जैसलमेर जिला प्रशासन का गजब कारनामा
गबन के आरोपी को गणतंत्र दिवस के मंच पर उत्कृष्ट कार्य के लिए किया सम्मानित
जैसलमेर
सम्मान पाने और देने में राजनीति और सिफारिशें किस कदर हावी होती हैं, इसकी बानगी जैसलमेर में गणतंत्र दिवस समारोह में देखने को मिलती हैं। जहां जिले के प्रशासनिक मुखिया ने गणतंत्र दिवस के मंच पर एक गबन के आरोपी कर्मचारी को सम्मानित कर एक मिसाल कायम की हैं। सहकारिता विभाग के जिस कर्मचारी कमल किशोर आचार्य के विरुद्ध मान्य न्यायालय गबन के आरोप में भारतीय दंड संहिता का मुकदमा चल रहा हैं और गौर करने वाली बात ये हैं कि यह मुकदमा भी सहकारिता विभाग ने दर्ज कराया हैं। इनको समाजसेवी की श्रेणी में डालकर सम्मानित किया गया हैं। ऐसा प्रतीत होता हैं कि ऐसे कर्मचारी को सम्मानित करके जिला कलेक्टर ने जिले के अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों को ऐसे ही महान कार्य करने के लिए प्रेरित किया हैं। जिला प्रशासन ऐसे लोगों को एक सार्वजनिक मंच पर सम्मानित करके जनता को क्या संदेश देना चाहता हैं? यह समझ से परे हैं।
जमानत पर हैं जिला स्तरीय सम्मान पाने वाला
गौरतलब हैं कि आरोपी कमल किशोर आचार्य के विरुद्ध वर्ष 2007 में उपभोक्ता भंडार में फर्जीवाड़ और गबन करने के आरोप में सहकारिता विभाग द्वारा पुलिस थाना कोतवाली में एफ आई आर संख्या 109/2007 दर्ज करवाई गई थी और आरोपी को निलंबित भी किया गया था। जो कि लंबे समय ने माननीय न्यायालय में विचाराधीन हैं और आरोपी जमानत पर बाहर हैं, इस प्रकरण को हाल ही में सीजेएम कोर्ट से एजेएम कोर्ट में ट्रांसफर किया गया हैं जिसके बाद इसकी आगामी सुनवाई 30 जनवरी 2025 को होनी हैं, जहां पत्रावली फिलहाल अभी आरोप बहस की स्टेज पर लंबित हैं।
राष्ट्रीय पर्वों पर सम्मान देने की प्रक्रिया में प्रशासनिक अधिकारियों की मनमानी
राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर विभिन्न विभागों, कला, संस्कृति, साहित्य, खेल और अन्य क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को सम्मानित किए जाने की परंपरा हैं। मगर जैसलमेर में पिछले 2 साल से यह परम्परा अधिकारियों की मनमर्जी और अधिकतम सरकारी कर्मचारियों को सम्मानित करने तक सीमित रह गई हैं। जिला प्रशासन द्वारा सम्मान पाने वालों से आवेदन भी लिया जाता हैं और आवेदकों से मुकदमों संबंधित जानकारी लेने की भी फॉर्मेलिटी भी की जाती हैं, मगर आवेदनों की सही से जांच नहीं होती हैं, इसी का नतीजा हैं कि गबन और भ्रष्टाचार जैसे गंभीर अपराध के आरोपी भी सम्मानित हो जाते हैं। इसके अलावा विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्षों द्वारा भी अपने चहेतों के नाम भेज दिए जाते हैं। जिले में पिछले 2 साल से साहित्य, पत्रकारिता और सामाजिक कार्यों के लिए किसी भी व्यक्ति को सम्मानित नहीं किया जा रहा हैं, क्या जिले के मुखिया को इस क्षैत्र में कोई योग्य आदमी दिखाई नहीं देता जो उन गबन के आरोपी कर्मचारियों से बेहतर हो। चूंकि सम्मान पाने वालों की सूची में अंतिम निर्णय जिला कलेक्टर का ही होता हैं तो इस प्रकार के पक्षपात के लिए भी उन्हें ही जिम्मेदार ठहराया जा सकता हैं। बाकी ये कारनामा कैसे हुआ ये तो जांच का विषय हैं।
क्या कहना हैं इनका…
इस संबंध में कार्यवाहक अतिरिक्त जिला कलेक्टर पवन कुमार से बात करने पर बताया कि हमने जिनको सम्मानित किया हैं उसका पुलिस वेरीफिकेशन करवाया हैं। यदि ऐसा कोई मामला हैं मुझे इसकी अभी जानकारी नहीं हैं और अगर कोई हैं तो उसकी जांच करवाएंगे।
Author: seu ram
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