अजमेर। हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 813वें उर्स का झंडा शनिवार शाम को दरगाह के बुलंद दरवाजे पर चढ़ाया गया। तोप के 25 गोल दाग कर सलामी दी गई। झंडा चढ़ाने की रस्म के दौरान हजारों जायरीन मौजूद रहे।
दरगाह में अब उर्स के दौरान दिनभर जियारत की जा सकेगी। 1 जनवरी को जन्नती दरवाजा जियारत के लिए सुबहे खोला जाएगा। रजब महीने का चांद दिखाई देने पर 1 या 2 जनवरी से उर्स की विधिवत शुरुआत होगी। दरगाह के खादिमों के साथ ही प्रशासनिक व पुलिस के आला अफसर भी मौजूद रहे।
अस्त्र की नमाज के बाद गरीब नवाज गेस्ट हाउस से झंडे का जुलूस शुरू हुआ। सबसे आगे कलंदर और मलंग हैरत अंग्रेज करतब दिखाते चल रहे थे। पुलिस के बैंडवादक सूफियाना कलाम की धुन बिखेर रहे थे। गौरी परिवार के सदस्य झंडा उठाए हुए थे। शाही कव्वाल कलाम पेश करते हुए चल रहे थे। बड़े पीर साहब की पहाड़ी से लगातार तोप के गोले धागे जा रहे थे। झंडे को सलामी दी गई। बाद में बुलंद दरवाजे पर पहले कदीमी फिर नया झंडा चढ़ाया दिया गया। यह झंडा उर्स में बुलंद दरवाजे पर चढ़ा रहेगा।
जुलूस में जायरीन की भीड़ एकाएक नहीं टूटे इसको देखते हुए पुलिस ने दरगाह बाजार में निजाम गेट से थोड़ा आगे बैरिकेड लगा दिया। दरगाह परिसर में अधिक भीड़ नहीं जुड़ पाई। जिला प्रशासन ने फूल और लंगरखाना गली से निजाम गेट तक की दुकान बंद कर दी। इसके साथ ही अतिक्रमण भी हटा दिए गए।