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August 2, 2025 1:00 pm


नगर विकास न्यास भीलवाड़ा में हो रहे बडे़ भ्रष्टाचारी खेल की बाजी ने खाया पलटा…?

Picture of Pankaj Garg

Pankaj Garg

सच्ची निष्पक्ष सटीक व निडर खबरों के लिए हमेशा प्रयासरत नमस्ते राजस्थान

भू-कारोबोरियों, दलालों, भू-माफियां, लिप्त अधिकारियों व कार्मिकों में संरक्षण के चलते पहले से और बेखोफ होकर करते दूषित बड़े पैमाने पर कार्रवाईयां, ना कोई डर ना कोई दहशत, नहीं मिली मुआवजे के पत्रावलियां…?
सांठ-गांठ के खेल के चलते सरकार के राजकोष को लगाया करोड़ो का चूना…?

खुद हुए अकुक संपत्ति के मालिक, कौन-कौन है शामिल बड़ी जाँच का विषय, लम्बे समय पूर्व उदयपुर की रेड में भी पकडे गए दलाल ने बताया था भीलवाड़ा से तार जुडे होना, लेकिन कार्रवाई बलशाली होने से गई ठंडे बस्ते में…???

कैसे रचा बड़ा मुआवजा देने का दूषित व भ्रष्टाचारी खेल, सलिप्ता के चलते

भीलवाड़ा। मुआवजा देने के नाम पर बनाई चित्तौड रोड पर संगम प्रोसेस हाउस से जुडती हुई 160 फीट की सडक जो मास्टर प्लान में दर्शाई गई है यह रोड जंगल में है आश्चर्य की बात तो यह है कि इस रोड की नगर विकास न्यास भीलवाड़ा को आवश्यकता ही नहीं थी महज भू-कारोबारियों व प्राईवेट कॉलोनाईजर से मिलकर बडी राजकोष की हानी करने के लिए खेल रचा गया क्योंकि इस सडक के आस पास नगर विकास न्यास भीलवाडा की कोई योजना ही नहीं अस्तित्व में है और थी…? बनाई इस रोड (मार्गाधिकार) का मुआवजा पटेल नगर के सामने स्थित बेशेकीमति जमीन जिसका आराजी नं. 581 था जो नगर विकास न्यास भीलवाड़ा की भूमि थी आराजी संख्या 581 का मानचित्र स्वीकृत करवाकर 200 फीट रिंग रोड का इस आराजी से पुरा पुरा मुआवजा लिया गया। इस रोड के पास में प्राईवेट कॉलोनाईजर छाबडा द्वारा मकान बनाए जा रहे है, जबकि इस जमीन का 160 फीट रोड का मुआवजा निकटवर्ती योजना पटेल नगर या पटेल नगर विस्तार योजना में नियमानुसार देना बनता है फिर भी भू-कारोबारी भू-माफिया द्वारा तत्कालीन अधिकारियों व कार्मिकों से सांठ-गांठ कर स्वयं की पूर्ती कर सरकार के राजस्व की असहनीय हानी की है जो कि आपने आप में स्पष्ट दर्शाता है कि नगर विकास न्यास के अधिकारी नोकरी तो सरकार की करते है लेकिन सेवा भू-कारोबारियों, भू-माफियाओं, दलालों, सफेदपोश की करते है, जिससे मानदेय के अलावा अदृश्य बड़ा लाभ प्राप्त होता है जिसके चलते नगर विकास न्यास के अधिकारी व कार्मिक स्थानानतरण होने के पश्चात भी येनकेन प्रकार राजनेतिज्ञयों से जुगाड कर अपना स्थानानतरण रद्द करा पुनः वहीं काबीज होकर अपना दूषित खेल चालु कर देते है लेकिन विडम्बना तो यह है कि समाचार स्पष्टतया से सभी आधार-सामग्री के साथ प्रकाशित करने के बावजुद भी न तो यूआईटी के अधिकारी न ही जिले के अधिकारी और न ही राजस्थान सरकार नुमाईंदे इस और ध्यान देते है सिर्फ और सिर्फ फोरी कार्रवाई कर जनता के बिच अपनी वाही-वाही लुट लेते है और अधिकारी व कार्मिक पहले से अधिक बेखोफ होकर दूषित कार्यो को अंजाम देने से नहीं चुकते है…….????? सबसे बडा आश्चर्य का विषय यह है कि बनाई 160 फीट की सडक मास्ट प्लान में दिखाई गई उस अनुसार न होकर आगे जाकर बंद है तो नगर विकास न्यास भीलवाडा के तत्कालीन अधिकारी क्यों मौनमुख दर्शक बन बैठे है…? निर्मित रोड के आगे श्रीजी के नाम से प्राईवेट कॉलोनी काटकर ले-आउट प्लान भी स्वीकृत कर दिया गया है। जिसके प्रतिफल स्वरूप मुआवजे में आराजी संख्या 581 जो यूआईटी की थी उस पर केसर कुंज (अ पार्ट) और (ब पार्ट) कर दिया गया और मुआवजे में ली गई भूमि पर भू-कारोबारियों और तत्कालीन अधिकारी व कार्मिकों ने सांठ-गांठ कर प्राईवेट कॉलोनी काटकर न सहने वाली बडी हानी की है जो कि जाँच का गम्भीर विषय है और तत्कालीन जाँच का एजेंसी को कडा रूख अपना कर दोषीयों के खिलाफ जाँच कर कार्रवाई करनी चाहीए। नगर विकास न्यास भीलवाडा के तत्कालीन अधिकारी व कार्मिक चाहते तो 160 फीट मार्गाधिकार को समायोजीत करके मुआवजा नहीं देते न ही बंदर बांट होती न ही सरकार के राजस्व की हानी होती। सिर्फ और सिर्फ बडे भू-कारोबारियों तत्कालीन अधिकारियों व कार्मिकों व अन्य अदृश्य व्यक्तियों को लाभ पहुचाने के लिए भ्रष्टाचारी कृत्यों का अंजाम दिया गया।

