सिरोही। प्रथमेश ग्राडन में भागवत कथा सप्तम दिवस की कथा से पूर्व प्रातः 7.00 बजे मुख्य यजमान महेंद्र पाल सिंह, नरेंद्रपाल सिंह, विजय पाल सिंह एवं अन्य भक्तों द्वारा सर्व कल्याणार्थ गणेश, गायत्री, विष्णु सहस्रनाम यज्ञ की आहुतियां दी।
प्रातः दस बजे सप्तम दिवस की कथा श्रवण करवाते हुए पूज्य भाई संतोष सागर महाराज ने भक्त में आवश्यक तत्व के बारे में बताया “प्रतीक्षा एवं धैर्य” प्रभु की आराधना, भजन एवं भक्ति, प्रतीक्षा एवं धैर्य, प्रेम और भाव से आराधना करें निश्चित ही कृष्ण तत्व की प्राप्ति होती है। प्रेम रूपी डोरी एवं बंधन से ही प्रभु को बांधा जा सकता। राधा किशोरी जो कृष्ण के विरह में प्रतीक्षारत है एवं उद्धव मथुरा से कृष्ण का संदेश का वृतांत बताया।
भाई संतोष सागर ने सनातन में 33 कोटि देवी देवताओं का वर्णन बताते हुए पंच प्रधान देव पूजन का महत्व बताया जिसमें गणेश, विष्णु, महादेव, भगवती एवं सूर्य नारायण देव की पूजा से सर्व कल्याण संभव। सूर्य उपासक दान वीर कर्ण के चरित्र का विस्तार से वर्णन किया।
पूज्य भाई संतोष सागर ने भगवान कृष्ण के आठ विवाह एवं 16108 पटरानियों की लज्जा एवं मर्यादा रखने के लिए अपना नाम देकर सभी के कल्याण की कथा बताई। प्रत्येक प्राणी में भगवद दर्शन करना और अपनी दृष्टि बदलने मात्र से ही जीवन बदलने का संदेश दिया।
कृष्ण एवं सुदामा की कथा का विस्तार से वर्णन किया एवं भगवान कृष्ण ने सुदामा को त्रिलोकी अक्षय लक्ष्मी का तिलक लगा कर विदा किया। आगे भगवान दत्तात्रेय के 24 गुरुओं का प्रसंग सुनाया। संपूर्ण कथा में सैकड़ों भक्त, माताओं बहनों ने भाव विभोर हो कर कथा रसास्वादन किया एवं सुंदर भजनों पर आनंद से झूम उठे। जो भगवान के जितना समीप रहेगा कलयुग उससे उतना ही दूर रहेगा इसी संदेश के साथ कथा विश्रांति के अंतिम दिवस महा आरती एवं महा प्रसाद के साथ संत रामाज्ञा दास, संत पागल बाबा एवं अन्य संतों का सानिध्य रहा। कथा में ओंकार सिंह उदावत, शैतान सिंह, प्रमोद कुमार जानी, मोहनलाल माली, महेंद्र पाल सिंह, नरेंद्र पाल सिंह, विजयपाल सिंह, रताराम सुथार, बाबूलाल प्रजापत, विक्रम सिंह यादव, जगदीश सिंह गुर्जर, सरिता मिश्रा, घनश्याम मिश्रा, राधेश्याम मिश्रा, राजबाला गुर्जर, सुनीता सिंह, उषा सिंह, नीलम सिंह, नमिता सिंह सहित सैकड़ो भक्त उपस्थित रहे।