भीलवाडा नगर परिषद / नगर निगम कि जांच को क्यों किया जा रहा हैं लंबित , क्यों बचाया जा रहा हैं अधिकारियो को कौन -कौन है पर्दे के पिछे….?
जांच अधिकारी द्वारा जारी यूओ नोट व जांच आदेशो को क्यों दबाया जा रहा है पत्रावलियों के नीचे….?
भीलवाड़ा। सीएमओ कार्यालय के भीलवाडा नगर परिषद के आला अधिकारियों की पद का दुरुपयोग व भ्रष्टाचारी शिकायतों के चलते निदेशालय स्थानिय निकाय एवं स्वायत शासन विभाग के उप. निर्देशक (सांक्खिकी) व अति. प्रशासनिक अधिकारी द्वारा जारी यूओ नोट के परिपेक्ष में राजस्थान सरकार के स्वायत शासन विभाग के सहायक निदेशक (सतर्कता) शिलावती मीणा द्वारा जारी आदेश दिनांक – 23.08.2024 उप निदेशक (क्षेत्रीय) स्थानीय निकाय विभाग अजमेर व दिनांक – 05.09.2024 उप निदेशक (क्षेत्रीय) स्थानीय निकाय विभाग जयपुर को जांच हेतु पत्र लिखा लेकिन ऐसे क्या अदृश्य कारण बने या ऐसी क्या अधिकारियों ने अदृश्य सेवाओ से लाभांवित हुए कि आदेशों को ताक में रख दिया और जांच करने में असक्ष्म व असहाय नजर आने लगे क्या राजस्थान कि वर्तमान सरकार में अफसर साही इतनी हावी है कि राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री की जीरो – जीरो टोलरेन्स नीति की अपने नीजि अदृश्य लाभो के चलते जांच करने से क्यो घबरा रहे हैं….? क्या भ्रष्टाचारी सरकार पर हमसलाह एक राय होकर इतने हावी है या इसके पिछे और कोई बडा संरक्षण प्राप्त हैं। शिकायत के विषय में अगर जांच अधिकारी निष्पक्ष होकर दस्तावेजों का भी सूक्ष्मता से अवलोकन कर लेगा तो अधिकारी को कई जाने की जरुरत नहीं पडेगी और दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा कल दिनांक – 23.09.2024 को इसी क्रम में कांग्रेस के पूर्व पार्षद पीसीसी सदस्य मनोज पालीवाल ने भी ढोल नगाडो के साथ इसी क्रम में हो रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बूलन्द कि थी लेकिन आयुक्त नगर निगम भीलवाडा अदृश्य कारणों के चलते मौके से अदृश्य हो गए थे जिसके फलस्वरुप उनके चेंबर के बहार एक घण्टें तक नारे बाजी हुई और उनके चेम्बर के द्वार पर न मिलने के कारण प्रार्थना पत्र का चस्पा किया गया….? विडम्बना देखिये कि एक और तो नगर परिषद भीलवाडा द्वारा गांधी सागर तालाब के निकट व्यवसायिक भूखंड बनाकर नियमों के अर्तगत निलामी की गई और एनजीटी ने स्थगन आदेश दे दिया तो नियमानुसार बेचे गए भूखंडों को जिस पर आमजन कि खून पसीने की गाडी कमाई लगी हुई थी और नियमानुसार बेचे भूखडो का पेटे मे होना बताकर न मानचित्र स्वीकृत किया न ही निर्माण कार्य चालू होने दिया….? वहीं दूसरी और गायत्री माता मंदिर के पास तालाब के पेटे के भूखंड का सामने कि आराजी बताते हुए पट्टा बना दिया और निगम के आला अधिकारी फिर भी अपने आप को राजा हरीशचंद्र कहलाने में भी संकोच करने से कतराते व घबराते। शायद ही राजस्थान में भीलवाडा नगर परिषद / नगर निगम से बडा भ्रष्टाचारी नहीं होगा फिर भी उप निदेशक (क्षेत्रीय) अजमेर, जयपुर क्यों नहीं कर रहे जांच बडे संदेह का विषय यहां तो यह कहावत लागू होती हैं। जब बाड ही खेत को खाने लग जाए तो उस खेत का रखवाला कौन होगा या फिर जब सैया कोतवाल तो डर काहेकाश् इससे लगता है कि मुख्यमंत्री की जीरो टोलरेन्स नीति का किसी अधिकारी को कोई डर नहीं हम तो सिर्फ वो ही करेगे जिससे हमारी दिन दोगुनी रात चोगुनी तरक्की होगी भलेही राजकोष का नुकसान हो तो हो लेकिन हम तो हमसलाह एक राय होकर एक दुसरे के पक्ष में ही काम करेगे….? अगर सरकार के आदेश होने के बावजूद भी जो जांच अधिकारी समय पर जांच नहीं कर टालम टोल करते हैं क्यो नहीं सरकार अधिकारियों के खिलाफ अपनी बनाई नीति का नजर अंदाज करने के मामले में कोई बडा संज्ञान लेने से कतराती हैं साथ ही जिले के आला अधिकारी की भी ऐसी क्या मजबूरी होती हैं जो कि दिखते भ्रष्टाचार को अनदेखा कर भ्रष्टाचारियों के होसले बूलन्द करते है….?
Author: Namaste Rajasthan PANKAJ GARG
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