200 फीट सुवाणा से लगाकर समेलिया फाटक की रोड़ 2035 के मास्टर प्लान में प्रस्तावित थी लेकिन शहर के कुछ सफेद पोश व राजनैतिक संरक्षण प्राप्त व अधिकारियों के मुह लगे चहते व्यक्ति विशेष, दलाल जिनके निजी आवासों पर यूआईटी के समकक्ष चलती है यूआईटी। जिन्होंने अपने बाहुबल, धनबल व दूषित रिश्तों के चलते अधिकारियों से मिलीभगत कर चहतों की कृषि भूमि को चिन्हीत करा रोड़ बनने से पूर्व ही लाखों/करोड़ों रूपए के मुआवजे की राशि उठाली साथ ही मुआवजे के मिले भूखण्ड़ों का अविलम्ब विक्रय भी कर दिया। साथ ही कुछ ऐसी जगह भी मुआवजा उठाने के लिए चिन्हीत की जहा पर कृषि भूमि पर कृषि कॉलोनी कट चूकी थी और उनके दूषित दस्तावेजात तैयार कराके उनका भी मुआवजा उठा लिया गया जो कि अपने आप में स्पष्ट दर्शाता है कि नगर विकास न्यास में लम्बे समय से जमे अधिकारी व कर्मचारी ध्रुर्तता पूर्वक कार्य करते हुए। राजस्थान सरकार के राजस्व का नुकसान करते हुए किस तरह से बड़ा अदृश्य लाभ प्राप्त किया है। नगर विकास न्यास द्वारा राजस्व ग्राम भीलवाड़ा की आराजी संख्या 2214, 2215, 2216, 2217 कुल रकबा 5 बीघा तीन बिस्वा का 1/2 हिस्सा खातेदार धर्मेन्द्र सिंह शक्तावता पुत्र शिव सिंह शक्तावत का था जिन्होंने पूर्व में कृषि भूमि पर कृषि भूखण्ड विक्रय कर दिये थे और उन पर मकान बने होने के बावजूद नगर विकास न्यास से अवार्ड संख्या 129/91 दिनांक 30.01.2024 को पारीत करा कर मुआवजे के रूप में भूखण्ड संख्या 4-जे-43, 4-जे-44 क्षेत्रफल एक भूखण्ड का 39×89 था जिनका कुल क्षेत्रफल 6 हजार 942 वर्ग फुट था जो मुआवजे के रूप में लेकर (अ) अर्पित पुत्र श्याम सुन्दर (ब) गोपाल झवर पुत्र प्रहलाद झवर (स) नरेन्द्र राठी पुत्र बालमुकन्द राठी को भूखण्ड संख्या 4-जे-43 का दिनांक 15.12.2023 को जरीये पंजीकृत बैचान बैचान कर दिया। भूखण्ड संख्या 4-जे-44 का धर्मेन्द्र सिंह शक्तावत पुत्र शिव सिंह शक्तावत द्वारा (अ) अर्पित बिडला पुत्र बालूराम बिडला (ब) कैलाश बद्रीलाल काबरा पुत्र बद्रीलाल जगन्नाथ काबरा (स) राकेश राठी पुत्र दामोदर राठी को कर दिया लेकिन राजस्व रेकॉड में अवाप्त भूमि नगर विकास न्यास के नाम इन्द्राज होने के बावजूद भी भौतिक कब्जा न्यास नहीं ले पाया है और मुआवजा जारी कर दिया है। ऐसा क्यों व किन कारणों से किया गया इसके पिछे कौन-कौन है जाँच करा कड़ी से कड़ी विधिक कार्रवाई क्यों नहीं की गई…? उक्त मुआवजा देने का सबसे बढ़ा कारण है कि मौके पर एक इंच भी जगह नहीं होने से कृषि भूमि के मलिक द्वारा कृषि भूखण्ड काट दिए और वहा पर मकान बन गए के पश्चात मुआवजे की फाईल नगर विकास न्यास में लगाई गई और बेचे कृषि भूखण्ड़ों को मुआवजा उठा लिया गया जो कि एक राज्य सरकार के साथ धोखाधड़ी का कृत्य है इस मुआवजे को स्वीकृत कराने के लिए नगर विकास न्यास के किस किस अधिकारी ने किस किस कार्मिकों के जरिए हस्ताक्षर कर भुगतान किया और मुआवजा स्वीकृत कराने में भीलवाड़ा के कौन कौन दलाल व सफेद पोश सामिल है। जो एक बहुत बड़ा रहस्यमही विषय है और यह बताता है कि नगर विकास न्यास में इस तरह के दूषित और भ्रष्टाचारी कृत्य कितने लम्बे समय से चल रहे है। जिससे सरकार के राजस्व को बड़ी हानी हो रही है और इस तरह की कई पत्रावलियां भी गायब है जिसके लिए भी संबंधित आलाअधिकारी व कार्मिक मौनमुख दर्शक बने हुए है…?

