भरतपुर। राज्य सरकार ने नगर निगम सीमा के विस्तार के साथ ही वार्डों के परिसीमन की कवायद शुरू कर दी है। जनसंख्या मापदंड के हिसाब से भरतपुर में 65 वार्ड ही रहेंगे। ऐसे में सभी वार्डों की सीमाएं बदली जाएंगी। नगर निगम ने इनका फील्ड सर्वे करने के साथ डाटा जुटाना शुरू कर दिया है। उल्लेखनीय है कि आस-पास के गांवों को निगम क्षेत्र में शामिल करने का प्रस्ताव सरकार मंगवा चुकी है।
नगर निगम के सीमा क्षेत्र में 13 गांवों को शामिल किया जाना है। नियमानुसार 3.5 लाख की आबादी पर 65 वार्ड ही हो सकते हैं। ऐसे में इन गांवों को मिलाने से सभी वार्डों की सीमाएं प्रभावित होंगी। नगर निगम ने पिछले दिनों राजस्व नक्शों को देख सीमांकन का काम शुरू कर दिया है। जिनके मौका निरीक्षण के लिए सात टीमें गठित की गईं हैं। जिनमें जेईएन, सीआई, एईएन और कम्प्यूटर ऑपरेटर लगाए गए हैं।
सभी टीमों को वार्डों के नक्शे की सॉफ्ट और हार्ड कॉपी थमाई गई है। इलाकों की जनसंख्या और जनगणना ब्लॉक नंबर के हिसाब से डाटा जुटाना होगा। साथ ही कलेक्ट्रेट के सांख्यिकी विभाग से आंकड़े मंगाए गए हैं। सभी टीमों को सोमवार तक जानकारी जुटानी होगी। उल्लेखनीय है कि निगम में शामिल किए जाने के लिए 13 गांवों का प्रस्ताव राज्य सरकार को भिजवाया जा चुका है।
13 गांव के बन सकते हैं आठ नए वार्ड
शामिल किए जाने वाले गांवों में बरसों, जाटोली घना, बछामदी, मडरपुर, जिरौली, नोंह, तुहिया, गुंडवा, मुरवारा, भाडौर, रामपुरा, मलाह और भवनपुरा हैं। इन गांवों के आठ नए वार्ड बनाया जाना प्रस्तावित हैं। वर्तमान जनसंख्या के हिसाब से 65 वार्ड ही हो सकते हैं। ऐसे में वर्तमान सीमा में वार्डों की संख्या 57 किया जाना प्रस्तावित है।
इधर शुरू हो गया विरोध
राजनेताओं और वर्तमान जनप्रतिनिधियों ने परिसीमन का विरोध शुरू कर दिया है। इस संबंध में भाजपा के पार्षद कपिल फौजदार ने जिला कलेक्टर के नाम प्रशासन को ज्ञापन भी दे दिया है। जिसके अनुसार कई वार्डों में दो अलग-अलग थानों की सीमाओं और जलदाय विभाग के अलग-अलग खंडों में विभाजित किया जा रहा है। ऐसे में उन्होंने मुख्य मार्गों को क्रास किए बिना आयताकार वार्ड रखने की मांग की है। इसी तरह पूर्व पार्षद योगेन्द्र सिंह गप्पू ने चंद लोगों को राजनीतिक लाभ पहुंचाने के हिसाब से सीमांकन किए जाने की आशंका जता आपत्ति दर्ज कराई है।