नागौर। प्रदेश में दुर्लभ बीमारी से पीड़ित बच्चों का उपचार प्रदेश सरकार की ओर से निशुल्क करवाया जाएगा। मुख्यमंत्री आयुष्मान बाल संबल योजना में जन्म से 18 साल तक के बच्चों को 50 लाख रुपए के निशुल्क उपचार की सुविधा मिलेगी। अच्छी बात है कि बीमार को हर महीने 5 हजार रुपए की आर्थिक सहायता भी दी जाएगी। चिकित्सा व स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश के सभी सीएमएचओ को जिले में दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित बच्चों को चिन्हित करने और ऑनलाइन आवेदन के निर्देश दिए हैं। राष्ट्रीय नीति 2021 में लिस्टेड बीमारियाों को ही दुर्लभ बीमारी की श्रेणी में माना जाएगा।
मुख्यमंत्री बाल संबल योजना का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित बच्चों के इलाज, देखभाल और आवश्यक सुविधाओं के लिए आर्थिक सहायता देने के निर्देश हैं। योजना की मॉनीटरिंग सामाजिक न्याय व अधिकारिता विभाग के निदेशक करेंगे। किसी भी असामान्य मामले में नियमों की शिथिलता के अधिकार विभाग को दिए गए हैं।
इस तरह कर सकते हैं आवेदन
आवेदनकर्ता को अपनी जानकारी और आवश्यक दस्तावेज जनाधार पोर्टल पर अपलोड करने होंगे। आवेदन सही पाए जाने पर इसे संबंधित चिकित्सा संस्थान को भेजा जाएगा। बच्चों का चिकित्सा परीक्षण प्राधिकृत संस्थान में होगा, जिसके आधार पर प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा। पालनकर्ता और बच्चे के जीवित होने का वार्षिक सत्यापन जरूरी है। सत्यापन ई-मित्र केंद्र या जिला कार्यालय के माध्यम से किया जा सकेगा। सत्यापन नहीं होने पर अगले वर्ष का भुगतान रोका जाएगा, जो सत्यापन के बाद एरियर सहित जारी किया जाएगा। आर्थिक सहायता राशि डीबीटी के माध्यम से पालनकर्ता के बैंक खाते में जमा की जाएगी। भुगतान प्रक्रिया और अन्य सभी जानकारी एसएमएस के जरिए से आवेदनकर्ता को दी जाएगी।
योजना में 56 बीमारियों का इलाज शामिल
राष्ट्रीय नीति में एड्रीनोल्यूकोडिस्ट्राफी, गंभीर संयुक्त प्रतिरक्षा कमी, क्रॉनिक ग्रेन्यूलोमेटस बीमारी, विस्कॉट- ऑल्ड्रच सिंड्रोम, एक्स लिंक्डएगामाग्लोबुलिनेमिया, ऑस्ट्रीयोपेट्रोसिस, फैनकोनी एनिमिया, टाइरोसीनिमिया, ग्लाइकोजन भंडारण विकार, मेपल सिरप यूरिन रोग, यूरिया चक्र विकार, आर्गेनिक एसिडेमियास, ऑटोसोमल रिसेसिव पॉलिसिस्ट्िक किड़नी रोग, ऑटोसोमल डॉमिनेंट पॉलिसिस्टिक किडनी रोग, लारोन सिंड्रोम, ग्लैंजमैन थ्रोबैसथेनिया रोग, जन्मजात हाइपर इंसुलिनेमिक हाइपोग्लाइसीमिया, पारिवारिक होमोजाइगस हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया, मैनोसिडोसिस, एक्सवाई डिस् आर्डर सिंड्रोम, प्राथमिक हाइपर ऑक्साल्यूरिया, होमोसाइटीन्यूरा, ग्लूट्रेक एसीडीयूरिया, मिथाइमैलोनिक एसीडिमिया, प्रोपियोनिक एसीडेमिया, आइसोवलरिक एसिडेमिया, ल्यूसीन हाइपोग्लाइसीमिया, गैलेक्टोसेमिया, ग्लूकोज गैलेक्टोज अवशोषण विकार, सीवियर फूड प्रोटीन एलर्जी, ऑस्टियोजेनेसिस इपरफेक्टा, वृद्धि हारमोन की कमी, प्रेडर-विली सिंड्रोम, टर्नर सिंड्रोम, नूनन सिंड्रोम, सिस्टिक फाइब्रोसिस, माइटोकॉन्ड्रीयल डिसऑर्डर सहित 56 तरह की बीमारियां शामिल हैं।
योजना में लाभ की पात्रता और शर्तें
नागौर के मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. जुगलकिशोर सैनी ने बताया कि योजना का लाभ 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को मिलेगा। पात्रता के लिए राजस्थान का मूल निवासी होना व पिछले 3 साल से प्रदेश में निवासरत होना जरूरी है। बीमारी के लिए सक्षम चिकित्सा अधिकारी की ओर से दुर्लभ बीमारी का प्रमाणन जरूरी है। यह सहायता बीमारी के इलाज के लिए दी जाएगी और अन्य योजनाओं के तहत भी लाभ लिया जा सकेगा। पीडित बच्चे के बीमारी से ठीक होने या उसकी मृत्यु होने पर सहायता राशि नहीं दी जाएगी। दुर्लभ बीमारियों का प्रमाणन अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) जोधपुर और जयपुर जेके लोन अस्पताल के सक्षम अधिकारी करेंगे।