अलवर। शहर के बीचोंबीच स्थित RR कॉलेज में दो दिन पहले दिखे लेपर्ड को ढूंढ़ने के लिए वन प्रशासन की मशक्कत जारी है। कॉलेज भवन के जंगल में बने मंदिर की तरफ पिंजरा भी लगाया और उसमें शिकार को भी बांधा। लेकिन लेपर्ड नहीं फंसा। इसके अलावा कैमरा ट्रैप से लेपर्ड को ढूंढ़ने में लगे हैं। अभी कॉलेज के अंदर जंगल की तरफ आने-जाने पर रोक है। रविवार शाम करीब साढे़ 5 बजे और सोमवार सुबह करीब 6 बजे लेपर्ड के पगमार्क दिखे थे। शाम को आरआर कॉलेज में घूमने आई दो महिलाओं ने लेपर्ड देखा था। उसके बाद वनकर्मियों की टीम यहां पहुंची थी और पगमार्क देखकर लेपर्ड होना कन्फर्म किया था। अगले दिन सोमवार सुबह वनकर्मी पहुंचे और उन्होंने आसपास पगमार्क देखे। तब जंगल के अंदर बने मंदिर परिसर में ताजा पगमार्क दिखे। यानी की सुबह 6 बजे के आसपास भी लेपर्ड यहीं था। अब उसे पकड़ने के लिए कैमरे और पिंजरे लगाने की तैयारी चल रही है। अलवर डीएफओ सहित अन्य वनकर्मी लेपर्ड को पकड़ने की तैयारी में जुट गए हैं।
इन महिलाओं ने शाम को देखा था
प्रत्यक्षदर्शी महिला शकुंतला देवी ने बताया कि लेपर्ड ही था। तेजी से एक गेट से निकल कर दूसरे में चला गया। हम वाॅक कर आ रहे थे। तब अचानक लेपर्ड सामने से निकल गया। हमने बाहर एनसीसी के कैडेट्स को बताया। इसके बाद वनकर्मियों की टीम वहां पहुंची है। दूसरी महिला कुंती चौधरी ने बताया कि हम वॉक कर वापस आ रहे थे। तभी मुख्य गेट के पास से लेपर्ड निकला है। अब वनकर्मियों ने भी पगमार्क देखे हैं। उन्होंने भी लेपर्ड ही बताया है। ये लेपर्ड कुत्ते से बड़ा था। लेकिन लंबाई काफी थी। अंदर जंगल में ही चला गया।
रात को रेंजर, सुबह वन पाल में पगमार्क देखे
रात को रेंजर शंकर सिंह ने बताया कि लेपर्ड होने की सूचना कॉलेज से मिली थी। हमने पगमार्क देखे हैं। पगमार्क लेपर्ड की लगते हैं। यहां आरआर कॉलेज का जंगल है। सोमवार सुबह वनपाल भीम सिंह पहुंचे। जिन्होंने आरआर कॉलेज के जंगल में बने हनुमानजी मंदिर परिसर में लेपर्ड के ताजा पगमार्क देखे हैं। भीम सिंह ने बताया कि अब कैमरा ट्रैप लगा रहे हैं। पिंजरे भी मंगाए गए हैं।
सुबह से एग्जाम चल रहा
खास बात यह है क आरआर कॉलेज में सुबह से एग्जाम है। दो पारियों में यहां 1 हजार से अधिक अभ्यर्थी एग्जाम देने आएंगे। दूसरा सुबह के समय घूमने आने वालों को रोका गया। सबको बताया गया कि जंगल में लेपर्ड आ गया है। अंदर जाने से खतरा है। इस कारण घूमने आने वालों को रोका गया है। वनकर्मियों का कहना है कि अब जंगल में आमजन को नहीं जाना चाहिए। लेपर्ड कभी भी हमला कर सकता है।
डीएफओ ने कहा – सुबह भी पगमार्क मिले
DFO राजेंद्र हुड्डा ने बताया कि कॉलेज परिसर के चारों तरफ करीब 50 हैक्टेयर का जंगल हैं। अंदर पानी व वन्यजी हैं। यहां लेपर्ड का मूवमेंट है। सरिस्का से टीम बुला ली है। जल्दी हम इसे ट्रैंकुलाइज कर जंगल में छोड़ा जाएगा। अभी लेपर्ड को एक बार ही देखा गया है। अब सुबह भी पगमार्क मिले हैं।