चित्तौड़गढ़। दुर्ग हर जगह अपनी अमिट छाप छोड़ता है। यहां का इतिहास सभी को अपनी और आकर्षित करता है। लेकिन पिछले कई दिनों से दुर्ग पर हो रही गंदगी से पर्यटक सिर्फ नाराज ही नहीं बल्कि परेशान हो रहे है। हाल ही में इंग्लैंड से आए NRI रिटायर्ड डॉक्टर ने दुर्ग पर लगी पट्टिका पर जमी धूल देखी तो खुद ने उसकी सफाई की। इतना ही नहीं, उन्होंने आसपास पड़े कचरे को भी उठाकर डस्टबिन में डाला। इस दौरान उन्होंने कहा कि हमें अपने धरोहर को साफ सुथरा रखना चाहिए। उन्होंने बंदरों को भी मॉन्यूमेंट्स के पास केले और अन्य खाने के सामान देने पर नाराजगी जताई।
NRI रिटायर्ड डॉक्टर ने साफ की इतिहास की पट्टिका
चित्तौड़गढ़ दुर्ग अपने आर्किटेक्चर और अपने इतिहास के कारण देश में चर्चित है। यहां सिर्फ देश से ही नहीं, विदेश से भी पर्यटक आते है। दुर्ग पिछले दिनों अतिक्रमण बढ़ने को लेकर भी चर्चित रहा। वर्ल्ड हेरिटेज में आने वाले चित्तौड़ दुर्ग की देखरेख ASI द्वारा की जाती है। यहां नगर परिषद का वार्ड भी है। लेकिन इसके बावजूद भी दुर्ग पर सफाई की काफी कमी देखी जाती है। अफसोस कि बात यह है कि बाहर से आने वाले पर्यटक खुद यहां सफाई करते हुए दिखाई दिए। इंग्लैंड से आए NRI रिटायर्ड डॉक्टर अरविंद और उनकी पत्नी सुजैन चित्तौड़गढ़ घूमने के लिए आए थे। यहां आकर उन्होंने दुर्ग पर लगाई हुई इतिहास पट्टिका पर धूल मिट्टी जमी हुई देखी। इसके अलावा दुर्ग पर जगह-जगह कचरा बिखरा हुआ देखा। ऐसे में रिटायर्ड डॉक्टर ने अपने साथ लाए वाइप से पट्टिका की सफाई शुरू कर दी। आसपास फैले हुए कचरे को उठाकर डस्टबिन में डाला।
पर्यटक बोले – मंदिर में भी लगाया था झाड़ू
NRI ने कहा कि हमें अपने धरोहर को साफ सुथरा रखना चाहिए। उन्हें सफाई पसंद है इसलिए वो गंदगी नहीं देख सकते। मंदिर में भी प्रसाद बेचने वालों से जब उन्होंने झाड़ू मांगा तो उन्हें बताया गया कि यहां सफाई के लिए अलग लोग है। रिटायर्ड डॉक्टर का कहना है कि उन्होंने इस भरोसे नहीं छोड़ा और खुद ने मंदिर में झाड़ू लगाया है। उन्हें चित्तौड़गढ़ दुर्ग का टूर गाइड त्रिलोक सालवी ने करवाया। गाइड त्रिलोक सालवी ने बताया कि उन्हें चित्तौड़गढ़ का इतिहास काफी इंटरेस्टिंग लगा। यहां के बारे में जानकर वे दोनों बहुत खुश हुए। बता दे कि बाहर से आने वाले पर्यटकों की अधिकतर सफाई को लेकर शिकायत रहती है। इससे पहले भी पैलेस ऑन व्हील्स में आए विदेशी पर्यटकों ने इसका फीडबैक दिया था। जिसके बाद शाही ट्रेन के डायरेक्टर ने जिला कलेक्टर और ASI के नाम एक लेटर लिखकर इसकी शिकायत की थी।
जंगल में बंदरों को खिलाए खाना
दुर्ग पर स्थित हर मॉन्यूमेंट्स के पास बंदरों की काफी संख्या देखी जाती है। यहां आने वाले पर्यटक बंदरों को केला या अन्य खाने का सामान भी देते हैं। जिसके कारण बंदरों का मॉन्यूमेंट्स के पास आना जाना काफी लगा रहता है। NRI पर्यटक ने नाराजगी जताते हुए कहा कि बंदरों को मॉन्यूमेंट्स के आसपास खाने का कोई भी सामान नहीं दिया जाना चाहिए। ASI को इस पर रोक लगनी चाहिए। बंदरों को जंगल की ओर खिलना पिलाना चाहिए। हम खुद अपने धरोहर को गंदा दिखा रहे हैं। पिछले दिनों विजय स्तंभ पर प्लास्टिक के कील लगाई गई थी ताकि बंदर ऊपर ना चढ़ सके लेकिन यह आइडिया भी फेल ही हो गया है।