अलवर। सरिस्का के बफर जाेन के जंगल से अलवर शहर के आरआर कॉलेज के परिसर के जंगल में घूम रहा लेपर्ड रात को पिंजरे में फंसता-फंसता बच गया। यहां दो पिंजरे रखे हैं। एक में मेमना तो दूसरे में बकरा था। एक पिंजरे के पास जाकर लेपर्ड ने हरकत की तो उसका मुंह पहले ही बंद हो गया। दूसरे पिंजरे के अंदर तक एक पैर का निशान मिला है। लेकिन उसका मुंह बंद नहीं हो सका। इस तरह लेपर्ड ने शिकार भी नहीं किया और पिंजरे में फंसने से बच भी गया। लेकिन अब अनुमान है कि आने वाली रात को लेपर्ड पिंजरे में फंस सकता है। जिसके लिए वनकर्मियों को पिंजरे को और अधिक ढंग से लगाने की तैयारी कर ली है।
सहायक वनपाल भीम सिंह ने बताया की दो पिंजरे लगाए थे। एक में बकरा और दूसरे में छोटा मेमना था। हनुमान मंदिर के पास लगे दोनों पिंजरो के पास देर रात लेपर्ड आया। कुछ देर तक वहां रुका भी है। एक पिंजरे के ऊपर लगी ग्रीन मेट को भी लेपर्ड ने हटा दिया। जिसकी हरकत से पिंजरे का मुंह बंद हो गया। उसके बाद दूसरे पिंजरे के पास लेपर्ड गया। पिंजरे के अंदर तक एक पैर रखा है। लेकिन पिंजर का मुंह बंद नहीं हुआ। इस कारण लेपर्ड बाहर ही रह गया। उसने शिकार भी नहीं किया। इसके अलावा सड़क कॉलेज परिसर में ही सड़क पार कर दीवार से लगने वाले घरों की तरफ गया है। आज रात पिंजरे को जमीन में गाड़ कर लगाया जाएगा। ताकि लेपर्ड आसानी से शिकार करने अंदर घुस सके।