बांसवाड़ा। बांसवाड़ा-डूंगरपुर सांसद राजकुमार रोत ने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान देश में सभी एयरलाइंस की ओर से मनमाने तरीके से वसूले जा रहे किराये को लेकर मुद्दा उठाते हुए सरकार से स्पष्टीकरण मांगा। उन्होंने कहा कि एक ही फ्लाइट टिकट बुकिंग के दौरान एक ही फ्लाइट का किराया अलग-अलग पड़ता है, जिसमें यात्रियों को भारी तौर पर लुटा जाता है। संसद में सांसद रोत ने देश के विमानन मंत्री से सवाल करते हुए कहा अगर एक ही फ्लाइट में यात्रा करनी है, लेकिन अलग-अलग समय पर बुकिंग करने पर किराए में इतना अंतर क्यों आता है। कभी 10,000 रुपए तो कभी 12,000 या 15,000 रुपए तक का किराया दिखाया जाता है। टिकटों में भारी अंतर का आधार क्या है और सरकार इस पर क्या कदम उठा रही है ? सांसद रोत ने यह भी कहा कि सरकार का यह तर्क कि एयरलाइंस अपने किराए स्वतंत्र रूप से तय करने के लिए स्वतंत्र है, यात्रियों के साथ अन्याय है।
आज देश में अंग्रेजों द्वारा बनाए गए अन्य कानून बदले जा रहे हैं, तो विमानन नियम 1937 के तहत एयरलांइस को दी गई यह स्वतंत्रता क्यों नहीं बदली जा रही ? उन्होंने इस व्यवस्था को एक प्रकार की लूट करार दिया और कहा कि सरकार को इसे नियंत्रित करने की आवश्यकता है।
सांसद ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यदि सरकार वाकई जनता के हित में काम कर रही है. तो उसे एयरलाइंस पर नियंत्रण रखना चाहिए, ताकि आम नागरिकों को भी सस्ती उड़ान सेवा उपलब्ध हो सके। इस पर मंत्री ने जवाब में उड़ान योजना का हवाला देते हुए कहा कि सरकार देश में सस्ती हवाई सेवाओं के लिए प्रयासरत है और इसका उद्देश्य छोटे शहरों को एयरलाइंस नेटवर्क से जोड़ना है। उन्होंने बताया कि देश के कई राज्यों ने विमान ईंधन पर लगने वाले कर (वेट) को कम किया है, लेकिन कुछ राज्य अब भी ऊंचे कर वसूल रहे हैं, जिससे हवाई किराए पर असर पड़ता है। मंत्री ने जवाब देते हुए कहा कि एयरफेयर सिस्टम पूरी तरह डायनामिक फेयर सिस्टम पर आधारित है, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनाया गया है। एयरलाइंस को अपने किराए को मांग और आपूर्ति के आधार पर तय करने की स्वतंत्रता दी गई है।