भरतपुर। गंजे ने सिर का कराया मुड़न तभी पड़ गए ओले, ऐसी कहावत तब सटीक साबित हुई जब एनसीआर नियम के तहत एक मार्च को भट्ठे पर ईंट पकाई को आंच डाली गई और इलाके के सभी भट्टे की चिमनी से धुआं निकलने लगा। जिसको देख भट्टे मालिक व श्रमिक बहुत खुश थे। इसी दिन देर शाम को तेज हवा के साथ बरसात और ओले पड़ गए। जिससे भारी संख्या में ईंट नष्ट हो गई। भट्ठे मालिक पहले से ही एनसीआर के नियम से दुःखी थे और अब ये बरसात से हुए भट्टे नुकसान से अधिक हो गए। इन्हे देवताओं के राजा इन्द्र के प्रकोप का सामना करना पड रहा है जो बार बार बरसात कर रहा है। ईंट भट्टों पर 15 से 20 प्रतिषत तक कच्ची ईंट तबाह हो चुकी है और ईंट थपाई स्थल पर बरसात का पानी भर गया। जिससे कच्ची ईंट थपाई कार्य कई दिन तक बन्द रहेगा तथा थपाई करने वाले मजदूर बेरोजगार रहेंगे। बरसात से कच्ची ईंट के नुकसान और काम प्रभावित होने के साथ-साथ थपाई,भराई व निकासी के मजदूरों का बिना कार्य की ऐवज में खर्चा देना आदि को लेकर ईंट भट्टा मालिक व अन्य लोग चिन्तित है।
ईंट भट्टा मालिक संघ के पूर्व अध्यक्ष सन्तोष चैधरी,चंचल जिन्दल व अनिल सैनी ने बताया कि भरतपुर-डीग जिले के एनसीआर क्षेत्र में शामिल होने से उद्योग आए दिन बन्द हो रहे है। सबसे ज्यादा ईंट भट्टा कारोबार पर पड रहा है। दिल्ली व आगरा के ताज महल को प्रदूषण से बचाने के लिए 28 फरवरी तक ईंट भट्टा की आंच डालना और ईंट पकाई के कार्य पर पूर्ण रूप से रोक लगी हुई है नदबई,वैर, भुसावर,नगर उपखण्ड क्षेत्र में 200 से अधिक ईंट भट्टे लगे हुए हैं । सभी भट्टों में एक मार्च को आंच डाली गई थी। शनिवार की शाम मौसम खराब हो गया और बरसात हो गई। जिस बरसात के पानी से प्रत्येक भट्टे पर 15 से 20 प्रतिषत कच्ची ईंट तबाह हो गई। ईंट थपाई स्थल पर पानी भर गया और थपाई का काम प्रभावित हो गया। पक्की ईंट निकासी और कच्ची ईंट भराई का कार्य भी रूक गया। सभी मजदूर अब बिना काम के बैठे हुए है। जिन्हे बिना काम कराए खर्चा देना पडेगा। यदि खर्चा नही दिया तो ये गांव व घर चले जाऐंगे और फिर ये काम पर नही आऐंगे। ये हमारा चिन्ता का विषय है। भट्टा मालिक अनिल कुमार व हन्तरा के विजेन्द्र सिंह ने बताया कि भट्टे पर कच्ची ईंट थपाई वाले श्रमिकों की प्रतिदिन उनके द्वारा थपाई की गई कच्ची ईंटे गिनती हो जाती है और उन्हे 500 से 550 रू प्रति हजार देना तय है। एक श्रमिक दम्पति प्रतिदिन 2 से 2.5 हजार कच्ची ईंट थाप देता है। उनकी ओर से भले कितना नुकसान हो जाए,उन्हे पैसा देना पडता है। गांव हन्तरा के सन्तोष सिंह ने बताया कि सरकार को भट्टे पर बरसात से होने वाले का मुआवजा देना चाहिए या बीमा करना चाहिए। हर साल नुकसान होता है,सरकार कभी नुकसान पर कर माफ नही करती है। बरसात से कच्ची ईंटों के बचाव को पालीथिन खरीद कर ला रहे है,जिससे कच्ची ईंटों को ढका जा रहा है। उसके बाद भी भारी नुकसान हो जाता है।