भीलवाड़ा। दडे के खेल ने इस साल सामान्य बारिश की भविष्यवाणी की।इस बार खेल में दडा गढ़ की ओर गया जिससे सामान्य मौसम के संकेत मिले। भीलवाड़ा के फूलियाकलां उपखंड क्षेत्र के धनोप गांव में रियासत काल से दड़ा खेल का आयोजन किया जा रहा है।मकर संक्रांति पर होने वाले इस महोत्सव में ग्रामीण आज भी दड़े के जरिए आने वाले समय की भविष्यवाणी करते हैं। महोत्सव में दड़ा गढ़ में पहुंचा तो मौसम को लेकर सामान्य बारिश की भविष्यवाणी की गई।
धनोप माता मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह राणावत ने बताया कि रियासत काल से यह परम्परा चल रही है। इसके अनुसार दड़ा महोत्सव मे गांव के पटेलों की मौजूदगी मे ग्रामीण दड़ा को गढ़ से चौक मे लेकर आए। इसके बाद ग्रामीणों के दल इसे रस्सी से बांधा ओर पूरी ताकत से अपनी ओर खींचा।लगभग दो से ढाई घंटे तक दड़ा खेल चला और अंत में दड़ा, गढ़ में जाकर रूका। इसके चलते आने वाला वर्ष बारिश के हिसाब से सामान्य होने का अनुमान लगाया गया है।
महोत्सव के लिए बनाए जाते है दो दल
महोत्सव में दड़ा खेल के लिए दो दल बनाए गए। प्रथम दल में माली, पुजारी, गुर्जर, नायक, रैबारी महाजन जाति के लोग शामिल होते है। और दूसरे दल में बैरवा, कुम्हार, राज बलाई, कीर, तेली, लौहार खाती जाति के लोग शामिल होते है। खेल के बाद गढ़ की तरफ से दल के सदस्यों को गुड़ प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।
दड़ा महोत्सव
रस्सी से बंधी 7 किलोग्राम की एक गेंद को अपनी ओर खींचने की कशमश करते लोग इस खेल से साल भर के मौसम का अनुमान लगाया जाता है ।
इस प्रकार से की जाती है भविष्यवाणी
दडा़ गढ़ से हवाला मार्ग पर पंहुचता है तो इसे सुकाल माना जाता है।
यदि खेल के दौरान दडा फकीर मोहल्ले में जाता है तो इसे अकाल मानते हैं।
दडा़ गढ़ मे जाने पर आने वाले साल को सामान्य माना जाता है।