जयपुर। एनवायरमेंट क्लियरेंस नहीं मिलने से प्रदेश की 23 हज़ार खानों पर बंद होने की तलवार लटक गई हैं। इन खानों के नियमित संचालन के लिए 7 नवम्बर तक राज्य पर्यावरणीय प्राधिकरण (एसईआईएए) से पर्यावरणीय मंजूरी लेनी थी। लेकिन इन खानों को यह मंजूरी नहीं मिल सकी हैं। दरअसल नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दिसम्बर 2022 में आदेश दिया था कि जिला स्तरीय पर्यावरण प्राधिकरण से पर्यावरणीय मंजूरी प्राप्त खनन लाइसेंस धारकों को 7 नवंबर तक राज्य पर्यावरणीय प्राधिकरण से पुन परीक्षण के बाद पर्यावरणीय मंजूरी लेनी होगी। मंजूरी नहीं मिलने पर इन खानों का संचालन नहीं हो सकेगा। प्रदेश में करीब 23 हज़ार खाने ऐसी है जिन्हें राज्य स्तर पर पर्यावरणीय मंजूरी नही मिल सकी हैं। ऐसे में अब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सिविल अपील दायर करके वन एवं पर्यावरण मंत्रालय (एमओईएफ) की ओर से दिए गए पुन: परीक्षण के विस्तार व निर्देशों की पालना के लिए 12 महीने के समय की जरूरत बताई हैं।
15 लाख श्रमिकों की नौकरियों पर भी संकट
प्रदेश सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने वाले अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने बताया कि अगर यह खाने बंद हो जाती है तो राज्य में बेरोजगारी, सामाजिक अशांति और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। जिससे प्रदेश में बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य भी प्रभावित होंगे। वहीं इन खदानों में काम करने वाले करीब 15 लाख श्रमिकों की नौकरी पर भी संकट आ जाएगा। ऐसे में एमओईएफ की राज्य पर्यावरणीय प्राधिकरण द्वारा आवेदनों के पुन मूल्यांकन की प्रक्रिया पूरी करने के लिए हमने सुप्रीम कोर्ट से एक वर्ष का समय बढाए जाने की मांग की हैं। क्योंकि एसईआईएए में सीमित ढांचा और स्टॉफ होने के कारण वह इस समयसीमा में उसे पूरा करना संभव नहीं है। प्राधिकरण द्वारा अब तक प्राप्त आवेदनों में से कुछ का ही मूल्यांकन किया गया हैं। ऐसे में समय सीमा बढ़ाई जानी चाहिए।
खदानों पर संकट के लिए मुख्यमंत्री जिम्मेदार
इस मामले में बयान जारी करते हुए नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि प्रदेश में 23 हज़ार खदानो के बंद होने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा जिम्मेदार हैं। प्रदेश की खदानों पर आए संकट से केन्द्र व राज्य की कथित डबल इंजन की सरकार की पोल खुल गई हैं। प्रदेश के 15 लाख लोगों के रोजगार छिनने की स्थिति के लिए ये दोनों सरकारें जिम्मेदार हैं। इस पर पलटवार करते हुए विधि मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि सरकार राज्य के एक भी व्यक्ति पर रोजगार का संकट नहीं आने देगी। उन्होने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि अगर कांग्रेस सरकार ने एनजीटी के आदेश पर समय पर कार्यवाही की होती तो आज यह नौबत नहीं आती। हमने सरकार में आते ही प्रकरणों की अधिकता और लीजधारकों व लाइसेंसधारकों के पुनर्मूल्यांकन कार्य की अधिकता को देखते हुए पहले से स्थापित दो स्टेट एक्सपर्ट अप्रेजल कमेटी (SEAC)के अतिरक्त 11 जून, 2024 को अधिसूचित कर पृथक से जोधपुर और उदयपुर में सीईएसी स्थापित की गई। इससे कार्य में गति भी आई। चारों सीईएसी द्वारा निरंतर कार्य कर लगभग 6,500 प्रकरण परीक्षण कर प्रक्रिया में लाए गए हैं। हम सुप्रीम कोर्ट में भी मामले को पुरजोर तरीके से रख रहे हैं।