पाली। आज राष्ट्रीय बालिका दिवस है। इस दिन हम आपको पाली की एक ऐसी रेसलर की कहानी से रूबरू करवा रहे है। जिसकी कहानी पढ़कर आप भी कह उठेंगे कि जीवन में चाहे कितनी भी परिस्थियां विपरित क्यों न हो अगर लक्ष्य अटल हो तो सफलता पाने से कोई नहीं रोक सकता। हम बात कर रहे है 27 साल की रेसलर मोनी रानी की। जिन्होंने सबजूनियर नेशनल प्रतियोगिता कुश्ती मे 2 बार स्वर्ण पदक, 1 बार ब्रॉन्ज मेडल जीता। जूनियर नेशनल कुश्ती प्रतियोगिता में 1 बार स्वर्ण पदक, 2 बार ब्रॉन्ज मेडल जीता। सीनियर नेशनल प्रतियोगिता में 1 ब्रॉन्ज मेडल, 5 बार पार्टिसिपेट किया। ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी में2 बार ब्रॉन्ज मेडल जीते। इतना ही नहीं 5 बार राजस्थान केसरी एक बार भारत केसरी पदक विजेता भी रही। लेकिन यह सबकुछ पाना इतना आसान नहीं था।
4 साल की उम्र में माता-पिता छोड़ गए दुनिया
आईए आज बालिका दिवस पर मोनीरानी की जुबानी ही जानते है उनके उनके संघर्ष पर विजय पाकर इस मुकाम तक पहुंचने की कहानी। 27 साल की मोनी रानी बताती है कि वह मूल रूप से मेरठ की रहने वाली है। जब वह 3 साल की थी तो मां प्रकाशीदेवी की बीमारी से मौत हो गई। 4 साल की हुई तो पिता रामस्वरूप की हार्ट अटैक से मौत हो गई। ऐसे में उनकी बड़ी मम्मी सतोदेवी ने उन्हें अपने पास रखा। उन्होंने अपनी बेटी की तरह उसे रखा और पढ़ाया।
परिजनों के मना करने पर भी रेसलिंग के लिए भेजा
मोनी रानी ने बताया कि उस समय गांव में लड़कियों को कुश्ती से लोग बचते थे लेकिन उनकी ताईजी ने पढ़ाई के साथ उसे कुश्ती की ट्रेनिंग के लिए भी भेजना शुरू किया। इसको लेकर परिवार के बड़ों लोगों के विरोध का भी उन्हें सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने उसकी परवाह नहीं की। 10वीं-12वीं तक पढ़ाई मेरठ में की। कुश्ती खेलती थी उसकी प्राइज मनी से वह अपनी डाइट का जुगाड़ करती थी। क्योंकि ताऊजी की मौत हो चुकी थी और ताईजी भी आर्थिक रूप से ज्यादा सक्षम नहीं थी।
वर्ष 2016 में पाली आई फिर वापस नहीं गई
रेसलर मोनी रानी ने बताया कि वर्ष गेम खेलने के लिए पाली वह कई बार आई। उसके बाद वर्ष 2016 में पाली आई जो वापस गांव नहीं गई और यह रखकर अपनी प्रेक्टिस जारी रखी। खुद का खर्च चलाने के लिए नगर परिषद रेन बसेरे में 5 हजार की नौकरी की। और वर्तमान में एक निजी स्कूल में पढ़ाई करवाती है और रोजाना बांगड़ स्टेडिमय में बच्चों को कुश्ती की प्रेक्टिस भी निशुल्क करवाती है। ताकि पाली से रेसलिंग खेल में अच्छे खिलाड़ी निकले और पाली का नाम रोशन हो।
बच्चों को कुश्ती सिखाते रहना सपना
रेसलर मोनी रानी कहती है कि वर्तमान में वह एक निजी स्कूल में पढ़ाकर अपना खर्च चलाती है लेकिन इतनी सैलेरी नहीं मिली कि एक रेसलर अपनी डाइट फ्लो कर सके। पाल रहते हुए उन्होंने वर्ष 2020 में बीए किया और 2024 में बीपीएड किया। अब सपना है कि NIS करके कुश्ती कोच बनू ताकि पाली में कुश्ती के अच्छे खिलाड़ी तैयार कर सकूं।