  1. रतन लाल बलाई व मोहन लाल बलाई कि सुवाणा की आराजी संख्या 4633/2497 रकबा 0.6828 17274 वर्गफीट की है। जिसमें जारी अवार्ड में नगर विकास न्यास की 1959 की धारा 51 में आपसी समझोता होना बताया है और इस भूखण्ड की भी बिना कब्जा लिए बिना राजस्व रेकॉर्ड में नगर विकास न्यास के नाम चढाए। रतन लाल बलाई व मोहन लाल बलाई को तिलक नगर में कॉर्नर भूखण्ड संख्या 7ए1 क्षेत्रफल 39×89=3471 वर्ग फीट का मुआवजा दे दिया रतन लाल बलाई व मोहन लाल बलाई जिसने मुआवजा प्राप्त किया था उसने बिना देरी किए सीता देवी पत्नी श्याम लाल तेली हलेड रोड़ भवानी नगर भीलवाड़ा को भूखण्ड बेच दिया गया। जबकी जिस रिंग रोड़ के एवज में भूखण्ड दिया गया था वो रोड़ प्रस्तावित थी। जब आज तक रोड़ बनी ही नहीं और मुआवजे कार्यवाही करने से पूर्व व आज दिनांक तक जब राजस्व रेकॉर्ड में न्यास के नाम चडी ही नहीं तो मुआवजा किन आदेशों किन नियमों या किस दबाव में दिया गया। जो अपने आप में स्पष्ट दर्शाता है कि किस तरह से लाखों करोड़ों रूपए यूही भ्रष्टाचारों के माध्यम से स्वयं का लाभ कमाने के लिए हम सलाह एक राय होकर किया जा रहा हैं और कौन है इन खेलो के पिछे क्यों अधिकारी हो रहे भ्रष्टाचार को अनदेखा कर रहे है…?
  2. इसी तर्ज पर सुवाणा के कन्हैया लाल पुत्र फत्ता जाट, मानापुत्र फत्ता जाट की आराजी संख्या 2492/2 रकबा हैक्टर 0.5690 में से 6049.71 वर्गगज भूमि आवाप्त कर आवाप्त भूमि के बदले में तिलक नगर नेहरू विहार योजना में बहुमुल्य कॉर्नर भूखण्ड दिए।

