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August 1, 2025 7:05 pm


13 करोड़ के लेनदेन में एक और आरोपी गिरफ्तार

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Pankaj Garg

सच्ची निष्पक्ष सटीक व निडर खबरों के लिए हमेशा प्रयासरत नमस्ते राजस्थान

बांसवाड़ा। जिले की साइबर थाना पुलिस ने 11 खाताधारकों के निष्क्रिय बैंक खातों से साइबर ठगी के 13 करोड़ के लेन-देन मामले में एक और बड़ी कार्रवाई करते हुए बाहुबली कॉलोनी के अविनाश जैन को गिरफ्तार किया है। अविनाश पर आरोप है कि वह बैंक से कैश विड्रॉ करने के बाद हवाला के जरिए इन रुपयों को दुबई प्रेम दोसी के पास भेजता था। रिमांड पर चल रहे मुख्य आरोपी अमन ने पूछताछ में अविनाश का जिक्र किया था। इसके बाद साइबर पुलिस ने यह कार्रवाई की। अविनाश की शहर में गहनों की दुकान है। अमन निष्क्रिय बैंक खातों में साइबर ठगी के रुपए जमा करवाता। खातों में रुपए जमा होने का मैसेज मिलने के बाद अविनाश अपनी दुकान पर काम करने वाले 2 कर्मचारियों को कैश विड्रॉ कराने के लिए भेजता। जहां बैंक में पूर्व बैंक कर्मचारी दिव्यांशु सोलंकी और उपशाखा प्रबंधक मेगनेश जैन की मदद से फर्जी तरीके से कैश विड्रॉ करवा लिया जाता। अविनाश ने भी शुरुआती पूछताछ में इसे कबूलते हुए बताया कि कैश मिलने के बाद प्रेम का उसको इंटरनेशनल कॉल आता था। बाद में उसके आदमी आकर रुपए ले जाते थे। दरअसल, अमन बिनेंस एप के जरिए दुबई में प्रेम दोसी यूएसडीटी (डिजीटल करेंसी) मांगता, फिर अपने बिनेंस ऐप पर उसे सेल आउट कर देता।

आशंका है कि साइबर ठग इसे खरीदते। साइबर फ्रॉड से प्राप्त रुपयों को फिर मेगनेश और दिव्यांशु की मदद से निष्क्रिय पड़े बैंक खातों में जमा करवाया जाता। इसके बाद इन्हें अमन विड्रॉ करवाकर मोटी रकम अविनाश के जरिये दुबई प्रेम के पास भेजता। इसमें अमन की कमीशन की भूमिका हो सकती है। डिजीटल करेंसी के जरिए इंटरनेशनल स्तर पर रुपयों का ट्रांजैक्शन होता है। इसलिए पुलिस की पकड़ से बचने के लिए भी साइबर अपराधी यह तरीका इस्तेमाल कर रहे हो। इंडिया में क्रिप्टो करेंसी की ट्रेडिंग प्रतिबंधित है। ऐसे में अब साइबर पुलिस संबंधित ऐप कंपनी से अमन के खाते से किन-किन लोगों ने डिजीटल करेंसी खरीदी, इसकी जानकारी जुटा रही है। साइबर थाना प्रभारी सीआई देवीलाल मीणा ने बताया कि अविनाश और अमन से पूछताछ की जा रही है। इस केस में डिजीटल करेंसी का इस्तेमाल साइबर ठगी से प्राप्त रुपयों को एक नंबर करने में या साइबर ठगों को दुबई भेजने के लिए इस्तेमाल करने की आशंका है। इस अंतरराष्ट्रीय गिरोह में और कौन-कौन शामिल हैं, इसकी जानकारी जुटाई जा रही है।

Author: JITESH PRAJAPAT

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