बांसवाड़ा। चाइल्ड लाइन 1098 के सहयोग से हो रहा पलायित परिवारों में शिक्षा का प्रचार प्रसार हम सभी कह सकते हैं कि बालकों का मन बहुत कोमल होता है एवं उनके साथ अगर कुछ गलत होता है तो उसे वह भूल नहीं पाते इसलिए उनको सकारात्मक वातावरण की आवश्यकता है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम हर बच्चे का जन्म सिद्ध अधिकार है फिर भी आज अधिकांश बालकों के जीवन में शिक्षा का अभाव है, अंकल हमें भी विद्यालय जाना है क्योंकि हमें भी पढ़ने एवं लिखना आता है यह शब्द पलायित परिवारों के बालक बालिकाओं के है बालकों ने बताया जब हम हमारे घर पर थे तो विद्यालय जाते थे परंतु अब हमारी पढ़ाई छूट गई है। धर्मवीर सीखू, कृष्णपाल, खुशाल के द्वारा बताया , बालकों के पिता प्रेम एवं धनुष के द्वारा बताया की मुलत हम माली खेड़ी, मध्य प्रदेश के निवासी हैं हम विगत चार से पांच वर्षों से हम सभी छ परिवार जन बांसवाड़ा जिले में भंगार बिनकर आजीविका चला रहा है। क्योंकि हमारे घर पर किसी भी प्रकार की आजीवन का साधन नहीं है। परंतु इनके संपर्क में आने के बाद हमारे बालकों को विद्यालय से जोड़ा गया है एवं खाद्यान्न सुरक्षा योजना व्यवस्था से हमारा जुड़ा करवाया गया है। बाल अधिकारी का विभाग के द्वारा संचालित चाइल्ड लाइन 1098 के द्वारा 0 से 18 वर्ष तक की पीड़ित बालकों की सहायता के लिए 24 घंटे निशुल्क सेवा प्रदान की जाती है जिसमें पीड़ित बालकों को तत्काल सहयोग दिया जाता है।
बाल संरक्षण के क्षेत्र में विगत 9 वर्षों से कार्यरत कमलेश बुनकर जिला समन्वयक चाइल्ड लाइन 1098 के द्वारा बताया गया कि प्रशासन के सहयोग से अब तक 47 बालकों को पुनः शिक्षा से जुड़ाव करवाया गया जिसमें हमारे सामने जो चुनौतियां थीं अन्य राज्यों के होने के कारण दस्तावेज तैयार करवाने में कुछ दिक्कतें आई परंतु सभी के सहयोग से समाधान हो पाया पलायित परिवारों में जो बालक बालिकाएं थी उनको शिक्षा से जुड़ाव करवाया खाद्यान्न सुरक्षा योजना से योग्य पात्र परिवारों को यहां से खाद्यान्न उपलब्ध करवाने में सहयोग प्रदान किया जिसमें चाइल्डलाइन 1098 की टीम हमेशा तत्पर रही टीम के सहयोग से अब बांसवाड़ा जिले में सड़क किनारे रहने वाले कॉलेज मैदान, लिओ कॉलेज, टामटिया रोड ओजरिया बस्ती इत्यादि में रहने वाले पलायित परिवारों के बालकों को सप्ताह में दो दिन टीम पढ़ाने के लिए जाएगी जिसमें पूजा चोबिसा, पियुष जैन,कलावती, राहुल ,हरीश ,कामिनी, लोकेश इत्यादि का बालकों के प्रति सेवा में हमेशा तत्पर रहते हैं। बांसवाड़ा जिले में बाल श्रम एक गंभीर समस्या है। गरीब परिवारों के बच्चे शिक्षा से वंचित होकर काम में लग जाते हैं। कमलेश बुनकर ने बाल श्रमिकों को न्याय दिलाने और पुनर्वास के लिए कई कदम उठाए। उन्होंने बिना किसी भय के बाल श्रमिकों के लिए स्वयं मुकदमे दर्ज कराए और प्रशासन के सहयोग से उनका पुनर्वास कराया। इसके अलावा, इन बच्चों को नियमित रूप से शिक्षा से जोड़ने का प्रयास किया गया और उनकी शिक्षा की स्थिति का फॉलो-अप भी किया गया।
बच्चों के अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाने का प्रयास
बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने का भी कार्य किया। उन्होंने अपने प्रयासों के माध्यम से यह सुनिश्चित किया कि बच्चों को शिक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य और अन्य आवश्यकताओं की जानकारी मिल सके। उनका मानना है कि जब प्रत्येक बालक और बालिका अपने अधिकारों से परिचित होंगे तो वे अपने जीवन में आत्मनिर्भर बन पाएंगे।
बालकों के सर्वांगीण विकास में सहयोग
केवल बालकों की शिक्षा और उनके अधिकारों के प्रति कार्य किया, बल्कि उनके सर्वांगीण विकास में भी अपना योगदान दिया। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि बच्चों को उचित पोषण, स्वास्थ्य सेवाएं, और मानसिक समर्थन मिल सके। इस उद्देश्य से उन्होंने विभिन्न शिविरों का आयोजन किया जिसमें बच्चों को मानसिक और शारीरिक रूप से सशक्त बनाने के लिए कई गतिविधियां करवाई गईं।