शिमला। हिमाचल के मंदिरों में नवरात्र पर आस्था का सैलाब उमड़ आया है। शारदीय नवरात्र पर 5 शक्तिपीठों समेत 10 बड़े मंदिरों में 8.50 लाख से ज्यादा श्रद्धालु अपना शीश नवा चुके हैं। आज व कल श्रद्धालुओं की संख्या में और इजाफा होगा। मां के मंदिरों में सुबह 5 बजे से ही श्रद्धालुओं की लंबी लंबी लाइनें लगी हुई है। श्रद्धालु लाइनों में लगकर पूजा के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। हिमाचल के अलावा पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली से भी बड़ी संख्या में धार्मिक श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। शिमला के कालीबाड़ी में पश्चिम बंगाल से भी काफी श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। इससे देवभूमि हिमाचल में मां के सभी मंदिरों में एक हफ्ते से उत्सव जैसा माहौल है।
इन मंदिरों में ज्यादा श्रद्धालु पहुंच रहे
श्रद्धालुओं की सबसे ज्यादा भीड़ बिलासपुर के नैना देवी मंदिर, कांगड़ा के ज्वालाजी मंदिर, सिरमौर के माता बाला सुंदरी मंदिर, कांगड़ा के ब्रजेश्वरी, चामुंडा देवी और ऊना के चिंतपूर्णी मंदिर में उमड़ा है। प्रदेश के सभी शक्तिपीठों और मंदिरों को नवरात्र के लिए आकर्षक ढंग से सजाया गया है।
क्यों मशहूर है हिमाचल के शक्तिपीठ…
नैना देवी में गिरे थे माता सती के नेत्र
बिलासपुर जिला स्थित मां नैना देवी का मंदिर देश के 51 शक्तिपीठों में से एक है। मान्यता है कि यहां माता सती की आंख गिरी थी। इसके बाद से यह स्थान शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध हो गया। यहां पर भी सालभर भक्तों का आना लगा रहता है।
ज्वालाजी 51 शक्तिपीठों में से 1 शक्ति पीठ
कांगड़ा स्थित मां ज्वालाजी का मंदिर भी देश के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है। कहा जाता है कि यहां भगवती सती की जीभ भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र से कट कर गिरी थी। मंदिर में भगवती के दर्शन नवज्योति रूपों में होते हैं। उत्तर भारत की प्रसिद्ध नौ देवियों के दर्शन के दौरान चौथा दर्शन मां ज्वाला जी का ही होता है।
मां चिंतपूर्णी मंदिर में गिरे थे मां के पांव
ऊना के मशहूर धार्मिक स्थलों में से एक मां चिंतपूर्णी का मंदिर छिन्नमस्तिका के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि यहां मां सती के पांव गिरे थे। माता चिंतपूर्णी मंदिर ट्रस्ट में नवरात्र पर दर्शनों के लिए पर्ची सिस्टम लागू रहेगा। इसके लिए मंदिर ट्रस्ट ने काउंटर स्थापित किए हैं।
चामुंडा मंदिर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित
हिमाचल की एक और मशहूर शक्तिपीठ मां चामुंडा देवी का मंदिर कांगड़ा के पालमपुर में स्थित है। यह मंदिर धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में काफी विकसित है। नवरात्र पर यहां विशेष पूजा की जाती है। सुबह के समय यहां सप्तचंडी का पाठ किया जाता है।
बृजेश्वरी मंदिर में गिरा था मां सती का बायां वक्षस्थल
बृजेश्वरी देवी मंदिर को कांगड़ा देवी के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर भी सालभर भक्तों का तांता लगा रहता है। नवरात्र पर्व पर यहां मां दुर्गा की विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि यहां मां सती का बांया वक्ष गिरा था, इसलिए यह स्थान मां बृजेश्वरी के नाम से प्रसिद्ध हो गया। इन मंदिरों में भक्त खुले दिल से चढ़ावा चढ़ाते हैं। भले ही सोना-चांदी की कीमतें आसमान छू रही हों।
कालीबाड़ी मंदिर में भी खास इंतजाम
शिमला के मशहूर कालीबाड़ी मंदिर में भी नवरात्र के लिए खास इंतजाम किए गए हैं। यहां न केवल स्थानीय लोग बल्कि देशभर से आने वाले धार्मिक पर्यटक नवरात्रि पर पूजा करने पहुंचते हैं। खासकर पश्चिम बंगाल के पर्यटक कालीबाड़ी में नवरात्रि पर पूजा अर्चना करते हैं। नवरात्र पर सभी शक्तिपीठों व मां के मंदिरों में सुरक्षा व्यवस्था के भी खास इंतजाम किए गए है। सभी मंदिरों में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात है। यही नहीं सभी शक्तिपीठों में श्रद्धालुओं के आने जाने के लिए अतिरिक्त बसें चलाई गई है।