(अ) भूखण्ड संख्या 14/148 क्षेत्रफल है 20×40 कॉर्नर,

(ब) भूखण्ड संख्या 14/549 क्षेत्रफल है 30×64 कॉर्नर,

(स) भूखण्ड संख्या 15/115 क्षेत्रफल है 20×40 कॉर्नर

इतना नहीं खातेदारों ने भूखण्डों का बैचान अशोक कुमार टोडावाल निवासी जी-139 आरेके कॉलोनी भीलवाड़ा को बैचान कर दिया लेकिन राजस्व रेकॉर्ड में आज भी उक्त भूमि मुआवजा देने के बाद भी खातेदार के नाम पर ही बोल रही है। जिससे खातेदार कृषि जमीन को पुनः बेचने पर आमदा है। इतना बड़ा खेल खेलन के पिछे कौन कौन अधिकारी कौन कौन दलाल और कौन कौन व्यक्ति विशेष है उक्त प्रकरण कि पत्रावली भी ऐसा जानकारी में आया है कि न्यास के रेकॉर्ड से गायब है वर्ष 2021 अक्टूबर से वर्ष प्रशासन शहर की ओर जो कैम्प चला उससे लेके फरवरी 2024 तक कई पत्रावलियों में पिछली दिनांक में कार्यवाही कर भुगतान दिया गया ऐसी पत्रावली व इससे पूर्व की पत्रालियां जिनमें मुआवजा राशि प्रदान की गई वो न्यास के रेकॉर्ड से गायब है क्यों आज तक संबंधित अधिकारी व कार्मिक चूप है कौन है पर्दे के पिछे…?

इसी तर्ज पर खातेदार भैरू लाल बलाई पुत्र रूपा बलाई सुवाणा को भी प्रस्तावित 200 फीट रिंग रोड़ के एवज में आराजी संख्या 2497/5 रकबा 0.5184 12060 वर्गफीट भूमि आवाप्त कि जिसके एवज में एक तिलक नगर योजना कॉर्नर का भूखण्ड संख्या जी-एल-13 39×69 दिया जिसका पट्टा दिनांक 13.10.2022 को जारी किया जो कि भैरू बलाई आत्मज रूपा बलाई सुवाणा द्वारा जरीए पंजीकृत विक्रय पत्र द्वारा दिनांक 29.12.2023 को मोहम्मद शरीफ सीलावट आत्मज कादर बक्ष निवासी मदीना मस्जिद रोड़ मोहम्मदी कॉलोनी शास्त्री नगर को बेच दिया उपरोक्त भूखण्ड आज भी राजस्व रेकॉर्ड में भैरू लाल बलाई पुत्र रूपा बलाई के नाम से है। जबकि न्यास उस भूखण्ड का मुआवजा दे चूकि है जबकी रोड़ बनी नहीं महज प्रस्तावित थी। फिर भी इतना बड़ा भ्रष्टाचार जिस जिस अधिकारी के समय हुआ क्यों नहीं लिया संज्ञान में उक्त भूखण्ड की पत्रावली न्यास के रेकॉर्ड से गायब है।
इसी तर्ज पर अशोक कुमार टोडावाल (तम्बोली) पुत्र भवर लाल टोडावाल निवासी जी-139 आरके कॉलोनी भीलवाड़ा की आराजी संख्या 3831 रकबा 0.4805 में से 0.2675 जिसका 28800 वर्गफीट भूमि बनती है को आवाप्त किया व आवाप्ति के बाद जल्दबाजी करते हुए इसका मुआवजी उठा लिया मुआवजे के रूप में तीलक नगर में भूखण्ड संख्या 6-एल-14 क्षेत्रफल 30×64 का भूखण्ड दिया गया जिसका न्यास का पट्टा क्रमांक 5255 दिनांक 13.10.2022 था। जिसको अविलम्ब ही खातेदार द्वारा पारसमल बोहरा पुत्र रोशन लाल बोहरा बी-404 शास्त्री व गणेश लाल बलाई पुत्र मांगी लाल बलाई निवासी माहेश्वरी भवन के सामने शास्त्री नगर भीलवाड़ा को जरीए पंजीकृत विक्रयपत्र दिनांक 30.12.2023 को बैचान किया गया जो आज भी खातेदार के नाम से राजस्व रेकॉर्ड में कृषि भूमि दर्शा रही है जिसको खातेदार पुनः बैचने को आमदा है जानकारी करने सुत्रों से मालूम हुआ की उक्त प्रकरण की पत्रावली भी न्यास के रेकॉर्ड से गायब है।

