भीलवाड़ा। राज्य मानवाधिकार आयोग के मेंबर सोमवार को भीलवाड़ा जिला जेल और कोतवाली के निरीक्षण को पहुंचे। इस दौरान उन्होंने जैल में बंदियों को मिलने वाली सुविधाओं का जायजा लिया। बंदियों से बातचीत की। इंतजामों की जांच की।कोतवाली पहुंचकर उन्होंने निरीक्षण किया। कोतवाल से बंदियों को रखने संबंधित जानकारी ली।
राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्य रामचंद्र सिंह झाला ने बताया- राष्ट्रीय मानवाधिकार और राज्य मानवाधिकार आयोग जेल में बंद कैदियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए समय-समय पर जेलों का निरीक्षण करते हैं। हर जेल में हम इस बात की तहकीकात करते हैं कि कैदियों की सुविधाओं के लिए, उनके खाने-पीने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन किया जा रहा है या नहीं।
बंदियों के साथ जेल वाले और स्टाफ किस तरह का व्यवहार है, उन्हें उचित सुविधाएं दी जा रही हैं या नहीं। आम तौर पर माना जाता है कि अपराधी के साथ जेल में दुर्व्यवहार किया जाता है। हम चेक करते हैं कि बंदियों के साथ दुर्व्यवहार तो नहीं किया जा रहा। सुप्रीम कोर्ट ने कई महत्वपूर्ण निर्णय दिए हैं। यहां तक कहा है कि केवल किसी व्यक्ति के जेल में बंद होने से उसके कानूनी अधिकार खत्म नहीं होते।
हमारी जेल कानून के पत्थरों की बनी हुई है। इसमें बंद व्यक्ति को भी वही अधिकार हैं जो बाहर खुले में विचरण करने वाले को हैं, जो सभी नागरिकों को हैं। हमारा दायित्व बनता है कि समय समय पर जेल का निरीक्षण करें ताकि बंदियों के अधिकारों पर कोई कुठाराघात न हो।
जेल के कर्मचारी या स्टाफ उनके अधिकारों का हनन तो नहीं कर रहे हैं। इस वजह से हम पूरे राजस्थान में समय-समय पर जेलों का निरीक्षण करते हैं।
हमने कैदियों से से बातचीत की है। उन्हें दिया जाने वाला खाना-नाश्ता नियमानुसार मिला है। हमने किचन में भी उनके खाने का निरीक्षण किया।उनको जो खाना दिया जा रहा है वो निर्धारित मानक पर है, किचन की क्वालिटी में भी किसी तरह कोई कमी नहीं पाई गई।
जिला जेल के बाद मानवाधिकार आयोग मेंबर झाला कोतवाली भी पहुंचे और यहां उन्होंने बंदियों को रखे जाने वाली बैरक व अन्य सुविधाओं का जायजा लिया।इस दौरान सीओ सिटी मनीष बडगूजर और कोतवाल गजेंद्र सिंह ने उन्हें कोतवाली का निरीक्षण करवाया।