जोधपुर। जिला एवं सेशन न्यायालय में बच्चों की देखभाल के लिए क्रेच (शिशु गृह) और अतिसंवेदनशील गवाह कक्ष (वीडब्ल्यूडीसी) की शुरुआत की गई है। कोर्ट में काम करने वाले कर्मचारी और अधिवक्ता अपने बच्चों को शिशु गृह में रख सकेंगे। एक हॉल में करीब 30 बच्चों को रखा जा सकता है। रविवार को जोधपुर हाईकोर्ट के न्यायाधीश पुष्पेंद्र सिंह भाटी ने दोनों नई सुविधाओं का उद्घाटन किया।
जिला न्यायालय में 650 महिला अधिवक्ता हैं। इनमें से कई के छोटे बच्चे हैं। सुबह से शाम तक ये कोर्ट में रहती हैं। ऐसे में बच्चों को देखभाल के लिए परिजनों व परिचितों के यहां छोड़कर आना पड़ता है। अब वे बच्चों को अपने साथ कोर्ट ला सकेंगी। इनके साथ ही बयानों के लिए आने वाले अधिकारी-कर्मचारी, गवाही के लिए आने लोगों के बच्चों की देखरेख भी हो सकेगी। इसके लिए कोर्ट परिसर में पीसीपीएनडीटी कोर्ट के सामने पहली मंजिल पर हॉल में क्रेच बनवाया गया है।
बच्चों की देखभाल के लिए यहां एक महिला स्टाफ की नियुक्त की गई है। यहां बच्चों के लिए खाने-पीने-सोने के साथ खिलौने की व्यवस्था भी की गई है। क्रेच सोमवार से शनिवार सुबह 9 से शाम 6 बजे तक खुला रहेगा। रविवार और अन्य छुटि्टयों पर क्रेच बंद रहेगा।
वीसी का मकसद…अपराधी के सामने गए बिना निर्भीक गवाही
शिशु गृह के नीचे भूतल पर अतिसंवेदनशील गवाह कक्ष शुरू किया गया है। यह कक्ष सभी कोर्टों से जुड़ा रहेगा। जहां वीडियो कॉन्फ्रेंस (वीसी) से गवाहों के बयान होंगे। इसके लिए कक्ष में एक स्क्रीन और कैमरे लगाए गए हैं। जिससे पॉक्सो जैसे संवेदनशील मामलों में गवाहों के बयान करवाए जाएंगे। जिससे गवाह आरोपी के सामने गए बिना और निर्भीक होकर बयान दे सके। कई मामलों में अपराधी को सामने देखकर गवाह घबरा जाते हैं और ठीक से बयान नहीं दे पाते।