  1. इसी तर्ज पर राजू लाल पुत्र सुभाष खटीक का जरीए मुख्तियारआम 1/4 हिस्सा चांदमल पुत्र कालूराम खटीक निवासी दादाबाड़ी से नई ईरास का दो बीघा ग्यारह बिस्वा अवाप्त कर अवार्ड की सम्पुर्ण कार्यवाही अविलम्ब कर मुआवजे के रूप में चार भूखण्ड दिए गए जो कि निम्न है:-

(क) भूखण्ड संख्या 7-बी-62 52×89 = 4450 वर्गफीट का दिया।,

(ख) भूखण्ड संख्या 7-बी-62/2 27×89 = 2403 वर्गफीट का दिया।,

(ग) भूखण्ड संख्या 7-बी-62/3 39×89 = 3471 वर्गफीट का दिया।,

(घ) भूखण्ड संख्या 7-बी-62/4 44×89 = 3916 वर्गफीट का दिया।,

(ड़) भूखण्ड संख्या 7-बी-62/5 22×89 = 1958 वर्गफीट का दिया।

सबसे महत्वपूण बात यह है कि मुआवजा तो नहीं ईरास का दिया गया था मुआवजे के रूप में जो भूखण्ड दिए गए थे वह 200 फीट रोड़ के बेशकीमती भूखण्ड है उपरोक्त भूखण्ड देने से लगाकर आज तक न्यास के नक्शे में न तो आज तक दर्ज है नही इन्द्राज फिर क्यों व किस दबाव में न्यास के बेशकिमति भूखण्डों को मूआवजे में दिया गया न ही इनकी समतुल्यता बिठाई गई। इस प्रकरण की पत्रावली भी न्यास के कार्यालय से गायब है…?
इसी तर्ज पर सुलेखा पत्नि प्रमिल कुमार सिसोदिया, प्रमिल कुमार पुत्र सुन्दर लाल सिसोदिया कि पांसल की आराजी संख्या 4589/4239 रकबा 1.8462 का 1/6 हिस्सा जिसके मुआवजे में कई अंकित नहीं है की उक्त कृषि भूमि सौ फिट या दौसौ फिट रोड़ के मार्गाधिकार के बिच में आ रही है या नहीं। कहा मार्ग प्रस्तावित है कहा प्रस्तावित मार्ग में आएगी। उक्त भूखण्ड से संबंधित मास्टर प्लान के जोनल प्लान में भी नहीं लिखा है फिर भी भूमि की अवाप्ति दिखा कर उक्त खातेदारों को बापूनगर योजना में बेशकिमति भूखण्ड मिलीभगत कर भ्रष्टाचारी तरीके से दे दिए जिनके क्रमांक निम्न हैः-

