उदयपुर। जिले में एक बार फिर लेपर्ड का हमला हुआ है। हालांकि, इस बार ग्रामीणों ने किसान पर हमला कर भाग रहे लेपर्ड को घेरकर मार डाला। वन विभाग के अनुसार ये दावे से नहीं कहा जा सकता कि ये वो ही आदमखोर है जिसने गोगुंदा क्षेत्र में 9 लोगों का शिकार किया है। शुक्रवार सुबह 3 बजे हुई ये घटना गोगुंदा से करीब 20 किलोमीटर दूर सायरा थाना क्षेत्र की है। जानकारी के अनुसार लेपर्ड का ये हमला कमोल गांव में हुआ है। यहां के देवाराम (55) के घर में घुसे लेपर्ड ने पहले बाड़े में बंधी गायों पर अटैक किया था। गायों की चीख-पुकार सुनकर बाड़ में पहुंचे किसान पर लेपर्ड ने हमला कर दिया। उनके दोनों हाथों को भी जबड़े में दबा लिया और पंजों से भी कई बार वार किया।
शोर हुआ तो जंगल की ओर भागा लेपर्ड
देवाराम शोर मचाते हुए कुछ मिनट तक लेपर्ड से बचने का प्रयास करत रहे। इसके बाद ग्रामीणों और परिवार का शोर सुनकर जमीन पर गिरे देवाराम को छोड़कर लेपर्ड जंगल की ओर भाग गया। इसके बाद ग्रामीणों ने हथियार लेकर उसका पीछा किया। वहीं, घायल देवाराम को नजदीक के हेल्थ सेंटर ले जाया गया। जहां से उन्हें उदयपुर के एमबी हॉस्पिटल में रेफर किया गया। देवाराम का हालत फिलहाल ठीक है, लेकिन डर के कारण वे कुछ भी बोल नहीं पा रहे हैं।
घायल के घर के पास ही पड़ा मिला लेपर्ड का शव
वन विभाग के अधिकारी सुनील कुमार ने बताया कि लेपर्ड का शव देवाराम के घर के पास ही पड़ा मिला। लेपर्ड का चेहरे पर बड़ा घाव है। जिससे लग रहा है कि किसी धारदार हथियार या कुल्हाड़ी से उस पर हमला किया गया। लेपर्ड के डर की वजह से इन दिनों ग्रामीण हथियार साथ में रखते हैं। ऐसे में संभावना है कि लेपर्ड को लोगों ने मार डाला हो। पूरे मामले की जांच की जा रही है।
गोगुंदा के बाद अब सायरा में लेपर्ड के लगातार हमले
गोगुंदा के बाद बाद अब सायरा इलाके में भी लेपर्ड के अटैक बढ़ रहे हैं। कमोल गांव से करीब 10 किमी दूर ढोल गांव में एक दिन पहले लेपर्ड ने एक ग्रामीण पर हमले का प्रयास किया था। दो दिन पहले 9 अक्टूबर को लेपर्ड ने ढोल गांव के सरदारपुरा में गाय का शिकार किया था। वहीं, 4 अक्टूबर 2024 को भी ढोल गांव के कालू सिंह और वाटो का गुड़ा की चपली बाई पर लेपर्ड ने हमले का प्रयास किया था। लगातार हमलों से ग्रामीणों में दहशत का माहौल बना हुआ है।
गोगुंदा में अब तक वन विभाग के हाथ खाली
बीत करीब एक महीने से उदयपुर के गोगुंदा और झाड़ोल एरिया में आदमखोर लेपर्ड की तलाश की जा रही है। करीब 300 लोगों की टीम 20 से ज्यादा गांवों के जंगल में हाईटेक टेक्नीक से आदमखोर को ढूंढ रही है। इसमें 12 शूटर भी शामिल हैं। टीम में अलग-अलग टाइगर सेंचुरी से बुलाए गए एक्सपर्ट भी शामिल हैं, लेकिन अब तक आदमखोर लेपर्ड को पकड़ा नहीं जा सका है। हालांकि, इस बीच लेपर्ड के हमले लगातार जारी है। वहीं, अब एक्सपर्ट्स में इस बात को लेकर भी विवाद है कि सही आदमखोर की पहचान कैसे होगी? इस बीच गोगुंदा और झाड़ोल एरिया के गांवों में लेपर्ड के हमले के बाद सायरा एरिया में बढ़े हमले भी प्रशासन के लिए परेशानी बढ़ा रहे हैं।