बाड़मेर। राजस्थान विधानसभा के बजट सत्र के शून्यकाल में पर्ची के जरिए बाड़मेर जिले के निर्दलीय रविंद्र सिंह भाटी ने सोलर पावर प्लांट और हाईटेंशन लाइन लगाने का मुद्दा उठाया। कहा कि इस इलाके में कई हाईटेंशन लाइनें निकल रही हैं, आप लाइनें निकालिए, हम विकास के विरोधी नहीं है, लेकिन किसानों को उचित मुआवजा दें। जमीन लेने के लिए पुलिस प्रशासन उन इलाकों में किसानों को धमका रहा है। सरकारी मुआवजे का नियम बना हुआ है, उसमें संशोधन करने की जरूरत है।
किसानों को उचित मुआवजा देने की बजाए परेशान किया जा रहा
भाटी ने कहा कि वर्तमान में बाड़मेर, जैसलमेर और बीकानेर सहित पश्चिमी राजस्थान के किसानों के साथ बहुत बड़ा कुठाराघात हो रहा है। वर्तमान सरकार किसानों को लेकर संवेदनशील है। इन क्षेत्र में बड़ी हाईटेंशन लाइनें निकल रही है। लेकिन इसकी एवज में किसानों को पूरा मुआवजा नहीं मिल रहा है। बल्कि किसानों को परेशान और हताश किया जा रहा है। यह काम किसी न किसी योजनाबद्ध तरीके से हो रहा है। जो सर्वे हुआ उसको छोड़कर बाकी जगह अवैध तरीके से यह काम हो रहा है। सरकार को किसी और ध्यान रखा जाना चाहिए। हमारे अन्नदाता है, उनके हक और अधिकारों की रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है। प्रदेश की सरकार इसको लेकर एक कोई ठोस कदम उठाए।
सरकार की गाइडलाइन को कंपनियां फॉलो नहीं कर रही है
भाटी ने कहा कि सरकार की जो गाइडलाइन है। उसको किसी भी तरीके से फॉलो नहीं किया जा रहा है। यह वास्तव में चिंता का विषय है। साथ ही कंपनियों को जो जमीन चाहिए, उनके लिए जमीन का छोटा टुकड़ा होगा। लेकिन किसी अन्नदाता के लिए वह उसके जीवन जीने का आधार है। इसके लिए किसानों को उसका हक और अधिकार पूरी तरीके से मिले। हमारे क्षेत्र में किसानों के पास भूमि बहुत कम है। कई ऐसे किसान है, जिनके पास 5 से 7 बीघा जमीन है। एक पोल की वजह से वो जमीन पूरी कवर हो जाती है। जिसके कारण वो खेती करने में भी असमर्थ हो जाता है।
मुआवजे से सहमत नहीं होने पर किसानों को धमकाया जा रहा है
विधायक ने कहा कि हाईटेंशन लाइनें निकालें, लेकिन कम से कम उस किसान को पूरा मुआवजा दें। वर्तमान में जो किसान मुआवजे से सहमत नहीं होता है। पुलिस व प्रशासन की ओर से दबाव बनाया जा रहा है। धमकाने की आए दिन ऐसी घटनाएं सामने आ रही है। एक अन्नदाता को इस तरीके से परेशान करना ठीक नहीं है। मेरी मांग है कि हमारे अन्नदाता बार-बार दर-दर की ठोकरें नहीं खाए। इसके लिए हमें उनकी बात को मजबूती से इनकी बात को आगे तक रखना चाहिए।
मुआवजे के नियम में संशोधन की जरूरत है
भाटी ने मांग की मुआवजे को लेकर एक नियम बनाया उसमें संशोधन करने की जरूरत है। किसानों को उनके हक और अधिकारियों के तहत मुआवजा मिलें। आप उचित मुआवजा दो, आप हाईटेंशन लाइनें निकालो, हम विकास के विरोध में नहीं है। विकास के नाम पर किसान के साथ में इस तरीके से अनैतिक घटनाएं घटित होती है। यह चिंता का विषय है। यह बाड़मेर का नहीं बल्कि पश्चिमी राजस्थान का है। मुझे लगता है संवेदनशील सरकार आने वाले समय किसानों के हित में फैसला लेंगी।