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August 1, 2025 5:26 pm


सिरोही में डिस्कॉम कार्यालय सील, 4 साल से लंबित था मुआवजा भुगतान

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Pankaj Garg

सच्ची निष्पक्ष सटीक व निडर खबरों के लिए हमेशा प्रयासरत नमस्ते राजस्थान

न्यायालय के आदेश की अवहेलना पर सिरोही में डिस्कॉम कार्यालय सील, 4 साल से लंबित था मुआवजा भुगतान यह है पूरा मामला…

सिरोही। जिला न्यायाधीश रूपा गुप्ता ने मंगलवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए जोधपुर विद्युत वितरण निगम (डिस्कॉम) के अधीक्षण अभियंता कार्यालय को सील कर दिया। यह कार्रवाई न्यायालय के आदेश की चार वर्षों तक अनदेखी करने पर की गई। वर्ष 2021 में न्यायालय ने एक करंट दुर्घटना में मृतक के परिजनों को 16.59 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया था, जिसकी अब तक पालना नहीं हुई थी। कार्रवाई के दौरान कार्यालय के अधीक्षण अभियंता सहित अन्य अधिकारी कार्यालय से बाहर चले गए। सभी कर्मचारियों को भी बाहर निकाला गया और न्यायालय के निर्देश पर मुख्य द्वार को सील कर दिया गया। अधीक्षण अभियंता ने मात्र 8 लाख रुपए के आंशिक भुगतान की पेशकश की, लेकिन न्यायालय ने आदेशित सम्पूर्ण राशि का एकमुश्त भुगतान करने पर जोर दिया।

दर्दनाक हादसा- करंट से गई जान

पीड़ित पक्ष की ओर से वकील सुमेर सिंह राजपुरोहित ने बताया कि मामला 12 अगस्त 2015 का है। मृतक भंवर सिंह अपने भाई भीम सिंह के साथ अखापुरा गांव के सोदरला स्थित कृषि कुएं पर फसल की रखवाली कर रहा था। रात के समय पेशाब के लिए बाहर निकले भंवर सिंह का पैर डीपी के अर्थिंग तार से छू गया, जिससे करंट लगने से उसकी मौके पर ही मौत हो गई। पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि जोधपुर विद्युत वितरण निगम द्वारा लगाए गए ट्रांसफॉर्मर की अर्थिंग का नियमित रखरखाव नहीं किया गया था, जिससे यह हादसा हुआ।

न्यायालय का आदेश और लापरवाही

इस घटना के बाद पीड़ित पक्ष की ओर से वकील सुमेर सिंह राजपुरोहित ने अदालत में याचिका दायर की। 21 सितंबर 2021 को न्यायालय ने निगम को 10.83 लाख रुपए मुआवजा तथा 11 अगस्त 2017 से वसूली की तारीख तक 7.5 प्रतिशत वार्षिक ब्याज देने के आदेश दिए थे। इसके बावजूद निगम द्वारा आदेश की अवहेलना की गई, जिससे अदालत को कठोर कदम उठाना पड़ा।

परिवार की हालत दयनीय

मृतक भंवर सिंह की पत्नी पहले ही स्वर्गवासी हो चुकी थी। उनकी मां गंगा कंवर का भी चार महीने पूर्व निधन हो गया। भंवर सिंह के तीन बच्चे हैं एक बालिक और दो नाबालिग, जो पढ़ाई छोड़कर बाहर होटल में बर्तन धोने का कार्य करने को मजबूर हो गए हैं। वकील राजपुरोहित के अनुसार, यदि समय पर मुआवजा मिल गया होता, तो बच्चों की पढ़ाई और भविष्य सुरक्षित रह सकता था। यह मामला सरकारी लापरवाही और न्यायालय के आदेशों की अनदेखी की गंभीर तस्वीर प्रस्तुत करता है। अब न्यायालय की सख्ती के बाद पीड़ित परिवार को न्याय की आशा जगी है।

Author: JITESH PRAJAPAT

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