खैरथल-तिजारा। खेत में झाड़ियों से बेर तोड़ने गई 7 साल की बच्ची को कुत्तों ने नोच-नोच कर मार डाला। सिर और पैर को खा गए। पेट को इतना नोचा कि आंते बाहर आ गईं। लहूलुहान बॉडी जिसने भी देखी, उसके रौंगटे खड़े हो गए। मामला खैरथल-तिजारा के पास किरवारी गांव का है।
चार बच्चियों जान बचाकर खेत से भागी
किरवारी गांव के रहने वाले आस मोहम्मद ने बताया- बुधवार दोपहर को गांव से 8 से 10 साल की पांच लड़कियां खेतों में बेर खाने के लिए आई थीं। इसमें मेरे छोटे भाई साहुन खान की बेटी इकराना भी शामिल थी। इकराना के दादा सरदार खान भी खेत में ही थे। ये लड़कियां सरदार खान के पास चली गईं। उन्होंने लड़कियों को कहा कि खेत में ही रहना। इधर-उधर मत जाना। यह कहकर सरदार खान बाजार चले गए। पीछे से लड़कियां भी खेतों के रास्ते पैदल-पैदल अपने गांव किरवारी की तरफ आ रही थीं।
वहां से वे अपने दादा के पास खेत पर पहुंची, जहां उनके दादा सरदार खान ने बच्चियों को कहा कि बेर खाकर कुएं पर ही रहना, कहीं इधर-उधर मत जाना। दादा बाजार गए थे और पीछे से बच्चियां पैदल-पैदल खेतों के रास्ते अपने गांव किरवारी जा रही थीं। इस दौरान किरवारी के पास 5 से 6 आवारा कुत्तों ने बच्चियों के ऊपर हमला बोल दिया। इस दौरान चार बच्चियां तो मौके से भाग गईं, जबकि 7 वर्षीय इकराना पुत्री साहुन खान को घेर लिया और 5 से 6 कुत्तों ने बच्ची को जगह-जगह से नोच डाला।
पड़ोसी खेत वालों ने कुत्तों को भगाया
इधर, पास में खेत में काम कर रहे बलराम यादव और कृष्ण यादव के पास बाकी बच्चियां भागते हुए पहुंची और घटनाक्रम के बारे में बताया कि इस तरह हमारी बहन को कुत्ते खा रहे हैं। इस पर बलराम और कृष्ण ने फवारा बदलने के पाइप निकालकर भागे, तो वहां देखा कि सरसों के खेत में 5 से 6 कुत्ते एक बच्ची को नोच रहे हैं। उन्होंने तुरंत कुत्तों को मारकर भगाया और बच्ची को उठाकर ट्रैक्टर में लेकर सेटेलाइट हॉस्पिटल खैरथल के लिए भागे। इस दौरान भी कुत्तों ने उनका पीछा किया।
जाम में ट्रैक्टर फंसा तो बाइक से ले गए हॉस्पिटल
इधर पास में पेड़ों की छंटाई कर रहे किरवारी निवासी मुस्ताक ने घटना की सूचना बच्ची के परिजनों को दी और वे भी बाइक लेकर अस्पताल की तरफ भागे। रेलवे फाटक नंबर 91 बंद होने के कारण ट्रैक्टर जाम में फंस गया। इसके बाद बच्ची को बाइक से सेटेलाइट हॉस्पिटल ले जाया गया। जहां पर डॉक्टर ने जांच कर बच्ची को मृत घोषित कर दिया।
पूर्व में भी हो चुकी है घटना
मृतक बच्ची इकराना के दादा सरदार खान ने बताया कि लगभग एक वर्ष पूर्व भी इकराना अपनी दादी और मां के साथ गांव से खेत पर आ रही थी। इस दौरान आवारा कुत्तों ने उसके हाथ से टिफिन छीन लिया और हाथ को काट लिया था, तब इसके इंजेक्शन लगवाए थे और इस बार तो बेचारी को आवारा कुत्तों ने नोच-नोच कर मार डाला।
आवारा कुत्ते पशुओं के छोटे बच्चों को भी नहीं छोड़ते
स्थानीय बलवीर यादव ने बताया कि आवारा कुत्तों का आतंक इतना है कि गाय-भैंस के छोटे बच्चों पर मौका पाकर हमला करते हैं। पूर्व में फतेह यादव और वेद प्रकाश सैनी की गाय के बछड़ों पर हमला कर मार डाला था। एक भैंस के बच्चे को भी मार डाला था। इन आवारा कुत्तों की वजह से बाइक चालक भी परेशान हैं, क्योंकि कुत्ते बाइकों के पीछे दौड़ते हैं। इस तरह की घटनाएं खैरथल के यादव मोहल्ले में पशुओं के हमले की कई बार हो चुकी हैं। इस संबंध में ग्रामीणों की ओर से कई बार नगर परिषद और कलेक्टर को ज्ञापन देकर आवारा कुत्तों को पकड़ने की मांग की गई थी, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिसके कारण आवारा कुत्तों का आतंक बना हुआ है।
सेटेलाइट हॉस्पिटल के पीएमओ डॉ. नितीश शर्मा ने बताया कि जिस समय बच्ची को लेकर आए थे, वह अस्पताल में थे। उन्होंने बच्ची को देखा तो उसकी स्थिति देखकर वह भी परेशान हो गए। उन्होंने बताया कि बच्ची के पूरे शरीर पर 40 से 50 घाव थे, जिससे लगता है कम से कम 5 से 6 कुत्ते होंगे। डॉ. नितिन ने बताया कि चेहरे, गर्दन और सिर पर 15-16 घाव थे, और सर के ऊपर के हिस्से के बाल उखाड़ दिए थे। इसके अलावा, पेट में 10 से 12 जगह नोचने के निशान थे, जहां पेट की आंतें बाहर आ गई थीं। नीचे दोनों पैरों में 15 से 20 घाव थे, जिसमें दाएं पैर के घुटने से नीचे लगभग आधा हिस्सा खा गए थे। उन्होंने बताया कि बच्ची को तब यहां लेकर आए थे, वह मृत अवस्था में थी।
नगरपरिषद आयुक्त जगदीश खीचड़ ने बताया कि क्षेत्र में आवारा कुत्तों की पूर्व में भी शिकायत मिली है, जिसके तहत उनके वैक्सीनेशन और बधीयाकरण के लिए टेंडर जारी किए गए हैं। शीघ्र ही इस योजना पर कार्य किया जाएगा।