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December 2, 2024 2:15 pm


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बजरंग पशु मेले में 371 ऊंट-ऊंटनी पहुंचे : सिणधरी में पशु मेला संपन्न, राज्य पशु की कीमत घटी, मेले में 29 लाख के ऊंट बिके, दो माह रहेगा हाट बाजार

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Pankaj Garg

सच्ची निष्पक्ष सटीक व निडर खबरों के लिए हमेशा प्रयासरत नमस्ते राजस्थान

सिणधरी। सिणधरी उपखंड मुख्यालय पर बजरंग पशु मेले का आयोजन मेला मैदान में हुआ। कोरोना काल के बाद दूसरी बार पशु मेला लगा है। इस बार मेले में अच्छी तादाद में पशु बिकने के लिए पहुंचे। इस बार मेले में सर्वाधिक 42 हजार में ऊंट बिका, जो रूपाराम पशुपालक निवासी सानेर नोखा ने खरीदा। पशु पालक ने बताया कि बढ़िया नस्ल का ऊंट होने के कारण अपने खेत में कृषि कार्य के लिए काम में लगाएगा। वहीं अन्य ऊंट की बिक्री हुई। पिछले कई वर्षों में पर्यटन स्थलों पर ऊंटों की रेस होने लगी है। जहां पर ऊंट रेस देखने लोग आते हैं। ऊंटों की सवारी के लिए भी अब रेगिस्तानी इलाके में आने वाले पर्यटक अच्छा ऊंट देखकर सवारी करते हैं। तभी तो बाड़मेर के सिणधरी ऊंट मेले में इस बार 105 ऊंट बिके हैं और अधिकतम ऊंट की कीमत 42 हजार तक रही। पशु मेले के समापन समारोह के दौरान विधायक सहित अन्य लोग उपस्थित रहे। अभी दो माह तक मेला मैदान में हाट बाजार लगा रहेगा।

उष्ट्र संरक्षण की नीति के बाद ऊंट पालकों में जगी उम्मीद

ऊंट के संरक्षण को लेकर उसे राज्य पशु घोषित किया गया, लेकिन इधर उसकी कीमत कम हो रही है। इस दौरान इस बार खुशी की खबर सिणधरी से आई है। जहां 356 ऊंट एक साथ बजरंग पशु मेले में पहुंचे तथा 6 दिनों के मेले में 105 की बिक्री भी हुई है। सबसे अधिक 42 हजार व सबसे कम 10 हजार 500 में ऊंट बिका है। ऊंटों को लेकर आया यह बदलाव उष्ट्र संरक्षण के लिए शुभ संकेत माना जा रहा है।

52 साल से भर रहा है बजरंग पशु मेला, अकाल व कोरोना काल में नहीं लगा, इस बार रौनक

सिणधरी कस्बे में 52 साल से बजरंग पशु मेले का आयोजन पंचायत समिति करवा रही है। यह मेला कोरोना के बाद में दूसरी बार लगा है। पूर्व में कई वर्ष पहले अकाल पड़ने के कारण बंद हुआ था। लेकिन पिछले वर्ष से इस बार 356 ऊंट व 15 ऊंटनी मेले में आए। ऊंटों के इस मेले में यह संख्या केवल बाड़मेर की नहीं अन्य कई जिलों से भी है। 105 ऊंटों की खरीद फरोख्त हो चुकी है। वहीं मेले में तीन घोड़ी भी पहुंची लेकिन उनकी कोई खरीद बिक्री नहीं हुई। मंगलवार को मेले का समापन समारोह आयोजित हुआ समापन के अवसर पर प्रथम, द्वितीय व तृतीय आने वाले ऊंटों के पशुपालकों को पुरस्कार देकर सम्मानित भी किया गया।

Author: JITESH PRAJAPAT

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