भीलवाड़ा। जिले के मांडल कस्बे में 400 साल पुरानी परंपरा निभाई गई। यहां गुरुवार को नाहर नृत्य हुआ, जिसे देखने लोगों की भीड़ उमड़ी। बताया जाता है की यह नृत्य मुगल बादशाह शाहजहां के मनोरंजन के लिए 400 साल पहले शुरू किया गया था। इस नृत्य की खासियत है कि यह राम और राज के सामने ही प्रस्तुत होता है।
राजस्थान की समृद्ध लोक संस्कृति, वीरता और आस्था को सहेजने वाले नाहर नृत्य का 412वां संस्करण इस बार मांडल महोत्सव के रूप में गुरुवार रात खेल स्टेडियम में अपार हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ। हजारों दर्शकों की उपस्थिति में यह कार्यक्रम एक ऐतिहासिक उत्सव में परिवर्तित हो गया।
राजस्थान की वीरगाथाओं और लोकधार्मिक परंपराओं से जुड़े नाहर नृत्य ने कार्यक्रम का आकर्षण बढ़ाया। नृत्य कलाकारों ने अपने शरीर पर रुई लपेटकर विशेष सजावट की और दोनों हाथों में लकड़ियां लेकर नाहर जैसी गर्जना करते हुए नृत्य प्रस्तुत किया। इस नृत्य ने योद्धाओं के शौर्य, आस्था और समुदाय की एकता का जीवंत चित्रण किया। इसके अलावा, घोड़ी नृत्य और अन्य लोकनृत्य की प्रस्तुतियों ने भी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। पीले साफे, सफेद पारंपरिक पोशाक और गले में पुष्प मालाएं पहने कलाकारों ने जब ढोल-नगाड़ों की थाप पर नृत्य किया, तो पूरा वातावरण राजस्थानी संस्कृति की सुगंध से भर गया।
भीलवाड़ा जिले में ये नृत्य साल में एक बार होता है। इसकी शुरुआत 411 साल पहले हुई थी तब इसकी प्रस्तुति मुगल सम्राट के सामने मनोरंजन के लिए की गई थी, तब से लेकर आज तक हर साल मांडल में इसका आयोजन किया जा रहा है।
आयोजन को देखने के लिए नगर सहित क्षेत्र भर से हजारों लोग पहुंचे और देर रात तक सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का आनंद लिया। मांडल के बस स्टैंड से स्टेडियम तक भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें नाहर रूपी लोक कलाकार, पारंपरिक वेशभूषा में सजे लोग, सजीव झांकियां और रोशनी से सजे हुए रथ आकर्षण का केंद्र रहे। हर ओर केसरिया ध्वज लहराते श्रद्धालु, गूंजते जयकारे और नाचते-गाते लोक कलाकारों का उत्साह देखते ही बना।
डिप्टी सीएम ने किया शुभारंभ कार्यक्रम का शुभारंभ डिप्टी सीएम डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया। उन्होंने कहा— मांडल का यह ऐतिहासिक नाहर नृत्य न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर है, बल्कि यह हमारी परंपराओं को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने का भी माध्यम है। ऐसे आयोजन हमें अपनी जड़ों से जोड़े रखते हैं और हमें इनका संरक्षण करना चाहिए। कार्यक्रम की अध्यक्षता विधायक उदयलाल भड़ाना ने की। उन्होंने क्षेत्रवासियों को इस भव्य आयोजन के लिए बधाई दी और इसकी निरंतरता बनाए रखने का संकल्प व्यक्त किया।
इनकी रही मौजूदगी
अन्य विशिष्ट अतिथियों में जल संसाधन मंत्री कन्हैयालाल चौधरी, मालासेरी पुजारी श्यामलाल पोसवाल, मांडलगढ़ विधायक गोपाल खंडेलवाल, जिला कलेक्टर जसमीत संधू, जिला पुलिस अधीक्षक धर्मेंद्र यादव और मांडल उपखंड अधिकारी सीएल शर्मा, पुलिस उपाधीक्षक मेघा गोयल, तहसीलदार सुमन गुर्जर, थानाधिकारी राजपाल सिंह मौजूद रहे।
इन लोक कलाकारों ने किया परफोर्म
कालूमाली, राधेश्याम माली, सत्तू माली, देवीलाल माली ये बड़ा मंदिर चौक से राम के समक्ष वाली प्रस्तुति के लोक कलाकार थे। जबकि भंवर माली, दिनेश माली, दिनेश गुर्जर, सौम्य मुछाल यह राज के समक्ष वाले लोक कलाकार थे। इस महोत्सव का कस्बे वासियों को साल भर इंतजार रहता है इस महोत्सव को दीपावली से भी अधिक भव्य रूप से मनाया जाता है। इस दिन हर घर में व्यंजन बनाए जाते है और चिर परिचित के साथ ही बहन-बेटियों, दामाद सहित बाहर से मेहमानों को बुलाया जाता हैं और अतिथि देवो भव के रूप में उनका आदर-सत्कार किया जाता है।
करीब 412 साल पहले 1614 में शाहजहां मांडल पहुंचे थे। उनका पड़ाव उदयपुर जाते समय रास्ते में यहां डाला गया था। शाहजहां मेवाड़ महाराणा अमर सिंह से संधि करने उदयपुर जा रहे थे। तभी मुगल बादशाह शाहजहां मांडल में रुके थे। बताते हैं कि यह नाहर नृत्य नरसिंह अवतार का रूप है। 1614 ईस्वी में मुगल बादशाह शाहजहां के समक्ष उस समय मांडल गांव वालों ने अपने नरसिंह अवतार का प्रदर्शन कर शाहजहां को मंत्रमुग्ध कर दिया था। इस बार गुरुवार को 412वें नाहर नृत्य का आयोजन मांडल महोत्सव के रूप में किया गया। नाहर नृत्य की खासियत यह है कि यह राम और राज के सामने ही प्रस्तुत होता है। ‘अब घर बैठे सीधे मांडल एमएलए से करें संपर्क, आपकी हर समस्या पहुंचेगी सीधा उनके द्वार’ इस योजना का शुभारंभ डिप्टी सीएम प्रेमचन्द बैरवा व भू-जल विभाग मंत्री कन्हैयालाल चौधरी, विधायक, साधु संत सहित जनप्रतिनिधियों ने पोस्टर का विमोचन किया।