जयपुर। स्वायत्त शासन विभाग के डीएलबी ने राष्ट्रीय आजीविका मिशन का कार्य 345 अफसरों सहित सैकड़ों लोगों से काम छीन लिया। हवाला दिया कि योजना ही बंद हो गई। आगे नहीं बढ़ाई। सेवाएं समाप्त की जाती है। वहीं उसी एनयूएलएम योजना का काम प्रदेश के कई शहरों में आज भी चल रहा है। उसका कार्य एनयूएलएम के मानदंडों से कराया जाना आवश्यक है। लेकिन करवाने वाले अफसरों को निकाल दिया। दूसरी खामी यह रही कि अचानक 213 निकायों को कह दिया कि एनयूएलएम से एक पैसा नहीं मिलेगा। अपने स्तर पर सर्दी में सभी शहर कस्बों में रैन बसेरे, पानी, टायलेट, कंबल, रजाई आदि के इंतजाम करो। 18 नवंबर को डीएलबी ने आदेश निकाला कि सभी निकायों के आयुक्त, अधिशासी अधिकारी उनके आदेश की पालना करें। भारत सरकार की डे-एनयूएलएम योजना बंद कर दी गई है। योजना के तहत शक्ति को-आपरेटिव सोसायटी जयपुर के समस्त कार्मिकों की सेवा समाप्त कर दी गई है। सोमवार को डीएलबी ने आदेश निकाला कि अत्यधिक ठंड से जन हानि नहीं हो, इसलिए शीत ऋतु में रैन बसेरों का संचालन राष्ट्रीय आजीविका मिशन (एनयूएलएम) के तहत किया जाना है। डीएलबी डायरेक्टर कुमार पाल गौतम का कहना है कि 5 साल तक का मिशन के तहत सहयोग था। वह खत्म हुआ। अब रैन बसेरे चलाने का काम निकायों को अपने स्तर पर करना है। अब यूएलबी ही रैन बसेरे चलाएगी। गाइड लाइन आजीविका मिशन की चलेगी। अब भी मिशन के 6 निकायों में का काम चल रहा है।
रैन बसेरा संचालन से जुड़े हैं 1000 लोग
प्रदेश में एनयूएलएम और रैन बसेरों से करीब 1000 अफसर, कार्मिक जुड़े हैं। डीएलबी ने 72 जिला मिशन प्रबंधक, 267 सामुदायिक संगठकों, 6 राज्य मिशन प्रबंधकों व संचालन से जुड़े करीब 700 लोगों की सेवाओं पर गाज गिरा दी।
स्थाई नहीं है तो किराए पर लेना होगा
डीएलबी ने सोमवार को आदेश निकाला जिसमें लिखा है कि यदि निकाय में स्थायी रैन बसेरा नहीं है तो किराए पर लिया जाए। लेकिन रैन बसेरा खोलना ही होगा। रैन बसेरा भी रेलवे स्टेशन, भीड़ वाले मुख्य स्थानों पर स्थापित करने हैं।