गंगरार (चित्तौड़गढ़)। उपखंड मुख्यालय स्थित कस्तूरबा आवासीय बालिका विद्यालय का एक सीलबंद कमरा 22300 सड़े-गले स्कूल बैगों से भरा है। उनमें लगे कीड़े व जहरीले जीव जंतुओं का भय यहां रह रही 105 बच्चियों व स्टाफ को रात-दिन सताता है। इन बैग्स पर 2008 में तत्कालीन सीएम का फोटो लगा है। इस कारण उसके बाद आई दूसरी सरकार के 5 साल ये स्कूलों में बंट नहीं पाए।फिर एक-एक बार वही सरकारें रह गई पर अधिकारी खराब हो चुके बैग का निस्तारण भी नहीं करा पाए। सरदर्द बने इस बोझ के बारे में विद्यालय प्रशासन दर्जनों बार ऊपर पत्र लिख चुका हैं पर बस्तों का यह मामला ठंडे बस्ते में पड़ा है। वर्ष 2008 में तत्कालीन सरकार ने जाते-जाते प्रदेश के सरकारी स्कूलों की बच्चियों को निशुल्क बैग बांटना तय किया था। शिक्षा विभाग ने आनन-फानन में एक फर्म को ठेका देकर सीएम के फोटो लगे बैग तैयार करवाए। कुछ जिलों में बंट गए तो कुछ में बंटने से पहले सरकार बदल गई। चित्तौड़ जिले के लिए 22300 बैग की खेप गंगरार के कस्तूरबा बालिका आवासीय विद्यालय के वार्डन कक्ष में खाली कराई गई थी। जहां से ये जिले के सभी स्कूलों तक जाने थे, पर तब तक सरकार बदल गई। करीब 10 साल हो जाने से ये बैग खराब भी हो गए। बताया जाता है कि विभाग ने करौली की संबंधित फर्म को अपना माल उठा ले जाने के निर्देश दे दिए। जिले के 22300 बैग का बिल 12 लाख 26 हजार 277 रुपए का था। उसे पूरा पेमेंट नहीं हो पाया पर वो इसलिए माल नहीं उठा रही कि एक तो खुद को दोषी नहीं मानना चाहती, दूसरा अब ये बैग उपयोग लायक भी नहीं रह गए। इसलिए विभाग के कई बार नोटिस के बावजूद वो लौटकर नहीं आई। स्टाफ के अनुसार 16 साल में कमरे का ताला तक नहीं खुला। बैग में कीड़े लगने व संक्रमण से जहरीले जीव जंतुओं का खतरा बना रहता है।
जांच करवाकर शीघ्र निस्तारण करवाएंगे
चित्तौड़गढ़ के मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी प्रमोद कुमार दशोरा ने बताया कि यहां काफी लंबे समय से बैग रखे हुए हैं। जांच करवा कर नियमानुसार शीघ्र निस्तारण किया जाएगा। प्रारंभिक शिक्षा डीईईओ राजेंद्र कुमार शर्मा ने का कहना है कि हालांकि यह मामला बहुत पुराना है। वर्ष 2017 में एडीपीसी सर्व शिक्षा अभियान रहते हुए मेरे संज्ञान में आते ही उच्च अधिकारियों से मार्गदर्शन मांगा था। उनके निर्देश पर संबंधित फर्म काे माल उठाकर कमरा खाली करने के लिए लिखा।