जयपुर। जिला परिषद प्रशासन ने फर्जी तरीके से जूनियर क्लर्क पद पर हुई नियुक्ति के मामले में बड़ा एक्शन लिया है। परिषद ने इस मामले में लिप्त दो कर्मचारियों को सस्पेंड किया है। नियुक्ति पाने वाली महिला क्लर्क की सेवा समाप्त कर दी है। जिला परिषद अतिरिक्त सीईओ शेर सिंह लुहाड़िया ने इस मामले में हुई जांच की रिपोर्ट के बाद सहायक प्रशासनिक अधिकारी संदीप वर्मा और नितेश टाटीवाल को पद से निलंबित कर दिया है। इसके साथ ही दोनों की उपस्थिति को जिला परिषद से हटाकर दूर स्थान मौजूद पंचायत समिति मुख्यालय पर देने के आदेश दिए हैं। वहीं इस मामले में फर्जी नियुक्ति पाने वाली अंजली चंद्रा की चयन प्रक्रिया को निरस्त करते हुए उसकी सेवाएं समाप्त करने के आदेश जारी किए है।
इन कर्मचारियों का किया तबादला
इस पूरे प्रकरण में अन्य दो कार्मिकों की भी लिप्तता सामने आ रही है। इसे देखते हुए विभाग ने इस प्रकरण की आगे की जांच करवाते हुए दो कर्मचारी रूपेन्द्र सिंह मेडावत (अति. प्रशासनिक अधिकारी) को जिला परिषद जयपुर से पंचायत समिति माधोराजपुरा और नरेन्द्र कुमार यादव (अति. विकास अधिकारी) का पंचायत समिति गोविंदगढ़ तबादला कर दिया।
ये है मामला
साल 2013 में जिला परिषद में निकाली कनिष्ठ लिपिक सीधी भर्ती में पिछले साल कुछ लोगों को नियुक्ति फर्जीवाड़े से दी गई। इसमें एक मामला तो अंजली चंद्रा से जुड़ा था। अंजली का पति संदीप वर्मा जिला परिषद में सहायक प्रशासनिक अधिकारी के पद पर कार्यरत था और उसी ने अपनी पत्नी की फर्जी नियुक्ति करवाई। इस फर्जीवाड़े में अंजली गुप्ता की जगह संदीप वर्मा ने अपनी पत्नी अंजली चंद्रा पुत्री खेमचन्द चंद्रा निवासी बांदीकुई को नियुक्ति करवा दी। इस मामले की जब शिकायत हुई और दस्तावेज सामने आए तो मामले का खुलासा हुआ।
जॉइनिंग के बाद 4 माह बाद से अवकाश पर
अंजली चंद्रा को 6 अक्टूबर 2023 को जॉइनिंग दी गई। इसके बाद उसने तुरंत अपनी प्रतिनियुक्ति जयपुर एसडीएम फर्स्ट में करवा ली। चुनाव कार्य में ड्यूटी लगवा ली। जनवरी 2024 तक नौकरी करने के बाद अंजली ने फरवरी 2024 से जुलाई 2024 तक मातृत्व अवकाश लिया। मातृत्व अवकाश पूरा करने के बाद अगले 6 माह के लिए उसने अवैतनिक अवकाश स्वीकृत करवा लिया और 31 जनवरी 2025 तक छुटि्टयों पर चली गई थी।