जयपुर। कोचिंग स्टूडेंट्स के सुसाइड को रोकने के लिए राज्य सरकार कानून बनाने जा रही है। इसके लिए सरकार 31 जनवरी से शुरू हो रहे इसी विधानसभा सत्र में आत्महत्या रोकने के संबंध में विधेयक लेकर आएगी। यह जानकारी सरकार की ओर से सोमवार को हाईकोर्ट में दी गई।
सरकार के जवाब को रिकॉर्ड पर लेते हुए कोर्ट ने मामले की सुनवाई 10 फरवरी को तय की है। जस्टिस इंद्रजीत सिंह और जस्टिस वीके भारवानी की खंडपीठ ने यह आदेश कोचिंग स्टूडेंट की ओर से आए दिन आत्महत्या की घटनाओं पर लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर दिया।
सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद ने कोर्ट को बताया- राज्य सरकार कोचिंग सेंटर्स के संचालन के लिए कानून बनाने जा रही है। इसके लिए सभी बिंदुओं पर काम किया जा रहा हैं। संभावना है कि आगामी विधानसभा सत्र में इस संबंध में बिल पेश कर दिया जाएगा।
हाईकोर्ट ने लिया था प्रसंज्ञान पिछली सुनवाई में सरकार की ओर से हाईकोर्ट में 33 जिलों में संचालित कोचिंग सेंटर्स की लिस्ट भी पेश की गई थी। इस पर हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि क्यों न कानून बनने तक कोचिंग सेंटर्स के रजिस्ट्रेशन से संबंधित केंद्र सरकार की गाइडलाइन को लागू करा दिया जाए? इसे लेकर कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा था।
कोटा में कोचिंग स्टूडेंट्स में बढ़ती सुसाइड की घटनाओं के बीच हाईकोर्ट ने करीब 9 साल पहले स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेकर याचिका दर्ज की थी। इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि वह कोचिंग स्टूडेंट्स में आत्महत्याओं की घटनाओं को रोकने के लिए क्या प्रयास कर रही है।
इस पर सरकार की ओर से कहा गया कि हम इस संबंध में विधेयक ला रहे हैं। न्यायमित्र वरिष्ठ वकील सुधीर गुप्ता ने कोर्ट को बताया- कानून बनने में समय लगने वाला है, तब तक केंद्र सरकार की गाइडलाइन की पालना कराई जाए और उनके अंतर्गत तय मानकों के अनुसार कोचिंग सेंटर्स का रजिस्ट्रेशन किया जाए।