सीकर। पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने कहा- राजस्थान में संघ वालों को पैर रखने की जगह नहीं देता था। कोई ग्राउंड नहीं देता था। हमसे लोगों को इतनी एलर्जी थी कि वे कहते कि- अगर हम तुम्हें जगह देंगे तो सरकार हमारे रास्ते बंद कर देगी।
हमें कोई जगह रहने को मिलती थी तो ऋषि उद्यान आश्रम में ही मिलती थी। इसी आश्रम के कारण हमने संघ की विचारधारा को आगे पहुंचाने का काम किया। मैं महर्षि दयानंद सरस्वती के ऋषि उद्यान आश्रम (अजमेर) से संघ की एबीसीडी सीखा हूं।
बोले- पिताजी को तुंकारा कह कर बुलाते थे
कटारिया सोमवार को सीकर के पिपराली महर्षि दयानंद सरस्वती की द्वि जन्म शताब्दी समारोह में आए थे। इस अवसर पर यहां श्री श्याम गौशाला (पिपराली) की स्थापना के 21 वर्ष पूरे होने पर 5 दिवसीय चतुर्वेद शतकम गौपुष्टमी महायज्ञ एवं श्री राम कथा का आयोजन हो रहा है।
कटारिया ने यहां मंच से अपने संबोधन में कहा- गुलाबचंद कटारिया को उसके घर में भी कोई नहीं जानता था। मेरे पिताजी को भी गांव में तुंकारा कहकर आवाज देते थे। वहां मैं पैदा हुआ हूं और यहां तक आया हूं तो जनता की मेहरबानी और आशीर्वाद से आया हूं।
उन्होंने कहा- जनता ने हमको सेवा के लिए भेजा है, लूटने के लिए नहीं भेजा। सफलता-असफलता जिंदगी में चलेगी। इसी का नाम जिंदगी है। जिसको असफलता नहीं मिलती वह जिंदगी में कभी सफलता नहीं हो सकता। असफलता से ही हमेशा सफलता पैदा होती है।