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February 5, 2025 11:38 am


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सीएम भजनलाल और केंद्रीय मंत्री का स्वागत : गायत्री मंदिर में दर्शन किए, प्रदेश के सबसे बड़े कुएं की पूजा करेंगे

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Pankaj Garg

सच्ची निष्पक्ष सटीक व निडर खबरों के लिए हमेशा प्रयासरत नमस्ते राजस्थान

डूंगरपुर। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल शनिवार को सागवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में पहुंचे। दोनों अलग-अलग विशेष हेलिकॉप्टर से गायत्री शक्ति पीठ के सामने बनाए गए अस्थाई हेलीपेड पर पहुंचे। जहां प्रभारी मंत्री बाबूलाल खराड़ी, सागवाड़ा विधायक शंकर डेचा, गायत्री शक्ति पीठ के साधक भूपेंद्र पंड्या ने उनका स्वागत किया। इसके बाद दोनों कार से गायत्री शक्ति पीठ पहुंचे, जहां मंदिर में दर्शन किए और गायत्री साधकों से बात की। इसके बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और केंद्रीय मंत्री पाटिल कार से 5 किमी दूर खड़गदा रामकथा में पहुंचेंगे। जहां पहले मोरन नदी के किनारे जल संरक्षण, स्वच्छता को लेकर चल रहे काम को देखेंगे। पंडितों के सानिध्य में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजन करेंगे। वहीं, मोरन नदी के संरक्षण को लेकर पूरे प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी देंगे। इसके बाद कथावाचक कमलेश शास्त्री के साथ रामकथा में हिस्सा लेंगे।

साबरमती रिवर फ्रंट की तर्ज पर मोरन नदी के किनारे बनेगा रिवर फ्रंट

गुजरात के साबरमती रिवर फ्रंट की तर्ज पर ही राजस्थान के दक्षिणांचल में स्थित आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले में मोरन नदी के तट पर खड़गदा गांव में रिवर फ्रंट तैयार हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नदियों और जल संरक्षण से प्रेरित होकर रामकथा व्यास पीठ के माध्यम से इस रिवर फ्रंट को बनाने में पूरा गांव जुट गया है। अब तक आपने सरकार कि ओर से करोड़ों खर्च कर रिवर फ्रंट बनाने की बात तो सुनी होगी, लेकिन खड़गदा में बन रहा रिवर फ्रंट पूरी तरह से लोगों के जनसहयोग से बनाया जा रहा है। 2 हजार मीटर लंबे और 500 मीटर चौड़े रिवर फ्रंट पर अब तक 2.5 करोड़ से ज्यादा खर्च हो गया है। आपने गुजरात के साबरमती रिवर फ्रंट के बारे में सुना होगा। जहां सरकार ने बड़े बजट से नदी का कायाकल्प कर दिया, लेकिन डूंगरपुर के खड़गदा गांव में भी इसी तर्ज पर मोरन रिवर फ्रंट का काम चल रहा है। वो भी पूरी तरह जनसहयोग से। 2 हजार मीटर लंबे ओर 500 फीट चौड़े इस रिवर फ्रंट का काम पिछले 8 महीनों से चल रहा है। अब तक इस प्रोजेक्ट पर 2.5 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। वहीं, आगे फंड जुटाने 28 दिसंबर से 5 जनवरी तक 9 दिवसीय रामकथा का आयोजन किया जा रहा है। देश में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब किसी व्यासपीठ के जरिये वागड़ क्षेत्र की नदी के कायाकल्प के लिए फंट जुटाया जा रहा है, जिसमें नदियों के पुर्नत्थान, पौधरोपण, जैविक खेती ओर सामाजिक समरसता पर जोर दिया जाएगा।

गांव की परिक्रमा कर गुजरती है मोरन नदी

मोरन नदी खड़गदा गांव की परिक्रमा करते हुए गुजर रही है। जिसका आकार शिवलिंग के जैसा है। जिसके भाल पर वागड़ का सबसे बड़ा तीर्थ क्षेत्र क्षेत्रपाल मंदिर स्थापित है। इसलिए गांव के लिए नदी का खास महत्व है। सिंचाई ओर पीने के पानी के लिए पूरे क्षेत्र के लोग इसी नदी पर निर्भर है। वागड़ की लाइफ लाइन भी कहा जाता है।

