बूंदी। जिले की सींचता ग्राम पंचायत के मेहराना गांव का राजकीय उच्च प्राथमिक स्कूल शिक्षा विभाग की उपेक्षा का जीता-जागता उदाहरण बन गया है। स्कूल की हालत इतनी खराब है कि बच्चे दिन में भी वहां जाने से डरते हैं।
स्कूल की स्थिति चिंताजनक है, जहां लड़के-लड़कियों के लिए एक ही टॉयलेट है, वह भी पूरी तरह क्षतिग्रस्त। इससे भी गंभीर बात यह है कि लड़कियों के टॉयलेट में शराब की खाली बोतलें मिली हैं। स्कूल परिसर में जगह-जगह कचरे के ढेर लगे हैं और कक्षाओं में भी गंदगी का आलम है।
शिक्षकों की लापरवाही ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है। ग्रामीणों का आरोप है कि शिक्षक कक्षा में पढ़ाने के बजाय मोबाइल में व्यस्त रहते हैं। छात्रों को पढ़ाई के स्थान पर छाछ और मटर लाने भेजा जाता है। मध्याह्न भोजन गंदे रसोईघर में बनाया जाता है।
स्कूल की भौतिक संरचना भी दयनीय स्थिति में है। दरवाजे-खिड़कियां टूटी हुई हैं, कक्षाओं में कबाड़ भरा है और दीवारें धूल से पटी हैं। प्रधानाध्यापिका शालिनी सोनी का कहना है कि बजट और सफाई कर्मचारियों की कमी के कारण स्कूल की साफ-सफाई नहीं हो पा रही है।
गांव के मुकेश बैरवा, हरिराम, परमानंद सहित कई ग्रामीणों ने शिक्षा विभाग की उदासीनता पर नाराजगी जताई है। ब्लॉक शिक्षा अधिकारी द्वारा निरीक्षण न किए जाने से स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है।
ग्रामीणों ने कहा कि स्कूल में हमेशा गंदगी रहती है। भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका है। बालिकाओं के लिए शौचालय की उचित व्यवस्था नहीं है। स्कूल में बिजली की सुविधा भी नहीं है। कई बार छिपकली गिरने जैसी घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। सफाई कर्मचारी नहीं होने से विद्यार्थियों से झाड़ू लगवाई जाती है।