारी किया। जिस पर थानाधिकारी के प्रत्युतर को अंसतोषजनक मानते हुए न्यायालय आदेशों की अवज्ञा मानते हुए थानाधिकारी और संबंधित तामील कुनिंदा कांस्टेबल शेम्भूराम को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।
उक्त कार्यवाही पर न्यायालय के पीठासीन अधिकारी पीयूष चौधरी आर.एच.जे.एस. ने अंतिम सुनवाई करते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय (हाईकोर्ट) के निर्देशानुसार पुराने प्रकरणों के त्वरित निस्तारण में संबंधित थानाधिकारी को प्रेषित गवाह के वारण्ट तामील जानबूझकर नहीं करवाए गए। साथ ही नियत तारीख पर न्यायालय के समक्ष जानबूझकर पेश नहीं करना साबित पाया। इस पर न्यायाधीश ने पुलिस थाना गिड़ा के थानाधिकारी देवाराम और तामील कुनिंदा कांस्टेबल शेम्भूराम को एक हजार रुपये का अर्थदण्ड से दण्डित किया। अर्थदण्ड अदा नहीं किए जाने की स्थिति में दोनों को एक माह का साधारण कारावास भुगतना पड़ेगा।हालांकि कोर्ट के आदेश के बाद थानाधिकारी देवाराम और कांस्टेबल शेंभूराम की ओर से एक हजार रुपए का अर्थदंड भर दिया गया है।