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November 22, 2024 8:05 am


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फिंगर प्रिंट की तरह अब आंख-नाक भी होंगे स्कैन : डिजिटल रिकॉर्ड से मैच कर अपराधी को पहचान लेंगे चौराहे के कैमरे

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Pankaj Garg

सच्ची निष्पक्ष सटीक व निडर खबरों के लिए हमेशा प्रयासरत नमस्ते राजस्थान

भरतपुर\बाड़मेर। एआई के दौर में अपराध के बदलते ट्रेंड में अब पुलिसिंग भी आधुनिक हो रही है। अपराधियों को पकड़ने के लिए अब आईटी बड़ी मददगार साबित हो रही है। इसी कड़ी में अब नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ने नए प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया है। इसके तहत आने वाले समय में अपराधियों व बदमाशों के अलावा गिरफ्तार होने वाले आरोपियों के फिंगर प्रिंट के साथ-साथ उनके पूरे शरीर को भी मेजर किया जाएगा। जिसमें चेहरा-आंखों को स्कैन किया जाएगा। साथ ही उनकी लंबाई-सीना-वजन आदि का मेजरमेंट भी रिकॉर्ड करेंगे। इस डाटा को पुलिस की ओर से लगाए गए सार्वजनिक कैमरों के सर्वर से जोड़ा जाएगा। ताकि कोई आरोपी वारदात के बाद भी अलग-अलग शहरों में घूमता हुआ भी इन कैमरों की जद में आकर पकड़ा जा सके। गौरतलब है कि वारदात को अंजाम देकर भाग जाने वाले बदमाशों को पकड़ने में पुलिस को काफी भागदौड़ करनी पड़ती है। उनके बार-बार नंबर व लोकेशन बदलने के साथ इंटरनेट ऐप आधारित फोन यूज करने से बदमाश आसानी से पुलिस के हाथ नहीं आते। अब बॉडी मेजरमेंट करने के बाद इसके डेटा को पुलिस कंट्रोल रूम के सर्वर से जोड़ने पर आरोपी शहरों में लगे पुलिस के कैमरों की पकड़ में आ जाएंगे। सीसीटीवी फुटेज मैच करते ही अलर्ट करेगा। इसके बाद आरोपी को पकड़ना आसान हो जाएगा।

दिल्ली में सभी राज्यों का प्रशिक्षण, इसके बाद होगा लागू

राजस्थान के नोडल अधिकारी प्रीतम कुमार ने बताया कि अब तक बदमाश अपराधियों के फिंगर प्रिंट लिए जा रह हैं। आने वाले समय में शरीर के कई अंगों का मेजरमेंट किया जाएगा। स्टेट क्राइम रिकाॅर्ड ब्यूरो 1.73 लाख से ज्यादा डिजिटल फिंगर प्रिंट व पुराने समय में कागजों पर लिए गए 22 हजार से ज्यादा फिंगर के निशानों को भी डिजिटल करके नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो में भेज चुका है। नई व्यवस्था के लिए दिल्ली में प्रशिक्षण होगा। इसमें सभी प्रदेशों के साइबर क्राइम से जुड़े एक्स्पर्ट व प्रभारी हिस्सा लेंगे।

हर जिले में स्थापित होगी मेजरमेंट कलेक्शन यूनिट

बायोमेट्रिक मेजरमेंट कलेक्शन यूनिट के लिए प्रत्येक जिले में सेटअप तैयार होगा। इसकी तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। स्टाफ-उपकरण आदि संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे। जिला स्तर के स्टाफ को भी प्रशिक्षित किया जाएगा। डिजिटल फिंगर प्रिंट बैंक से भी पुलिस को मामलों के खुलासों में बहुत बड़ी मदद मिल रही है। बायोमेट्रिक मेजरमेंट कलेक्शन से इसमें और आसानी होगी।

 

Author: JITESH PRAJAPAT

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