हनुमानगढ़। सर्दी का सितम जारी है। बावजूद इसके नन्हे-मुन्ने बच्चों को आंगनवाड़ी केन्द्रों पर बुलाया जा रहा है। ठंड से बचाव के लिए आंगनवाड़ी केन्द्रों पर कोई इन्तजाम नहीं होने के कारण नन्हे-मुन्ने बच्चे ठिठुरते रहते हैं। ठंड के कारण अभिभावक भी बच्चों को आंगनवाड़ी केन्द्रों में भेजने से कतराते हैं। अभिभावकों ने मांग की है कि स्कूलों की तरह आंगनवाड़ी केन्द्र के बच्चों की भी छुट्टी की जाए।
वार्ड 36 सी आंगनवाड़ी केन्द्र की पुष्पा अरोड़ा ने बताया कि उनके आंगनवाड़ी केन्द्र में कुल 43 बच्चे हैं। कड़ाके की सर्दी के कारण अधिकतर बच्चे आंगनवाड़ी केन्द्र में नहीं आ रहे। कुछ बच्चों को वे बुलाकर भी लाते हैं, लेकिन आंगनवाड़ी केन्द्र में ठंड से बचाव के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। इस कारण बच्चे ठंड में ठिठुरते रहते हैं। आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से होने के कारण इन बच्चों में से कईयों के पास स्वेटर तो कईयों के पास जूते नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि आंगनवाड़ी केन्द्र का उद्देश्य है कि बच्चों का कुपोषण दूर हो सके। बच्चे शिक्षा से वंचित न रहें। स्कूल में जाने से पहले कुछ शिक्षित हो जाएं और बैठना सीख जाएं। उनका प्रयास रहता है कि बच्चों को लिखना-पढ़ना सिखाएं और व्यवस्थित रूप से बैठाएं, लेकिन वे सर्दी के कारण बैठ नहीं पाते। उन्होंने बताया कि आंगनवाड़ी केन्द्र के बच्चों की छुट्टियां करने के लिए अधिकारियों से कहा गया है।
आंगनवाड़ी 35 सी की कार्यकर्ता आशा देवी ने बताया कि जब वे बच्चों को घर से लाने के लिए जाते हैं तो अभिभावक कहते हैं कि इतनी ठंड में जब बड़े बच्चों के स्कूलों की छुट्टियां चल रही हैं तो आंगनवाड़ी के बच्चों की छुट्टी क्यों नहीं की जा रही। इस कारण अभिभावक अपने बच्चों को आंगनवाड़ी केन्द्र पर नहीं भेजते। उन्हें भी बच्चों को लाने व घर तक छोड़कर आने में परेशानी होती है।
बच्चे इस मौसम में खांसी-जुकाम से पीड़ित हैं। उनके आंगनवाड़ी केन्द्र में कुल 17 बच्चे हैं लेकिन 8 से 10 बच्चे ही आ रहे हैं। आंगनवाड़ी केन्द्र का समय सुबह 11 बजे से दोपहर 1.30 बजे तक का है। अधिकारी भी आंगनवाड़ी केन्द्र के बच्चों की छुट्टी के संबंध में कोई आदेश प्राप्त नहीं होने की बात कह रहे हैं। वहीं, बच्चों के परिजनों ने कहा कि कड़ाके की सर्दी में बड़े बच्चों के अवकाश हैं, लेकिन आंगनवाड़ी केन्द्र के बच्चों की छुट्टियां नहीं हैं। आंगनवाड़ी केन्द्रों पर सर्दी से बचाव के लिए कोई व्यवस्था न होने के कारण बच्चे ठिठुरते रहते हैं। इससे वे बीमार हो रहे हैं। वे बच्चों को आंगनवाड़ी केन्द्र पर नहीं भेजते। उन्होंने मांग की कि आंगनवाड़ी केन्द्र के बच्चों की भी छुट्टी की जाए।