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February 7, 2025 9:15 pm


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टोल प्लाजा पर खुद के सॉफ्टवेयर से करोड़ों ठगे : राजस्थान समेत देशभर में 200 जगह इंस्टॉल किया; बिना फास्टैग की गाड़ियों को फ्री कैटेगरी में दिखाया

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Pankaj Garg

सच्ची निष्पक्ष सटीक व निडर खबरों के लिए हमेशा प्रयासरत नमस्ते राजस्थान

जयपुर राजस्थान के चार समेत देश में करीब 200 टोल प्लाजा पर घोटाले का खुलासा हुआ है। इन टोल प्लाजा पर नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) के समानांतर सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर फ्रॉड किया जा रहा था।

दरअसल, यूपी STF ने मंगलवार रात मिर्जापुर के अतरैला टोल प्लाजा पर छापा मारकर 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। ये लोग टोल प्लाजा पर लगे NHAI के कंप्यूटर में अपना सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करके बिना फास्टैग के टोल से निकलने वाले वाहनों से होने वाले कलेक्शन में गबन कर रहे थे। दो साल से अतरैला के शिवगुलाम टोल प्लाजा से रोज 45 हजार रुपए वसूल रहे थे।आरोपियों ने बताया कि वे इस टोल प्लाजा से अब तक 3 करोड़ 28 लाख रुपए गबन कर चुके हैं।

आरोपी अब तक देश के 12 राज्यों के करीब 200 टोल प्लाजा में NHAI के समानांतर सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर चुके हैं। एसटीएफ ने इन बदमाशों से हुई पूछताछ के बाद राजस्थान के कई टोल बूथ की जानकारी NHAI को दी है।इनमें फुलेरा टोल प्लाजा, शाहपुरा टोल, कादीसहना टोल प्लाजा (एकेसीसी कंपनी) और शाउली टोल प्लाजा एनुवेजन कंपनी शामिल हैं। एसटीएफ से मिले इनपुट के बाद NHAI ने इन चारों टोल पर लगे हुए सिस्टम को रिप्लेस कर दिया है।

200 टोल से टैक्स का पैसा सरकार को नहीं मिला

STF इंस्पेक्टर दीपक सिंह ने शिकायत देकर लालगंज थाने (उत्तर प्रदेश) में मुकदमा दर्ज कराया है। जौनपुर के थाना सरायख्वाजा निवासी आलोक कुमार सिंह, प्रयागराज के मेजा थाना क्षेत्र के परानीपुर निवासी राजीव कुमार मिश्र और मध्यप्रदेश के मझौली के रहने वाले मनीष मिश्रा को गिरफ्तार किया गया। आलोक अभी वाराणसी के हरहुआ काजीसराय के एसएसआर टावर में रह रहा था।

STF ने आरोपियों के कब्जे से दो लैपटॉप, एक प्रिंटर, 5 मोबाइल, एक कार और 19580 रुपए बरामद किए हैं। आरोपियों ने पूछताछ में बताया- 12 राज्यों में करीब 200 टोल प्लाजा पर इस तरह से गड़बड़ी की जा रही है।

टोल प्लाजा पर गड़गड़ी की मिली शिकायत

इंस्पेक्टर दीपक सिंह ने बताया- NHAI के विभिन्न टोल प्लाजा पर गड़बड़ी की शिकायतें मिल रही थीं। बिना फास्टैग और फास्टैग अकाउंट में कम पैसे वाले वाहनों से टोल प्लाजा के बूथ कंप्यूटर में NHAI के सॉफ्टवेयर सर्वर के अतिरिक्त अलग से सॉफ्टवेयर से धोखाधड़ी की जा रही थी।

वाराणसी STF के ASP विनोद सिंह और लखनऊ के ASP विमल सिंह की टीम लगातार मामले की मॉनिटरिंग कर रही थी। इसी बीच एसडीओ को सूचना मिली कि NHAI के सॉफ्टवेयर में अलग से सॉफ्टवेयर बनाने और इंस्टॉल करने वाला व्यक्ति वाराणसी में है। STF टीम ने बाबतपुर एयरपोर्ट के पास से आलोक सिंह को पकड़ लिया। उससे पूछताछ की गई, जिसमें सॉफ्टवेयर में छेड़छाड़ की जानकारी मिली।

इस तरह से सरकारी पैसे का कर रहे थे गबन

STF की पूछताछ में आलोक ने बताया- ‘मैं MCA पास हूं। पहले टोल प्लाजा पर काम करता था। वहीं से टोल प्लाजा का ठेका लेने वाली कंपनियां के संपर्क में आया। इसके बाद टोल प्लाजा मालिकों की मिलीभगत से एक सॉफ्टवेयर बनाया। टोल प्लाजा पर लगे कंप्यूटर में अपने भी सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल कर दिया, जिसका एक्सेस अपने लैपटॉप से कर लिया। इसमें टोल प्लाजा के आईटी कर्मियों ने भी साथ दिया।

टोल प्लाजा से बिना फास्टैग के गुजरने वाले वाहनों से दोगुना शुल्क हमारे सॉफ्टवेयर से वसूला जाता था। उसकी भी प्रिंट पर्ची NHAI के सॉफ्टवेयर के समान ही होती थी। इस तरह से बिना फास्टैग वाले वाहनों से वसूली गई। अवैध वसूली के वाहन को वाहन शुल्क से मुक्त श्रेणी दिखाकर जाने दिया जाता था।

बिना फास्टैग वाले वाहनों से लिए गए टोल टैक्स की औसतन 5% धनराशि NHAI के असली सॉफ्टवेयर से वसूली जाती है, जिससे सामान्य रूप से किसी को शक न हो कि बिना फास्टैग वाले वाहनों का टोल टैक्स खाते में नहीं जा रहा है, जबकि नियमानुसार बिना फास्टैग वाले वाहनों से वसूले जाने वाले टोल टैक्स का 50% NHAI के खाते में जमा करना होता है।’ आरोपी आलोक सिंह ने 200 में से 42 टोल प्लाजा पर सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किया था। इनमें उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, असम, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र, गुजरात, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल शामिल हैं।

Author: JITESH PRAJAPAT

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