बिजौलिया। बुधवार रात दो बजे प्रेग्नेंट महिला को प्रसव पीड़ा हुई। टैक्सी मंगवाई पर वह रास्ते में बरसाती कीचड़ में फंस गई। दूसरी टैक्सी मंगवाई वह भी गड्ढ़े में फंस गई। महिला दर्द से करहाती रही। ग्रामीणों ने ट्रैक्टर की मदद से गाड़ी को बाहर निकाला तब जाकर वह घर पहुंची। 8 किलोमीटर दूर हॉस्पिटल में महिला को भर्ती कराया गया, लेकिन इस सफर में 8 आठ घंटे लग गए। ऐसे में किसी भी बड़ी अनहोनी से इनकार नहीं किया जा सकता है। मामला बिजौलिया के तीखी गांव का है।
रामराज ने बताया कि बुधवार रात उनकी गर्भवती बहन को बिजौलिया हॉस्पिटल ले जाना था, लेकिन दर्द से परेशान बहन को अस्पताल ले जाने के लिए बिजौलिया से वैन मंगवाई गई। वैन आधे रास्ते में कीचड़ में फंस गई, जिसे गांव के लोगों ने धक्का देकर बड़ी मुश्किल से बाहर निकाला। ड्राइवर ने आगे जाने से मना कर दिया, इसलिए इमरजेंसी में दूसरी वैन श्यामपुरा गांव से मंगाई गई, लेकिन वह भी आधे रास्ते में कीचड़ में फंस गई। धक्का देने से भी वैन नहीं निकली, इसलिए ट्रैक्टर की मदद से वैन को बाहर निकाला गया। इस प्रकार 8 किलोमीटर का सफर तय करने में 6 से 7 घंटे लग गए। रामराज ने कहा- बहन हॉस्पिटल में भर्ती है, लेकिन सड़क के ऐसे हालात जानलेवा है।
8 किलोमीटर का सफर करना आसान नहीं
ग्रामीण रामराज मीणा ने बताया कि छोटी बिजौलिया ग्राम पंचायत के अधीन आने वाले इस गांव की आबादी लगभग 300 लोगों की है। एक किलोमीटर तक का पहाड़ी रास्ता हाल की तेज बारिश से किनारे से कट गया है। बिजौलिया से 8 किलोमीटर की दूरी तय करना खतरों से खेलने के बराबर है। आजादी के बाद कभी पक्की सड़क नहीं बनी और वर्तमान में सड़क पर जगह-जगह गड्ढे बने हुए हैं। पूरे रास्ते में कीचड़ फैला हुआ है, जिससे दोपहिया वाहन चालक रोज गिरते पड़ते हैं और पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है।
“तहसीलदार इमरान खान ने बताया कि इस तरह की कोई औपचारिक शिकायत अभी तक प्राप्त नहीं हुई है। फिर भी, सड़क की खराब स्थिति की मरम्मत के लिए ग्राम पंचायत और PWD को दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे।”
20 से ज्यादा गांवों के लोग परेशान
रामराज ने बताया कि रास्ता इतना खराब हो गया है कि पैदल चलना भी कठिन हो गया है। पक्की सड़क निर्माण के लिए कई बार शिकायत की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई और सभी सिर्फ आश्वासन दे रहे हैं। सड़क की खराब स्थिति के कारण गांव के बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं और तेज बारिश के कारण लोग घरों में कैद हो गए हैं। श्यामपुरा, मोहनपुरा, बीकरण और माल का खेड़ा पंचायत के करीब 20 गांव के लोग रोजमर्रा के कामकाज के लिए इसी रास्ते से गुजरते हैं, लेकिन सड़क की खस्ता हालत के कारण अब कोई रिस्क नहीं लेता।
महिला को चारपाई ले जाना पड़ा था हॉस्पिटल
पिछले साल भी एक ऐसी घटना हुई थी जिसमें बिजौलिया हॉस्पिटल लाते समय डिलीवरी के दौरान एक महिला को प्रसव पीड़ा हुई थी। गाड़ी वाले ने आने से मना कर दिया था। ऐसे में महिला को चारपाई पर लिटाकर चार लोग कंधे पर रखकर अस्पताल ले गए थे। अब यदि सड़क नहीं बनी तो गांव को खाली करना पड़ सकता है।