(क) आई-444, 445,446,447 क्षेत्रफल, 49×89 का एक भूखण्ड का है।,

(ख) एफ-447 क्षेत्रफल, 39×69 का एक भूखण्ड का है।

उपरोक्त लिखे सारे भूखण्डों को अवाप्त कर मुआवजा राशि के रूप में बेशकिमति भूमि को देकर सरकार के राजस्व का वर्ष 2022-23 में अफसरों, कार्मिकों, दलालों व सफेद पोशों ने हमसलाह एकराय होकर भ्रष्टाचारी दूषित कृत्यों के माध्यम से अदृष्य लाभ प्राप्त करने के लिए बहुत बड़ा भष्टाचार किया है उपरोक्त मुआवजों की पत्रालियां भी मिली जानकारी सुत्रों के अनुसार न्यास कार्यालय के रेकॉर्ड में नहीं है। पूर्व में भी न्यास के भूखण्डों 10-ई-16,17,18,19 के पर कुछ कार्मिकों द्वारा व कुछ संविदाकर्मियों ने मिलकर दूषित कृत्यों को अंजाम देकर फर्जी दस्तावेजातों के जरीए बैचान किया था जिसे भी न्यास के अधिकारियों ने संज्ञान लेते हुए निरस्त किया था साथ उक्त दिए मुआवजे की अवाप्त भूमि का व डीएलसी की समतुल्यता की रिपोर्ट बनानी होती है जिसके लिए भी राज्य सरकार ने आदेश जारी कर रखा है समतुल्यता नहीं बैठने के बावजूद भी इतना बडा मुआवजा देकर न्यास के राजकोष को असहनिय हानी पहुचाई है।

नगर विकास न्यास भीलवाड़ा का बडा भ्रष्टाचारी खेल, कौन कौन है सलिप्त…?

तिलक नगर 200 फीट रिंग रोड से जुडता मास्टर प्लान 120 फीट रोड प्राईवेट बडे भू-कारोबारी से सांठ गांठ कर मुआवजा तिलक नगर योजना में देकर 68 बीघा जमीन जो कि तिलक नगर में नेहरू विहार योजना के नाम से प्रस्तावित की जानी है

जिसका खसरा नं. 268,269,270,290,291,3247,3243,3244,3242,3238,3237,3236,3214 से लेकर 3235 तक 3410 से लेकर 3445 तक 3554 से लेकर 3634 तक व अन्य कृषि जमीन जो नगर विकास न्यास भीलवाड़ा की थी को धारा (4) व (6) जारी करके अवाप्ति दिखाना तय किया। नोटीस धारा 32 के आधार सभी किसानों कास्तकारो को लोभ लालच देकर कृषि भूमि को हडपने का जरीया बनाया साथ ही इस योजना की आराजीयों में किसी प्रकार का 90ए ले-आउट, डवलपमेंट के लिए न्यास द्वारा कोई स्वीकृति जारी नहीं की जा रही है, जिसके चलते बडे बडे भू-कारोबारी, भू-माफिया, दलाल, तत्कालीन अधिकारी, कार्मिक व सलिप्त अन्य कृषि भूमि को क्रय करके मुआवजे के बडे बडे भूखण्ड प्रतिफलस्वरूप तिलक नगर, नेहरू विहार योजना की मुख्य सडको पर लेना चाहते है…?
200 फीट रिंग रोड सांगानेर से कोटा मार्गाधिकार में आराजी नं. 2443,2444,2445,2446 क्षेत्रफल 2 बीघा 18 बीस्वा का 4/5 हीस्सा दिखाकर मुआवजा करोडो के भूखण्ड का ले लिया गया। जो कि एक दम गलत व दूषित है क्योंकि उपरोक्त आराजीयत जब नगर विकास न्यास भीलवाडा ने अवाप्त ही नहीं की तो मुआवजा तत्कालीन अधिकारियों व कार्मिकों ने किस आधार पर दिया इसके पिदे कौन कौन परोक्ष अपरोक्ष रूप से शामिल है क्यों सरकार के राजस्व का इतना बडा नुकसान हुआ और तत्कालीन अधिकारी व कार्मिक धृतराष्ट्र होकर देखत रहे…? 200 फीट की आराजी संख्या आराजी नं. 2443,2444,2445,2446 क्षेत्रफल 2 बीघा 18 बीस्वा का 4/5 हीस्सा जिसका अवार्ड पत्र क्रमांक भूमि अवाप्ति/2019/1746 दिनांक 20.12.2019 से अशोक कुमारा जैन पिता रामस्वरूप जैन को 25 प्रतिशत आवासीय पंचवटी योजना में भूखण्ड संख्या ई-202,203,204,209,210,211,212,ए-771,772,748,312,554, सी-254, सी-264 क्षेत्रफल 1754.93 वर्गगज आपसी सहमति अनुसार आवंटीत किए गए जो कि एक दम गलत व असत्य थे लेकिन तत्कालिन अधिकारियों व कार्मिकों की तृष्णा इतनी थी कि अपने अदृश्य लाभ के चलते सरकारी कोष को असहनीय हानी पहुचाते हुए कार्यो को अंजाम दिया जो जांच एजेंसी के लिए जाँच का एक बहुत बडा विषय है।
ग्राम बिलीयां की ओद्योगिक भूमि को किया…?

