अजमेर। अजमेर की दरगाह इलाके में अवैश बांग्लादेशी, रोहिंग्या और अन्य संदिग्ध लोगों की धरपकड़ के लिए चलाए जा रहे अभियान के तहत पुलिस टीम ने 30 संदिग्ध लोगों को डिटेन किया है। इनमें से 2 लोगों के बांग्लादेशी नागरिक होने की पुष्टि हुई है। पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया। चौकाने वाला तथ्य यह है कि पकड़े गए 35 वर्षीय आलमगीर और 55 वर्षीय शाहीन को वर्ष 2012 में दरगाह इलाके में गिरफ्तार कर गृह विभाग के निर्देशानुसार बांग्लादेश डिपोट किया गया था, लेकिन दोनों फिर वापस लौट आए। पुलिस जांच कर रही है कि पूर्व में डिपोट किए गए अवैध बांग्लादेशी नागरिक किस तरह वापस लौट रहे हैं।
दरगाह थाना प्रभारी दिनेश जीवनानी ने बताया कि एसपी वंदिता राणा, एडिशनल एसपी हिमांशु जांगिड़ और सीओ लक्ष्मण राम के निर्देश पर पिछले 3न महीने से इलाके में संदिग्ध नागरिकों की पहचान के लिए अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत 25-30 खानाबदोश को डिटेन कर तफ्तीश की गई। इसमें बांग्लादेश निवासी मोहम्मद आलमगीर और 55 वर्षीय शाहीन की बांग्लादेशी होने की पुष्टि हो गई। दोनों लंबे समय से पहचान छिपाकर इलाके में खानाबदोश की तरह रह रहे हैं।
तफ्तीश में पता चला कि दोनों को तेरह साल पहले पकड़कर बांग्लादेश भेजा गया था। पूछताछ में दोनों ने बताया कि उन्होंने एजेंट को पैसा देकर बार्डर क्रॉस किया था। पुलिस के अनुसार जालियान कब्रिस्तान, अंदर कोट, नई सड़क सहित अन्य इलाकों में संदिग्ध लोगों के बारे में तफ्तीश की जा रही है।
12 साल से खानाबदोश की तरह रह रहे थे
हैरानी की बात यह है कि दोनों युवक 12 साल से दरगाह क्षेत्र में खानाबदोश की तरह रह रहे थे, लेकिन इस दौरान खुफिया विभाग को इसकी भनक तक नहीं लगी। पुलिस को विशेष अभियान के तहत इनके बारे में जानकारी मिली।