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July 8, 2025 8:47 pm


आग लगी का मामला : शॉर्ट सर्किट से आधी रात के बाद धधकी आग 6 दमकलों ने 4 घंटे में 30 राउंड में पाया काबू

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Pankaj Garg

सच्ची निष्पक्ष सटीक व निडर खबरों के लिए हमेशा प्रयासरत नमस्ते राजस्थान

भरतपुर। रेलवे स्टेशन बजरिया में एक कपड़े की दो मंजिला दुकान और गोदाम में शॉर्ट सर्किट से भयंकर आग लग गई। भीषणता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आग की काबू पाने में छह दमकलों को 30 राउंड लगाने पड़े। शनिवार-रविवार की रात हुए इस अग्निकांड की तपिश रविवार शाम सात बजे तक महसूस हुई। परिसर में आगजनी से सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं थी। दुर्घटना में लाखों रुपए के कपड़े, साड़ियां, कंबल इत्यादि जल गए। रेल्वे स्टेशन रोड स्थित में डेयरी बूथ के पीछे वाली गली में मुरारीलाल रविकुमार फर्म कपड़ों की बड़ी दुकान है। सड़क की ओर दो शटर वाली इस दुकान के पीछे और पहली मंजिल पर गोदाम भी था। पहली मंजिल पर पीछे की ओर बने कमरों में ही व्यापारी रविकुमार का निवास था। जिसमें वह पत्नी और बेटे के साथ रहता था। रात डेढ़ बजे व्यापारी के बेटे प्रखर गुप्ता को धुआँ महसूस हुआ। उसने अपने पिता को जगाया। बेटे घर में आने जाने वाली सीढ़ियों से उतर कर देखा तो दुकान में आग और धुआं दिखाई दिया। इस पर उन्होंने भाग कर मुख्य रोड पर स्थित पुलिस चौकी पर जानकारी दी। आग की भीषणता को देखते हुए अधिकारियों को सूचना दी गई। नगर निगम आयुक्त श्रवण कुमार विश्नोई रात दो बजे मौके पर पहुंचे। गली में बिजली की आपूर्ति बंद की गई। फायर ब्रिगेड, सिविल डिफेंस के अलावा दूसरे कस्बों से चार दमकलों को बुलाया गया। जिस पर चार घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया।

एक ही परिसर में मकान, दुकान और गोदाम होने से रेस्क्यू में आई परेशानी

आग से छत की पट्टियां टूटीं, रेस्क्यू में आई परेशानी

एक ही परिसर में मकान, दुकान और घर होने से तीनों दुकान के भीतर से ही पहली मंजिल के गोदाम में जाने की सीढ़ियां थी। साथ ही छत में जंगला भी लगा हुआ था। फायर फाइटर्स के अनुसार दुकान-गोदाम में इतना माल भरा था कि कपड़ों की गांठें सीढ़ियों में रखी हुई थी। इन्हीं से ऊपर के गोदाम तक आग पहुंचने की आशंका है। पूरे माल के धधकने से छतों की पट्टियां तड़क गई। झीने की सीढ़ियां टूटकर गिर गई। आयुक्त के अनुसार इस हिस्से में 3 घरेलू गैस सिलेंडर रखे थे। आग उस हिस्से में पहुंचती तो बड़ा हादसा हो सकता था।

पहले चाबी नहीं मिली फिर तपिश बढ़ी

प्रतिष्ठान के भीतर ही आवास होने के कारण शटरों पर भीतर से भी ताले लगाए जा सकते थे। फाइटर्स के अनुसार अंदर आग लगी थी। ऐसे में निवास के रास्ते नहीं घुसा जा सकता था। आग लगने पर दुकान की चाबी सही समय पर नहीं मिली। मजबूत शटर बाहर से आसानी से नहीं तोड़े जा सकते थे। चाबी मिलने तक लॉक इतना गर्म हो चुका था की मैटल पिघलने लगा था। ऐसे में ताला नहीं खोला जा सका। शटर को तोड़ने में खासी मशक्कत करनी पड़ी।

बौछार के लिए तोड़नी पड़ी दीवार

छोटी गली होने के कारण अग्निशमन वाहन परिसर तक नहीं पहुंच सके। ऐसे में उन्हें मुख्य सड़क पर खड़ा कर वहां तक होज पाइप बिछाए गए। परिसर में सेटबैक नहीं है। जिससे उसमें दो दिशाओं में कोई खिड़की, रोशनदान या वेंटिलेशन नहीं था। ऊपर के गोदाम के आगे की ओर लगे शटर पिघलने लगे थे। ऐसे में पड़ोसियों की छत से साइड की दीवार का हिस्सा तोड़ा गया। तब कहीं जा कर ऊपर के गोदाम में आग बुझाने के लिए पानी की बौछार की जा सकी। आग बुझाने के दौरान फायर ब्रिगेड के पास संसाधनों की खासी कमी अखरी। जब शटर तोड़ने का निर्णय किया गया तो सब्बल के सिवाय कोई उपकरण नहीं था।

Author: JITESH PRAJAPAT

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