झुंझुनूं। जिले के सबसे बड़े राजकीय भगवान दास खेतान अस्पताल में जिंदा युवक को मृत बताकर उसका पोस्टमार्टम कर दिया गया, लेकिन 4 घंटे बाद चिता पर जिंदा हो गया। गंभीर हालत में जयपुर रेफर कर दिया गया। वाहा पर सुबह साढ़े पांच बजे युवक की मौत हो गई। पोस्टमार्ट की घटना ने चिकित्सकों की कार्यशैली ने पर सवाल खड़ा कर दिया है। कलेक्टर ने डाक्टरों की लापरवाही मानते हुए तीनों डाक्टरों को निलंबित कर दिया है। देर रात जिला कलक्टर रामावतार मीणा की अनुशंसा पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख शासन सचिव निशा मीणा ने बीडीके अस्पताल के पीएमओ डॉ. संदीप पचार, डॉ. योगेश कुमार जाखड़ व डॉ. नवनीत मील को निलम्बित कर दिया। डॉ. जाखड मंडेला में कार्यरत है, लेकिन कार्यव्यवस्था के तहत उसे बीडीके में लगा रखा था। निलम्बन काल के दौरान डॉ. पचार का मुख्यालय सीएमएचओ ऑफिस जैसलमेर, डॉ. जाखड़ का मुख्यालय सीएमएचओ ऑफिस बाडमेर व डॉ. नवनीत मील का मुख्यालय सीएमएचओ ऑफिस जालौर किया गया है।
एक ने मृत घोषित किया, दूसरे ने पोस्टमार्टम
अस्पताल में युवक को बाकायदा भर्ती किया गया, बाद में एक डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया तो दूसरे ने कागजों में पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी तैयार कर दी। गनीमत रही कि चिता पर आग लगाने से पहले युवक की सांसें चलने लग गई और डॉक्टरों की सारी लापरवाही सामने आ गई।
पोस्टमार्ट की बना दी रिपोर्ट
सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि राजकीय भगवान दास खेतान अस्पताल में रोहितास का पोस्टमार्टम हुआ कि नहीं। अगर पोस्टमार्टम हुआ है तो वह जिंदा कैसे हो गया। अगर पोस्टमार्टम नहीं हुआ है तो पोस्मार्टम किया गया, यह कैसे मान लिया गया।
डॉ नवनीत ने किया पोस्टमार्टम, रिपोर्ट में मौत का कारण भी लिखा
बीडीके अस्पताल में जिंदा आदमी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट मेडिकल ज्यूरिस्ट डॉ. नवनीत ने बनाई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट नम्बर 223 के पहले पेज पर 1.50 मिनट पर मौत होना बताया गया है। वहीं अंतिम कॉलम में रिमार्क ऑफ मेडिकल ऑफिसर में डॉक्टर की ओपीनियन लिखी हुई है। इसमें फेफडे फेल होना तथा सीओपीडी या टीबी की बीमारी से मौत होना बताया गया है। रिपोर्ट पर डॉ. नवनीत के हस्ताक्षर हैं व उसके नीचे मेडिकल ज्यूरिस्ट की सील भी लगी हुई है।