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March 14, 2025 1:33 pm


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स्कूल में भरभराकर गिरा छत का प्लास्टर, 5 स्टूडेंट घायल : सिर में चोट लगने से 3 की हालत गंभीर; एक महीने पहले कराई थी मरम्मत

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Pankaj Garg

सच्ची निष्पक्ष सटीक व निडर खबरों के लिए हमेशा प्रयासरत नमस्ते राजस्थान

बूंदी। जिले के सरकारी स्कूल में कमरे की छत का प्लास्टर अचानक भरभराकर गिर गया। हादसे में क्लास में मौजूद 5 स्टूडेंट घायल हो गए। सिर पर चोट लगने के कारण इनमें से 3 स्टूडेंट की हालत गंभीर है। हादसा जिले के नैनवां क्षेत्र में स्थित गवर्नमेंट प्राइमरी स्कूल, फटुकड़ा में मंगलवार सुबह करीब 10:15 बजे हुआ।

कमरे की दिसंबर में सर्दी की छुटि्टयों में ही मरम्मत कराई गई थी। ठेकेदार ने पुराना प्लास्टर उतारे बिना ही उस पर फिर से प्लास्टर कर दिया था। स्टाफ ने जेईएन से ठेकेदार की शिकायत भी थी, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया।

नैनवां एसडीएम सीमा मीणा ने बताया- मौके पर जाकर बच्चों से मिली थी। उनके परिजनों को आश्वस्त किया है कि मामले की जांच कराई जाएगी। जिसकी भी लापरवाही सामने आएगी, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

प्रार्थना के बाद क्लास में पहुंचे थे बच्चे

स्कूल टीचर प्रियंका चौधरी ने बताया- सुबह करीब 10:15 बजे प्रेयर (प्रार्थना) के बाद बच्चे क्लास में जा रहे थे। कुछ बच्चे कमरे के बाहर थे और कुछ अंदर थे। बच्चों का अटेंडेंस रजिस्टर लेने आई तो अचानक यह हादसा हो गया।

छत का प्लास्टर गिरने से घायल हुए पांचों स्टूडेंट का करवर सीएचसी में इलाज कराया गया। 5वीं क्लास के स्टूडेंट रामकेश बैरवा व अमन और तीसरी के छात्र लवकुश बैरवा की हालत गंभीर होने पर सवाई माधोपुर सरकारी अस्पताल रेफर किया गया। वहीं, प्रिंस मीणा और शैतान बैरवा को प्राथमिक इलाज के बाद अस्पताल से छुट्‌टी दे दी।

एक कमरे में ही बैठते थे स्कूल के सभी 47 बच्चे

स्कूल में कुल 47 स्टूडेंट और दो टीचर हैं। स्कूल में दो ही कमरे हैं। इनमें एक कमरे में ऑफिस है। जबकि दूसरे कमरे में पहली से पांचवीं क्लास तक के सभी स्टूडेंट बैठते हैं।

घटना की सूचना मिलते ही करवर थाने के एसएचओ मुकेश यादव और शिक्षा विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे। नैनवां एसडीएम सीमा मीणा ने भी घटनास्थल का जायजा लिया। शिक्षा विभाग ने मामले की जांच शुरू कर दी है।

टीचर ने जेईएन से की थी शिकायत

टीचर प्रियंका चौधरी ने बताया- कमरे की स्थिति जर्जर होने पर शिक्षा विभाग को लिखित में सूचना दी थी। इसके बाद आपदा प्रबंधन से मरम्मत के लिए दो लाख रुपए स्वीकृत हुए थे। दिसंबर में शीतकालीन छुटि्टयों में कमरों की मरम्मत की गई थी।

ठेकेदार ने पुराना प्लास्टर उतारे बिना ही उस पर फिर से प्लास्टर कर दिया। वहीं, तराई भी नहीं की थी। इसकी लिखित शिकायत संबंधित जेईएन को की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस कारण प्लास्टर एक महीने भी नहीं टिक पाया।

Author: JITESH PRAJAPAT

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