दुर्दशा देखकर कथावाचक ने लिया संकल्प और जुड़ गया गांव

मोरन नदी में अवैध खनन ओर कचरा बहकर आने से नदी बेहद प्रदूषित हो गई थी। गांव की पवित्र नदी की ऐसी दुर्दशा देखकर खड़गदा गांव के प्रसिद्ध कथावाचक कमलेश भाई शास्त्री ने नदी के पुनरुत्थान के लिए शिव संकल्प धारण किया। उनके इस संकल्प में ग्रामीण भी जुड़ते गए। बीते 25 सालों से बंद हो चुके गांव के नदी की ओर जाने वाले 13 मुख्य मार्गों को वापस खोला गया। नुक्कड़ों पर कब्जेशुदा जमीनों को छुड़ाया गया। नदी के किनारों पर पैदल चलना भी काफी मुश्किल था। वहां 20 फीट चौड़ी सड़कें बनाई गई हं, जहां अब बड़े वाहन भी आसानी से गुजर रहे है। आधुनिक मशीनों के जरिये हजारों ट्रैक्टर कचरा निकाला गया। जिस नदी में 8 महीने पहले कूड़ा कचरा ओर जानवरों के अवशेष पड़े थे। उसका स्वरूप ही बदल दिया गया। महज कुछ महीनों में एक गांव की पूरी नदी का स्वरूप बदल दिया गया। पूरे काम को सिस्टेमेटिक तरीके से अंजाम देने के लिए सर्व समाज के ग्रामीण जुटे है। प्रोजेक्ट के तहत जनजागरूकता के जरिये पूरी मोरन गंगा को स्वच्छ बनाने का संकल्प है, जिसके लिए खड़गदा को रोल मांडल बनाते हुए शुरुआत की गई है।

8 महीनों पहले रेती खनन होती थी, अब बोटिंग की तैयारी

प्रोजेक्ट की शुरुआत पहली बार 22 फरवरी को सर्वसमाज के युवाओं के श्रमदान से की गई। जिसमें बुजुर्ग ओर महिलाएं तक जुटी ओर सफाई शुरू कर दी, लेकिन तब महसूस हुआ कि क्षेत्र बड़ा है। इसलिए बड़े प्रयास की जरूरत है, जिसके बाद कथावाचक कमलेश भाई शास्त्री के नेतृत्व में रिवर फ्रंट की रूपरेखा बनाई गई। बीते 8 महीनों में 2.5 करोड़ से भी ज्यादा बजट खर्च कर 2 हजार मीटर लंबा नदी का रिवर फ्रंट बनाया गया है। नदी में 8 महीने पहले रेती खनन होती थी। वहां अब बोटिंग की तैयारी की जा रही है। नदी के किनारों पर साबरमतीन रिवर फ्रंट की तर्ज पर ही आकर्षक पाथ-वे बनाए जा रहे है। जहां फलदार और छायादार पौधे रोपे जाएंगे। आकर्षक संस्कृतियां स्मृतियां उकेरी जाएंगी। वहीं रात में भी लोग यहां टहल सके। इसलिए रोड लाइट का बंदोबस्त किया जा रहा है। पूरा क्षेत्र सीसीटीवी की निगरानी में रहेगा।

प्रदेश के सबसे बड़े कुएं का निर्माण

रिवर फ्रंट में ही एक कुएं का निर्माण किया गया है। दावा है कि यह कुआं प्रदेश में सबसे बड़ा है। कुएं की चौड़ाई ओर गहराई 65 बाई 45 फीट है है। कुएं की भराव क्षमता 40 लाख लीटर पानी की है। वहीं, इसमें 40 लाख लीटर की रोजाना पानी की आवक बनी हुई है। इससे नदी सूखने पर भी गांव में पीने के पानी का संकट पैदा नहीं होगा। यह पानी सर्व समाज को सुलभ होगा। युवा चंद्रेश बताते है कि क्षेत्र में पेयजल सप्लाई 3 कुओं से होती है। इन पर करीब 8500 ग्रामीण निर्भर हैं। इन कुओं से रोजाना 5 लाख लीटर पेयजल की आवश्यकता होती है, लेकिन पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा था। जिसके बाद इस बड़े कुएं का निर्माण करवाया गया। नए कुएं में करीब 15 लाख लीटर पानी का स्टोरेज होगा, जबकि 1 किमी नदी के पेटे में 47 करोड़ 46 लाख लीटर पानी रहेगा। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ओर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल इसी कुएं के पानी की पूजा अर्चना करेंगे।

Author: JITESH PRAJAPAT

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