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March 14, 2025 11:53 pm


5 क्विंटल जलती लकड़ी की आग पर डांस : दावा- सनातन धर्म को साबित करने के लिए औरंगजेब ने किया था चैलेंज

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Pankaj Garg

सच्ची निष्पक्ष सटीक व निडर खबरों के लिए हमेशा प्रयासरत नमस्ते राजस्थान

भीलवाड़ा। 5 क्विंटल सूखी लकड़ियों से गांव के चौक पर अंगारों की सेज सजाई गई। इसके बाद दहकते अंगारों और लपटों के बीच नाथ संप्रदाय के अनुयायी नाचते हुए निकले। यह भीलवाड़ा का प्रसिद्ध ‘अग्नि नृत्य’ है। जिले के खटवाड़ा गांव में रविवार रात महारुद्र यज्ञ और मंदिर मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के दौरान ये सब हुआ। दावा किया जाता है कि अंगारों पर चलने की यह परंपरा औरंगजेब के राज से चली आ रही है।

भीलवाड़ा के मांडलगढ़ में खटवाड़ा गांव स्थित औघड़नाथजी आसन धाम पर महारुद्र यज्ञ और मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम चल रहा है। सोमवार सुबह देवताओं का पूजन व हवन किया गया। इसके बाद दोपहर में मूर्ति स्थापित की जाएगी। दोपहर में धर्मसभा और महाप्रसादी होगी। रविवार देर रात तक ‘अग्नि नृत्य’ का सिलसिला चलता रहा।

धर्म के प्रति भक्ति को प्रकट करता है अग्नि नृत्य

नाथ संप्रदाय के अनुयायी और बीकानेर निवासी प्रह्लाद नाथ सिद्ध कहते हैं- रविवार शाम 5 क्विंटल सूखी लकड़ी से सेज तैयार की गई थी। अंगारों पर नाथ का नाचना भक्ति भाव को प्रकट करता है। यह डांस देखने के लिए आसपास के कई गांवों के लोग पहुंचे थे। देर रात तक यह कार्यक्रम चला। डांस के दौरान अंगारों पर चलना, अंगारों पर बैठना और अलग-अलग मुद्राओं का प्रदर्शन किया जाता है।

बीकानेर के नाथ समाज के लोग सदियों से यह डांस करते आ रहे हैं। सबसे पहले सत्य और सनातन धर्म को साबित करने के लिए औरंगजेब के सामने हमारे समाज के आराध्य जसनाथ महाराज के शिष्य रुस्तम महाराज ने यह डांस किया था।

औरंगजेब को दिखाया था सनातन की ताकत

प्रह्लाद नाथ ने बताया- जसनाथ महाराज ने 1539 संवत शनिवार को बीकानेर जिले के कतरियासर गांव में दावड़ा सरोवर तालाब के किनारे अवतार लिया था। 12 साल की उम्र में ही वे भक्ति में लीन हो गए थे। देश में मुगलों का राज था। औरंगजेब बादशाह था।

एक बार औरंगजेब ने जसनाथ महाराज को चैलेंज किया। कहा- आपके सनातन धर्म में ताकत है तो दिल्ली में आओ और अपनी ताकत दिखाओ। महाराज के शिष्य रुस्तम महाराज दिल्ली गए। वहां बादशाह ने अंगारों पर नृत्य करने की डिमांड रख दी।

अग्नि डांसके पीछे धर्म बचाने की मान्यता

औरंगजेब ने एक गड्‌ढा खुदवाया। उसमें काफी सारे अंगारे भरे और कहा- इस अग्नि में नृत्य करके दिखाओ। आग की इसी धूनी में रुस्तम महाराज को जसनाथ महाराज के दर्शन हुए। भगवान जसनाथ ने रुस्तम से कहा- बेटा घबराने की कोई बात नहीं, लगा दो अंगारों में छलांग।

तब रुस्तम महाराज ने ‘फतेह-फतेह’ कहते हुए अंगारों पर डांस किया। इतना ही नहीं जलती आग से मतीरा (तरबूज) लेकर बाहर आए। उन्हें आग से जरा भी नुकसान नहीं हुआ। तब औरंगजेब ने भी कहा कि आपके धर्म में ताकत है। तब रुस्तम महाराज ने कहा कि मुझे ताम्रपत्र चाहिए। हमारे सनातन धर्म की जय-जयकार होनी चाहिए। बहन-बेटियों की रक्षा होनी चाहिए। गाय और मंदिरों में सेवा होनी चाहिए। तब औरंगजेब ने ताम्रपत्र लिख दिया।

4 फरवरी को की गई थी अग्नि स्थापना

15 जनवरी को भूमि पूजन और ध्वज, 31 जनवरी को विनायक, 4 फरवरी को अग्नि स्थापना की गई थी। कलश यात्रा भी निकाली गई और शिव महापुराण कथा व झांकी कार्यक्रम हुए।

Author: JITESH PRAJAPAT

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