सवाई माधोपुर। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा एक बार फिर रणथंभौर में छुट्टियां मनाने पहुंचीं हैं। मंगलवार दोपहर को प्रियंका गांधी वाड्रा पूरे लवाजमे के साथ रणथंभौर पहुंचीं। वह यहां एक पांच सितारा होटल में रूकी हैं। इस दौरान यहां पर सुरक्षा के माकूल इंतजाम देखने को मिले है। वायनाड़ चुनाव के बाद मंगलवार को दोपहर करीब 12:30 बजे कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी वाड्रा अपनी सास मोरिन वाड्रा, पति रॉबर्ट वाड्रा, बेटा रेहान वाड्रा, बेटी निराया वाड्रा के साथ रणथम्भौर पहुंचीं। सभी लोग यहां तारा होटल शेरबाग में ठहरे हुए हैं। इस दौरान इनका यहां पर रणथंभौर में टाइगर सफारी करने का कार्यक्रम प्रस्तावित है।
रणथंभौर में सेलिब्रेट कर चुकी हैं प्रियंका
जानकारी के अनुसार प्रियंका गांधी वाड्रा 5 दिन के राजस्थान दौरे पर आई हुई हैं। जिसमें से 3 दिन वह सवाई माधोपुर में रूकेगी। इस दौरान वह रणथम्भौर में सुबह और शाम की पारी में टाइगर रिजर्व में सफारी का आनंद लेंगी। उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी प्रियंका गांधी वाड्रा रणथंभौर में अक्सर आती रही हैं। वह अपना बर्थडे भी रणथंभौर में सेलिब्रेट कर चुकी हैं। वह राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भी अपने भाई राहुल गांधी और मां सोनिया गांधी के साथ होटल शेरबाग में ही रूकी थीं।
600 करोड़ रुपए का टूरिज्म अकेले टाइगर से रणथंभौर टाइगर रिजर्व:
यह देश के सबसे लोकप्रिय टाइगर रिजर्व में से एक है, जो न केवल टाइगर बल्कि अन्य वन्यजीवों के लिए भी एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है। साल 2024 में यहां से लगभग 600 करोड़ रुपए का राजस्व होने की उम्मीद है।
जवाई बेरा कंजर्वेशन रिजर्व:
यहां 50 से अधिक लेपर्ड हैं। यह क्षेत्र अपनी अनोखी लेपर्ड सफारी के लिए प्रसिद्ध है। इसका अनुमानित राजस्व करीब 150 करोड़ रुपए है।
एक अक्टूबर से शुरू हुआ टूरिज्म सीजन
रणथम्भौर में एक अक्टूबर से टूरिस्ट सीजन शुरू हुआ है। रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में कुल 10 जोन हैं। इनमें 2 पारियों में टाइगर सफारी होती है। सुबह की पारी में सफारी सुबह 6 से 9 बजे तक होती है। शाम की शिफ्ट में सफारी दोपहर तीन बजे से शाम 6 बजे तक होती है। रणथंभौर में फिलहाल 75 बाघ, बाघिन और शावक हैं।
प्रियंका गांधी ने किताब में किया जिक्र
पिछले 12 साल से प्रियंका गांधी अपने दोनों बच्चों के साथ हर साल रणथंभौर पार्क में आ रही हैं। वे अब तक हजारों फोटो यहां के टाइगर की खींच चुकी हैं और उन्होंने एक किताब में भी रणथंभौर के बाघों का जिक्र किया है। प्रियंका इस साल भी अप्रैल में यहां आई थीं।
प्रियंका के बेटे रेहान वाड्रा ने तो रणथंभौर से खींचे फोटोज की एक प्रदर्शनी भी लगाई थी और प्रियंका गांधी ने एक किताब The tiger’s realm लिखी है। हिंदी में इसे बाघ की राजधानी कहते हैं।
राजीव गांधी के नाम पर होता रणथंभौर पार्क
रणथंभौर पार्क पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को भी बेहद पसंद था। वे सोनिया गांधी से शादी के तुरंत बाद रणथंभौर आए थे। इसके अलावा भी वे यहां कई बार आए। उन्होंने प्रधानमंत्री रहते हुए रणथंभौर के लिए कई काम कराए। साल 1998 से 2003 के बीच अशोक गहलोत पहली बार राजस्थान के CM बने तो उन्होंने रणथंभौर नेशनल पार्क का नाम राजीव गांधी के नाम पर करने की मंशा जाहिर की, लेकिन विपक्षी पार्टी भाजपा की ओर से विरोध जताए जाने पर विवाद से बचने के लिए गहलोत ने अपना इरादा टाल दिया था।
रणथंभौर में 75 टाइगर
रणथंभौर नेशनल पार्क 1700 वर्ग किलोमीटर में फैला है। यहां 75 बाघ, बाघिन और शावक हैं। एक बाघ को लगभग 35 किलोमीटर टेरेटरी की आवश्यकता होती है। ऐसे में यहां 50 बाघ रह सकते हैं। यानी रणथंभौर में 25 बाघ-बाघिन क्षमता से अधिक हैं।
राजस्थान में 100 से ज्यादा टाइगर
राजस्थान में वर्तमान में टाइगर की संख्या 100 से ज्यादा है। देश भर में इनकी संख्या करीब 3200 है। राजस्थान की कहानी इसलिए भी दिलचस्प है क्योंकि राजधानी जयपुर सहित 1970-72 तक राज्य के लगभग 17 जिलों में टाइगर की मौजूदगी थी। यह मौजूदगी धीरे-धीरे घटती हुई 2005 में केवल एक ही जिले सवाई माधोपुर (रणथंभौर) तक सीमित रह गई। शेष सभी जिलों से टाइगर का सफाया हो गया। 2010 के बाद शुरू किए गए प्रयासों से आज फिर से यह स्थिति बनी है कि अब राजस्थान के 5 जिलों में कहीं न कहीं टाइगर मौजूद है। इन जिलों में अलवर, करौली, कोटा, बूंदी और उदयपुर शामिल हैं। इन सभी टाइगर का पैतृक घर रणथंभौर ही है। देश भर में लगभग 53 टाइगर पार्क हैं।