बूंदी। जिले के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व एरिया में एक मादा टाइगर का कंकाल मिला है। अभयारण्य की जैतपुर रेंज के बांदरापोल के नाले में मादा टाइगर का कंकाल ट्रैकिंग के दौरान नजर आया था। कई दिनों से मादा टाइगर की साइटिंग नहीं हो पा रही थी। मंगलवार को विभाग ने बूंदी मुख्यालय पर कंकाल का पोस्टमॉर्टम करवा कर अंतिम संस्कार किया है। रामगढ़ विषधारी टाइगर अभयारण्य में मादा टाइगर कई दिनों से ट्रेस नहीं हो रही थी। ट्रैकिंग के दौरान मादा टाइगर का कंकाल मिलने से अभयारण्य की ट्रैकिंग ओर देखरेख की प्लानिंग पर भी सवाल खडे़ हो रहे है। सोमवार शाम पांच बजे विभाग के कर्मचारियों को ट्रैकिंग के दौरान जैतपुर रेंज के बांदरा पोल के नाले में टाइगर का कालर मिला था और पास ही वन्य जीव का कंकाल पड़ा हुआ था। मंगलवार को विभाग ने बूंदी मुख्यालय पर कंकाल का पोस्टमॉर्टम करवा कर अंतिम संस्कार किया है। मौत के कारणों का खुलासा पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही हो पाएगा। एक साल पहले आई थी बेगम रामगढ़ अभयारण्य में टाइगर कुनबा बढ़ाने के लिए रणथंभौर टाइगर रिजर्व एरिया से 16 जुलाई 2022 को मादा टाइगर को रामगढ़ में शिफ्ट किया था। तब से आरवीटी 2 नाम दिया गया था। इससे पहले रणथंभौर में इसे बेगम के नाम से पहचाना जाता था। शिफ्टिंग के एक साल बाद जुलाई 23 में मादा टाइगर तीन शावकों के साथ नजर आई तो विभाग सहित वन्य जीव प्रेमियों के चेहरे खिल गए थे। तब तत्कालीन एसीएस शिखर अग्रवाल ने ट्विट कर यह जानकारी शेयर की थी।
ट्रैकिंग और मॉनिटरिंग पर उठे सवाल रामगढ़ में एक ओर मादा टाइगर के शिफ्ट करने की योजना बनाई जा रही है। वहीं, अभयारण्य में मादा टाइगर का कंकाल मिलने से टाइगर की मॉनिटरिंग व ट्रैकिंग की व्यवस्था पर सवाल खडे़ होने लगे हैं। जिस मादा टाइगर का कंकाल मिला है, उसकी कई दिनों से साइटिंग नहीं हो रही थी। इसके बावजूद भी विभाग टाइगर को लेकर विभाग गंभीर नजर नहीं आया। टाइगर का कंकाल मिलने से एक बात तो साफ नजर आ रही है कि उसकी मौत काफी समय पहले हो गई होगी। अब आगे की जांच में ही खुलासा हो पाएगा कि टाइगर की मौत के पीछे क्या कारण रहे।
जहां कंकाल मिला वह मुख्यालय के करीब मादा टाइगर का कंकाल जिस बांदरापोल के नाले में मिला है वह इलाका जैतपुर रेंज मे आता है, लेकिन अभयारण्य के रामगढ़ महल ( शिकारगाह ) के करीब पड़ता है। यहां पर विभाग का मुख्यालय भी है, जहां से पुरी गतिविधियां मॉनिटरिंग की जाती है। नाले के एक ओर मेज नदी निकल रही है। वहीं, दूसरी ओर पहाड़ है, जिसमें कराई ओर पोल ( प्राकृतिक सुरंग) स्थित है। विभाग के मुख्यालय के इतने करीब होने के बावजूद विभाग को मादा टाइगर के मूवमेंट ओर कंकाल की भनक तक नहीं लगी।
चार साल पहले रामगढ़ आया था टाइगर टाइगर विहीन हो चुके रामगढ़ में चार साल पहले टाइगर की दहाड़ गूंजी तो वन्य जीव प्रेमियों के चेहरे खिल उठे थे। तब रणथंभौर रिजर्व एरिया के बफर जोन सखावदा के जंगल से टाइगर टी 115 मेज नदी के रास्ते खटखड होते हुए रामगढ़ पहुंच गया था। जून 2020 में टाइगर रामगढ़ में नजर आया तो विभाग सहित लोगों को काफी खुशी हुई। तभी से रामगढ़ में टाइगर के कुनबे को बढ़ाने के प्रयास चल रहे हैं।
बूंदी जिले के वन्यजीव अधिकारी संजीव शर्मा ने बताया कि रामगढ़ अभयारण्य में सोमवार शाम को ट्रैकिंग के दौरान वन्य जीव का कंकाल मिला था। रेडियो कालर से मादा टाइगर आरवीटी 2 के रूप में पहचान हुई है। इसकी पिछले कुछ दिनों से साइटिंग नहीं हो रही थी। लगातार ट्रैकिंग चल रही थी। पोस्टमॉर्टम करवाया है। मौत के कारणों का खुलासा रिपोर्ट के बाद ही चलेगा।