राजस्व ग्राम बिलीयां खुर्द की आराजी नं. 1190 से 1194 तक एवं 1203 का ओद्योगिक मानचित्र नगर विकास न्यास भीलवाडा ने स्वीकृत किया था। आराजी संख्या 1190 व 1203 जिसकी किस्म गैर मुमकिन पाल है नियमानुसार उक्त आराजीयत की 90ए नहीं हो सकती थी और न ही इस आराजीयत का ले-आउट प्लानों शामिल किया जा सकता था तथा 1190,1203 में ओसीएफ एवं गार्डन पार्क बताकर मानचित्र, ले-आउट स्वीकृत कराया गया। उक्त आराजीयत में जाने की 60 फीट सडक भी गैर मुमकिन पाल आराजी संख्या 1202, 1203 में से दी गई थी, जबकि राज्य सरकार के आदेशानुसार गैर मुमकिन पाल की भूमि में से किसी प्रकार का मानचित्र व ले-आउट स्वीकृत नहीं किया जा सकता था फिर भी तत्कालीन अधिकारियों व कार्मिकों ने भू-कारोबारियों से सांठ-गांठ कर भ्रष्टाचारी कृत्यों को अंजाम देते हुए भू-कारोबारियों को बडा लाभ पहुचाया और स्वयं के घोडे को भी छाया में खडा किया जो कि जांच का एक बहुत बडा विषय है…?

समेलिया फाटक का मुआवजे का खेल समेलिया फाटक 100 फीट रोड पर बडे प्राईवेट कॉलोनाईजर, भू-कारोबारी, तत्कालीन यूआईटी के अधिकारी व कार्मिकों ने सांठ-गांठ कर नटराज नगर के सामने 100 फीट सडक का मुआवजा दूषित व भ्रष्टाचारी तरीके से हमसलाह एक राय होकर उठाया। वर्तमान में स्थिति यह है कि नगर विकास न्यास की यहा पर कोई योजना नहीं है मौके पर 100 फीट रोड का मार्गाधिकार नहीं बना हुआ है लेकिन विडम्बना यह है कि मुआवजा युआईटी से उठ चूका है, कौन कौन है इस खेल में…? राजस्व ग्राम आटूण की आराजी संख्या 1249/5 रकबा 14.4279 हेक्टेयर भूमि में से 17330.77 वर्गगज भूमि नगर विकास न्यास भीलवाडा द्वारा आजाद नगर योजना में आवासिय व व्यासायिक भूखण्ड दिए गए जो निम्न हैः-

