जयपुर। बाजार में इन दिनों मसालों, खाद्य तेल और अन्य खाद्य पदार्थों के साथ गरीबों की दाल पर भी महंगाई का तड़का लग गया। महंगाई की इस मार से आमजन तो परेशान हैं ही व्यवसाई भी परेशान हैं। टैक्स की दोहरी मार से पीड़ित दाल मिलर्स तो पिछले तीन माह से आंदोलनरत हैं। दाल पर दोहरे टैक्स का आरोप लगाते दाल मिल व्यवसायी अपनी मांगों को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी, उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा सहित प्रमुख ब्यूरोक्रेट के यहां लगातार गुहार लगा रहे हैं। सोमवार को उप मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री दीया कुमारी से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा। दिया कुमारी ने हालांकि व्यवसायियों को आश्वस्त किया कि मंत्रिमंडल की बैठक से पूर्व उनके पक्ष को उच्च स्तर पर सुना जाकर, सकारात्मक समाधान निकाला जाएगा।
दलहन पर 1.60 प्रतिशत मण्डी शुल्क और 0.50 प्रतिशत कृषक कल्याण नामक सेस वसूला जा रहा
राजस्थान में दलहन पर 1.60 प्रतिशत मण्डी शुल्क और 0.50 प्रतिशत कृषक कल्याण नामक सेस वसूला जा रहा है। व्यापारी कृषक कल्याण फीस को पूरी तरह समाप्त करने और मंडी टैक्स भी 1 प्रतिशत करने की मांग कर रहे हैं। व्यापारी मंडी के बाहर दलहन की खरीद और दूसरे प्रदेशों से आनी वाली दलहन पर फिर से मंडी टैक्स की वसूली के खिलाफ हैं, उनका तर्क हैं कि दूसरे प्रदेशों में मंडी टैक्स देकर दलहन खरीद कर लाते हैं तो यहां फिर से टैक्स वसूली मोदी सरकार की ‘वन नेशन,वन टैक्स’ नीति के भी खिलाफ हैं। करोना के समय लगाया कृषक कल्याण कर यथावत थोपें रखने का कोई औचित्य नहीं। दूसरे राज्यों से दलहन प्रोसोसिंग के लिए आती है फिर बाहर चली जाती है ऐसे में टैक्स की मार बेवजह ही व्यापारियों पर लादी जा रही हैं। राजस्थान की मंडी कर नीति के चलते दूसरे प्रदेशों के दाल मिलर्स सस्ते में माल बेच रहे हैं और प्रदेश के व्यापारी अपने आपको ठगा सा महसूस कर रहे हैं।
600 दाल मिल और 1500 परिवारों पर आंदोलन का पड़ेगा असर
कॉंफड्रेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (केट) के प्रदेशाध्यक्ष और दाल मिल व्यापारी सुभाष गोयल का कहना है कि जुलाई महीने से राजस्थान सरकार ने नोटिफिकेशन जारी करके बाहरी राज्यों से आ रहे कच्चे माल पर पुन: 1.60 प्रतिशत मंडी शुल्क और 0.50 प्रतिशत कृष्ण कल्याण सेस वसूला जा रहा है। उन्होंने बताया कि यह माल मंडी नहीं जा रहा है, फिर भी मंडी शुल्क वसूला जा रहा है। यह माल सिर्फ प्रोडक्शन (मिलिंग) के लिए आ रहा है। इस व्यवसाय से 600 दाल मिल संचालित है। जिसमें कार्यरत 1 लाख मजदूरों और उनसे जुड़े 1500 परिवार पर सीधा असर पड़ेगा। उन्होंने बताया कि पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने कोरोना के समय 0.50 प्रतिशत कृषक कल्याण सेस लगाया था, जिसे अब तक वसूला जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि इस तरह का सेस पूरे भारत में राजस्थान के अलावा कहीं नहीं वसूला जाता। उन्होंने कहा- भारत सरकार एक तरफ मोटे अनाज को प्रमोट कर रही है, वहीं दाल पर दोहर टैक्स वसूला जा रहा है।
दीया कुमारी से की मुलाकात, बोले- ताले लगने की नौबत
जयपुर दाल मिलर्स एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष पवन अग्रवाल ने बताया- हाल ही में दो दिन पहले दाल मिल व्यापारियों की वास्तविक समस्या उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी के समक्ष रखी और बताया कि टैक्स की दोहरी मार कम होने से सरकार की कर आय घटेगी नहीं,बल्कि बढ़ेगी। दाल मिलों के दूसरे राज्यों में पलायन का संकट भी टलेगा और दाल मिलों से हजारों लोगों को जो रोजगार मिला हुआ है,वह भी यथावत रहेगा। प्रदेश में निवेश के लिए सरकार दिसंबर में राइजिंग राजस्थान का आयोजन कर रही हैं। व्यवसायी अपनी मांगों को इस आयोजन से भी जोड़ रहे है। व्यवसाइयों का कहना कि एक तरफ सरकार देश- विदेश से निवेशकों को राजस्थान में उद्योग लगाने के लिए आमंत्रित कर रही है, जबकि दूसरी तरफ टैक्स की दोहरी मार से प्रदेश की दाल मिलों पर ताले लगने की नौबत आ गई हैं। नवंबर में दलहन सहित, आटा, तेल, मसाला एसोसिएशन के संयुक्त प्रयास से एक मीटिंग करके आगामी आंदोलन की रणनीति तय की जाएगी।
मंडी टैक्स से मुक्त करने की मांग
दाल मिल संचालक, बिसाऊ राम प्रकाश बीरमीवाला ने कहा- राजस्थान राज्य के बाहर से आने वाले कच्चे माल (दलहन) को मंडी टैक्स से मुक्त किया जाए, क्योंकि उस पर पहले से ही टैक्स लगा हुआ रहता है। कोरोना काल में लगाया गया कृषि कल्याण शेष खत्म किया जाए। मंडी टैक्स दर 1.60% बहुत ज्यादा है इसे कम किया जाए। बता दें कि दाल व्यापारी अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को भी ज्ञापन दे चुके हैं। पिछले दिनों खाद्य पदार्थ व्यापारियों के सम्मेलन में उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा के समक्ष भी अपनी मांग उठाई थी। दाल और अन्य खाद्य व्यवसायी भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व से भी संपर्क के प्रयास में लगे हैं ताकि मांगों का शीघ्र निराकरण हो।