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June 20, 2025 12:19 am


IRS बेटे ने खेत में किया मां का अस्थि विसर्जन : कहा- मां का पूरा जीवन खेती में बीता, अंतिम इच्छा यही थी; मृत्युभोज का पैसा लाइब्रेरी में लगाएंगे

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Pankaj Garg

सच्ची निष्पक्ष सटीक व निडर खबरों के लिए हमेशा प्रयासरत नमस्ते राजस्थान

दौसा। जिले में एक किसान परिवार ने अपनी मां की अस्थियों का विसर्जन गंगाजी में करने की बजाय खेतों में किया है। दरअसल सिकराय उपखण्ड के ठीकरिया गांव में किशोरी पटेल की धर्मपत्नी किशनी देवी की 85 साल की उम्र में 30 नवंबर को मौत हो गई। उनका खेती-बाड़ी से बहुत लगाव था और कई फलदार-छायादार पेड़ पौधे लगाए। वह अपनी अस्थियों को उस मिट्टी का भाग बनाना चाहती थीं। जिसका अन्न-जल खा-पीकर उसने अपने परिवार का भरण पोषण किया था।

ऐसे में किशनी देवी के बेटे जगनमोहन व विमल कुमार ने अपनी मां की इच्छानुसार उनकी अस्थियों का विसर्जन परिवार व सगे संबंधियों के साथ खेतों में पानी चलाकर किया। उन्होंने बताया कि उनकी मां को खेती-बाड़ी से विशेष लगाव था और वह कहती थी कि मौत के बाद मेरी अस्थियों को खेतों में पानी चलाकर बहा देना। मां का पूरा जीवन खेती-बाड़ी करते हुए ही गुजरा था। इसलिए मां की इच्छा पूर्ति के लिए यह पहल की है।

बेटा आईआरएस, पोता आईएएस

धर्म सिंह ने बताया कि किशनी देवी एक दृढ़ इच्छाशक्ति एवं मेहनत कश महिला थी। जिन्होंने खेती के साथ परिवार के बच्चों को पढ़ाया लिखाया। उनका छोटा बेटा विमल कुमार भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के उच्च अधिकारी हैं तथा पोता परीक्षित भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी है।

परिवार के लोगों ने अस्थियों का खेतों में विसर्जन के दौरान बताया कि वे परंपरा के नहीं, बल्कि आडंबर के खिलाफ हैं। लोग दिखावे के चक्कर में कर्मकांड, आडंबर के नाम पर व्यर्थ खर्च करते हैं। अगर खर्च करना ही है तो बेटियों को शिक्षित करने में करना चाहिए क्योंकि शिक्षित लोग ही समाज सुधार के प्रयास करते हैं।

मृतका के पुत्र आईआरएस विमल कुमार ने बताया कि मृत्यु भोज एक अनावश्यक खर्च है और मृत्यु भोज एवं अन्य अनावश्यक कर्मकांडों की बजाय, वो बालिका शिक्षा और गांव में पुस्तकालय के विकास पर पैसा खर्च करना उचित समझते है।

Author: JITESH PRAJAPAT

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