(1) जे-2,3,4 साईज 49×89 100 फीट रोड पर,

(2) एम-138 साईज 39×89,

(3) एम-119 साईज 35×64,

(4) एम-130 साईज 45×89,

(5) एम-27 साईज 40×64

व्यवसायिक भूखण्ड

(1) ओसी-19,20,21,22,23,24 साईज 10×30 के दे दिए लेकिन मौके पर न तो आज तक रोडे बनी और तो और प्राईवेट कॉलोनाईजर ने अपनी कॉलोनी के बहार सडक पर लोहे के गेट लगाकर मार्गाधिकार को अवरूध कर दिया गया क्या न्यास के अधिकारियों व कार्मिकों न सिर्फ और सिर्फ मुआवजा देने के लिए व आम जनता को परेशान करने के लिए इस भ्रष्टाचारी मुआवजे का खेल खेला था…? इतना ही नहीं सांठ गांठ के चलते न्यास के तत्कालीन अधिकारी व कार्मिक इतने ज्यादा गजमस्त हो गए कि राज्य सरकार के आदेशों को भी दर किनार कर दिया वहां पर कृषि भूमि की समतुल्यता का आंकलन भी नहीं किया न ही समतुल्यता बिठाई गई जैसे कृषि भूमि की डीएलसी प्रतिबिघा के हिसाब से गणना कर व्यवसायिक व आवासिय कि समतुल्यता बिठाई जाती है लेकिन नहीं…?
भूमि आवप्ति किए बिना ही जारी किए पट्टे…? ग्राम बिलियां खुर्द की आराजी संख्या 1340 जो कि नगर विकास न्यास भीलवाडा द्वारा भूमि आवाप्ति नहीं की गई फिर भी प्रतिफल स्वरूप 200 फीट रिंग रोड पटेल नगर योजना में पट्टा विलेख जारी कर दिया गया, जिसका क्रमांक क्रः 10-एन-15 से लगाकर 10-एन-18, 10-एन-22 साईज 39×89 प्रत्येक भूखण्ड का 10-एन-28 साईज 39×69 कॉर्नर भूखण्ड जो कि दिनांक 08.05.2018 को अवाप्ति क्रम संख्या 2018/2728 पर जारी किया गया। पंचवटी योजना के मानचित्र में यूआईटी की व्यवसायिक जमीन को आवासिय भू-परिवर्तन कर व्यवसायिक जमीन की आवासिय प्लानिंग की गई। इस कृत्य में कौन कौन तत्कालीन अधिकारी व कार्मिक, भू-माफिया, सफेद पोश राजनेता शामिल है कि जांच करना अतिआवश्यक है इन कृत्यों से राजस्थान सरकार के कोष को कितना बडा नुकसान हुआ है जिसका आकलन किया जाना असंभव है। क्योंकि हमसलाह एक राय होकर इस कृत्य में बडी बंदर बांट की गई है।

सांगानेर की अवाप्त भूमि पर भूकारोबारियों द्वारा कॉलोनी काटने का क्रमः- सांगानेर की आराजी संख्या 513 की कुल 17 बीघा जमीन है जिस पर नगर विकास न्यास द्वारा मास्टरप्लान में सचिवालय हेतु आरक्षित कर अवाप्ति धारा (4)(6) समाचार पत्रों में विज्ञप्ति देकर अवाप्त की गई थी उक्त भूमि को अवाप्ति के बहार दिखाकर का ले-आउट दिखाकर मौका स्थिति पर निर्माण कार्य चालू कर सडके, नालीयां, लाईटों के खंभे लगाकर प्राईवेट कॉलोनाईजर द्वारा सांठ-गांठ कर कॉलोनी काटी जा रही है। जो कि नगर विकास न्यास भीलवाडा द्वारा अवाप्त जमीनों का ले-आउट पास करके नियमन करके पट्टे जारी किए गए है जो कि प्राईवेट कॉलोनाईजर द्वारा 3 हजार से 3500 रूपए तक के भूखण्ड बेचे जा रहे है। अवाप्त सूदा जमीन को किन नियमों किन आदेशों से सरकार को गुमराह कर दूषित कृत्यों को अंजाम दिया जा रहा है। जोनल प्लान की रोडो के साथ बडा खिलवाड किया जा रहा है व मास्टर प्लान के साथ छेड छाड कर भीलवाडा के अतित के साथ खिलवाड किया जा रहा है क्यों सलिप्त अधिकारी, कार्मिक, उच्च अधिकारी व संबंधित विभाग के अधिकारी व राजस्थान सरकार नुमाईंदे चूप-चाप बैठकर हो रहे राजस्व हानी को देख रहे है व भ्रष्टाचारियों के खिलाफ समय रहते क्यों नहीं नियमानुसार व बनाए विधि के नियमानुसार कार्रवाई करने मे कर रहे है गूरेज ऐसा क्या बड़ा अदृश्य कारण है…?

Author: JITESH PRAJAPAT

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